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बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच’ में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की जीत के सितारे

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Jan 1, 2021
'बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच' में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की जीत के सितारे
  • कोविड-19 काल में भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2020 के बीतने से पहले क्रिकेट के दीवाने देश भारत को जीत का तोहफ़ा देकर नए साल को जश्न के साथ मनाने का मौक़ा दे दिया है.

भारत ने मेलबर्न में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में जो ‘बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच‘ कहलाता है, उसमें चौथे दिन लंच के बाद मेज़बान ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर जीत का ज़ोरदार पंच लगाया. दूसरी पारी में भारत के सामने जीत के लिए केवल 70 रनों का लक्ष्य था जो उसने दो विकेट खोकर हासिल कर लिया.

मयंक अग्रवाल पाँच और चेतेश्वर पुजारा तीन रन बनाकर पैवेलियन लौट गए लेकिन सलामी बल्लेबाज़ शुभमन गिल ने नाबाद 35 और कप्तान अजिंक्य रहाणे ने नाबाद 27 रन बनाकर भारत को जीत की राह दिखाई. इसके साथ ही चार टेस्ट मैच की गावस्कर-बॉर्डर सिरीज़ 1-1 से बराबरी पर आ गई है.

वैसे तो पूरी भारतीय टीम इस जीत की हक़दार है लेकिन जीत का सेहरा कप्तान अजिंक्य रहाणे के साथ-साथ गेंदबाज़ों के सिर भी बंधेगा. गेंदबाज़ों ने तो पहले टेस्ट मैच में भी अपनी भूमिका बख़ूबी निभाई थी लेकिन एडिलेड में पूरी भारतीय टीम अपने टेस्ट इतिहास के सबसे न्यूनतम स्कोर 36 रनों पर सिमट गई थी.

जब स्टार बल्लेबाज़ों से भरी टीम का यह हाल हो तो गेंदबाज़ भी क्या करें. भारत का उस करारी हार के बाद जीत के साथ उभरना और सिरीज़ में वापसी करना तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जबकि टीम में वो नियमित कप्तान विराट कोहली नहीं थे जिन्हें एक दिन पहले ही आईसीसी ने दशक का सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय खिलाड़ी घोषित किया था.

अब ऐसा नहीं है कि विराट कोहली केवल एकदिवसीय क्रिकेट में शानदार है, उनकी तूती टेस्ट क्रिकेट में भी बोलती है. उनकी कप्तानी में भारत ने पिछली सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी और पहली बार कोई टेस्ट सिरीज़ भी ऑस्ट्रेलिया में जीती.

मुश्किल हालात में टीम की कमान
ज़ाहिर है उनकी अनुपस्थिति में टीम की कमान सँभालने वाले अजिंक्य रहाणे पर मेलबर्न टेस्ट जीतकर सिरीज़ में रोमांच बनाए रखने की ज़िम्मेदारी भी थी. शायद ही किसी कप्तान को ऐसे मुश्किल हालात में टीम की कमान संभालने का अवसर मिला हो.

विराट कोहली पिता बनने वाले हैं इसलिए वह भारत लौट आए. टीम के सबसे अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी कलाई में चोट खाकर पूरी सिरीज़ से बाहर हो गए. भारत की ऑस्ट्रेलिया में पिछले दौरे में मिली टेस्ट सिरीज़ जीत में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका थी.

दरअसल, मोहम्मद शमी को उसी सिरीज़ के बाद शोहरत मिली थी. इसके अलावा सलामी जोड़ी मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ और विकेटकीपर रिद्धिमान साहा भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. इन तमाम मुश्किलों को किनारे रख अजिंक्य रहाणे टीम में बदलाव के साथ मेलबर्न में उतरे.

शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज को टेस्ट कैप मिली तो ऋषभ पंत और ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की वापसी हुई, और इन्होंने अपने चयन को सही साबित किया. अब उन खिलाड़ियों के प्रदर्शन का विश्लेषण ज़रूरी हो जाता है जिन्होंने भारत की मेलबर्न में मिली जीत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

इनमें ख़ुद कप्तान अजिंक्य रहाणे तो है ही जिन्होंने फ़्रंट पर आकर टीम का नेतृत्व किया और बाक़ी का काम शुभमन गिल, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत और तेज़ गेंदबाज़ों ने किया.

कप्तानी में जीत की हैट-ट्रिक लगाई रहाणे ने
कहावत है कि कोई भी कप्तान उतना ही अच्छा होता है जितनी टीम. अब भला क्या यह बात अजिंक्य रहाणे के लिए कैसे कही जा सकती है जिन्हें एक सप्ताह पहले ही 36 रन पर लुढ़कने वाली टीम मिली. नियमित कप्तान विराट कोहली को एडिलेड में रन आउट कराने का बोझ भी दिल पर था जिसे हार का कारण माना जा रहा था.

इत्तेफ़ाक़ से वह ख़ुद पहली पारी में तब रन आउट हो गए जब रवींद्र जडेजा रन लेने के लिए उन्हें आमंत्रित करने के बाद अपने क़दम वापस क्रीज़ में खींच लिए. तब रहाणे 112 रन बनाकर खेल रहे थे.

ऐसे में उनका निराश होकर जडेजा पर नाराज़ होना स्वभाविक हो सकता था लेकिन इसके उलट रहाणे जडेजा के पास गए, उनके कंधे थपथपाए और अपने बैटिंग ग्लव्स उनके ग्लव्स से टकराए. इससे जडेजा तनाव में आने से बच गए. रहाणे जान चुके थे कि रन आउट कराने का दर्द क्या होता है.

बल्लेबाज़ी में अपने टेस्ट करियर का बारहवाँ शतक बनाने से पहले उन्होंने अपनी कप्तानी का नायाब नमूना पेश करते हुए गेंदबाज़ों का शानदार इस्तेमाल किया. चाहे वह अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे मोहम्मद सिराज हो या अनुभवी स्पिनर आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के अलावा जसप्रीत बुमराह.

रहाणे गेंदबाज़ के अनुभव और बड़े नाम की जगह मैच की परिस्थिति के अनुसार उनका इस्तेमाल करते रहे. उनका फ़ील्डिंग लगाने का तरीक़ा ज़ोरदार रहा. जब तेज़ गेंदबाज़ आए तब उन्होंने स्लिप और गली फ़ील्डर के अलावा गेंदबाज़ों को उनकी मर्ज़ी के अनुरूप फ़ील्डिंग दी.


स्पिनर को पॉइंट और बैकवर्ड शॉर्टलैग के साथ आक्रामक फ़ील्डिंग दी और लगातार उनका हौसला बढ़ाया. यही कारण था कि दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय खिलाड़ियों ने पहले टेस्ट मैच की तरह आसान कैच नहीं टपकाए. नतीजा जीत के रूप में सामने है.

दूसरी तरफ़ ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने दोनों पारियों में कम से कम आठ कैच टपकाए जो उनकी हार का कारण बना. अपनी कप्तानी में यह रहाणे की लगातार तीसरी टेस्ट मैच जीत रही. इससे पहले वह ऑस्ट्रेलिया और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ भारत को जीत दिला चुके है.

क्रिकेट समीक्षक और यहां तक कि नियमित कप्तान विराट कोहली भी इस मैच में खेली गई शतकीय पारी को उनकी सबसे अच्छी पारी मान रहे हैं लेकिन रहाणे साल 2014 में लॉर्ड्स पर बनाए गए 103 रन से सजे शतक को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. जो भी हो मेलबर्न में भारत की जीत के असली हीरो अजिंक्य रहाणे ही हैं. अजिंक्य रहाणे को ही प्लेयर ऑफ़ द मैच भी चुना गया.

मोहम्मद सिराज का शानदार आग़ाज़
वैसे तो मेलबर्न में जसप्रीत बुमराह ने पहली पारी में चार और आर अश्विन ने तीन विकेट लेकर अपना लोहा मनवाया लेकिन अपना पहला ही टेस्ट मैच खेल रहे तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज ने भी अपने शानदार प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया. उन्होंने पहली पारी में दो और दूसरी पारी में तीन विकेट झटके.

मोहम्मद सिराज की इस कामयाबी को काश उनके पिता भी देख पाते जिनका निधन हैदराबाद में तब हुआ जब वे भारतीय टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया में थे. बीसीसीआई ने उन्हें स्वदेश वापस लौटने का विकल्प दिया था लेकिन उन्होंने टीम के साथ रहने का ही फ़ैसला किया.

उन्हें मोहम्मद शमी के चोटिल होकर सिरीज़ से बाहर होने के कारण दूसरा टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा मिला, लेकिन मेलबर्न में पहला ओवर करने के लिए उन्हें लंबा इंतज़ार करना पड़ा. जब ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया तो उनके फड़फड़ाते कंधो को लंच के बाद दमख़म दिखाने का अवसर मिला लेकिन इस बीच कप्तान रहाणे उन्हें समझाते रहे.

सिराज ने अपना पहला टेस्ट विकेट ऑस्ट्रेलिया के मारनस लबुशैन को अपने साथ ही पहला टेस्ट मैच खेल रहे शुभमन गिल के हाथों कैच कराकर लिया. तब लबुशैन 48 रन बनाकर खेल रहे थे. अभी तक इस सिरीज़ में ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से जिन बल्लेबाज़ों ने थोड़ा बहुत दमख़म दिखाया है उनमें लबुशैन भी शामिल है.

दूसरा टेस्ट मैच जीतने के बाद कप्तान रहाणे ने मोहम्मद सिराज और शुभमन गिल की दिल खोलकर तारीफ़ की. मोहम्मद सिराज ने मेलबर्न की तेज़ और उछाल लेती विकेट पर सही लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाज़ी की. उन्होंने मोहम्मद शमी की कमी बिल्कुल भी महसूस नहीं होने दी.

दूसरी पारी में जो उन्होंने इस अंदाज़ में गेंदबाज़ी की जैसे वह टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज़ हो. बेहद साधारण परिवार से आने वाले मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए नौ मैच में ग्यारह विकेट लिए. साल 2016-17 में हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफ़ी में उन्होंने नौ मैच में 41 विकेट लिए.

मोहम्मद सिराज अभी तक भारत ए और शेष भारत के लिए भी खेल चुके है. इसके अलावा मोहम्मद सिराज तीन टी-20 और एक एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच भी खेल चुके हैं.

मज़बूत क़द काठी के मोहम्मद सिराज को भले ही अपना पहला ओवर करने के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ा लेकिन जैसा कि ख़बर है कि उमेश यादव की पिंडली में खिंचाव है, और अगर वह अगला टेस्ट मैच नहीं खेल पाए तो फिर जसप्रीत बुमराह के साथ तेज़ आक्रमण ज़िम्मेदारी उनकी ही होगी.

मोहम्मद सिराज इस मायने में भी भाग्यशाली हैं कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया जैसी तेज़ विकेट पर अपने करियर का आग़ाज़ करने का अवसर मिला.

सर जडेजा ने संभाला मध्यमक्रम
भारत की जीत में ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने भी कम योगदान नहीं दिया. सर जडेजा के नाम से भी जाने जाने वाले रवींद्र जडेजा पर कप्तान अजिंक्य रहाणे पर पूरा भरोसा था और उसकी वजह शायद जडेजा की बल्लेबाज़ी है. रवींद्र जडेजा ने भी पहली पारी में बेहद उपयोगी 57 रन बनाकर उस भरोसे का मान बढ़ाया.

अजिंक्य रहाणे के 112 रन के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्कोर उन्हीं का था. जडेजा और रहाणे के बीच छठे विकेट के लिए 121 रन की साझेदारी मैच का टर्निग पॉइंट साबित हुई.

इसी साझेदारी की बदौलत भारत पहली पारी के आधार पर ऑस्ट्रेलिया से 131 रन की बढ़त लेने में कामयाब रहा. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 195 रन पर समेटा और उसके बाद अपनी पहली पारी में 326 रन बनाए. जडेजा ने इसके अलावा गेंदबाज़ी में भी अपने हाथ दिखाते हुए पूरे मैच में तीन विकेट भी झटके.

शुभमन गिल शुभ रहे भारत के लिए
ऐसा कम ही होता है कि किसी खिलाड़ी के लिए सुनील गावस्कर जैसे बड़े खिलाड़ी कहें कि उन्हें टीम में होना चाहिए. दरअसल सुनील गावस्कर का मानना था कि पहले टेस्ट मैच में पृथ्वी शॉ की जगह सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका शुभमन गिल निभाए.

पृथ्वी शॉ जब नाकाम हो गए तो स्वभाविक रूप से शुभमन गिल टीम में आ गए और पहली पारी में 45 और दूसरी पारी में नाबाद 35 रन बनाकर पूर्व सलामी बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर की राय को सही साबित किया.

ऑस्ट्रेलिया में गेंदबाज़ को अपने टेस्ट करियर का आग़ाज़ करने का अवसर मिले तो वह सोने पर सुहागा है लेकिन बल्लेबाज़ के लिए तो यह लोहे के चने चबाना जैसा है. और इस बार तो हालत यह है कि ख़ुद मेज़बान ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम मेलबर्न में दूसरी पारी में और इस सिरीज़ में पहली बार दौ सौ का आँकड़ा छू सकी.

गेंदबाज़ों के दबदबे के बीच ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ तक के बल्ले को जैसे सांप सूंघ गया है. वह चार पारियां खेलकर एक बार भी दहाई तक नहीं पहुंचे. वैसे एक दिन पहले ही स्मिथ को आईसीसी ने दशक का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ धोषित किया है.

मेलबर्न में तो ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे में तीन शतक सहित पांच सौ से ज़्यादा रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा तक दोनों पारियों में नाकाम रहे. ऐसे में शुभमन गिल ने जोश हैज़लवुड, मिचेल स्टार्क और पैट कमिंस का जिस बेहतरीन तकनीक और दिलेरी से सामना किया वह काबिलेतारीफ है.

शुभमन गिल का नाम तब चर्चा में आया जब उन्होंने साल 2018 में हुए आईसीसी अंडर 19 विश्व कप में सौ से भी अधिक के औसत से 418 रन बनाए. कमाल है वहाँ उनके कप्तान पृथ्वी शॉ ही थे और भारत ने उस टूर्नामेंट को जीता था. तब क्रिकेट पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल भारत के लिए भविष्य के खिलाड़ी हैं.

अब पृथ्वी शॉ का भविष्य तो डावाँडोल है लेकिन शुभमन गिल ने अपनी चमक दिखाई है. उन्होंने सीधे बल्ले से नई गेंद की चमक फीकी की जो सलामी बल्लेबाज़ का पहला काम है.

वह बेहतरीन ज़मीनी शॉट्स के अलावा पुल शॉट भी बेहतरीन खेलते हैं. इसकी झलक उन्होंने मेलबर्न में दिखाई. लेकिन तीसरे टेस्ट मैच में शायद उन्हें मध्यम क्रम में उतरना पड़े क्योंकि रोहित शर्मा की टीम में वापसी होगी. हो सकता है ऐसा न भी हो. यह सब टीम के कप्तान और कोच की सोच पर निर्भर करता है. जो भी हो शुभमन गिल की शुरुआत तो शानदार हुई है.

बूम बूम बुमराह ने गुमराह किए बल्लेबाज़
अपनी तेज़ गेंदबाज़ी से ज़्यादा अपने बॉलिंग एक्शन के लिए मशहूर जसप्रीत बुमराह आज किसी भी कप्तान के लिए वरदान से कम नहीं है. मेलबर्न में बुमराह ने अपनी शॉर्टपिच बाउंसर और सटीक यॉर्कर गेंदों के दम पर पहली पारी में चार विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया के बड़े स्कोर बनाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया.

बुमराह ने सलामी बल्लेबाज़ जो बर्न्स का खाता भी नहीं खुलने दिया तो ट्रेविस हैड को तब आउट किया जब वह 38 रन बना चुके थे और भारत के लिए सिरदर्द साबित हो सकते थे. बुमराह ने दूसरी पारी में भी दो विकेट लिए जिसमें स्टीव स्मिथ का विकेट भी शामिल है. दरअसल स्मिथ का विकेट लेने से गेंदबाज़ ही नहीं पूरी टीम के होसले बुलंद हो जाते है.

जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज़ों के आने के बाद अब आलम यह है कि विदेशी टीमें भी अपनी ही ज़मीन पर भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों से घबराती है. पहले भारतीय बल्लेबाज़ों के हेलमेट पर ज़्यादा गेंद लगती थी अब दूसरी टीम के बल्लेबाज़ इसका मज़ा चख रहे है. जसप्रीत बुमराह की ताक़त बिलकुल सही कोरिडोर में गेंद करना है. बीते आईपीएल में मुंबई इंडियंस की ख़िताबी जीत में उनका भी ख़ासा योगदान रहा.

मोहम्मद शमी की अनुपस्थिति में बुमराह ही गेंदबाज़ों को राह दिखाने वाले बने. कमाल है अभी तक जसप्रीत बुमराह ने अपने सभी 16 टेस्ट मैच विदेशी ज़मीन पर खेले है. बुमराह ने ही अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे मोहम्मद सिराज को सलाह दी कि एक ही दिशा में गेंद करो. अंभी तक 16 मैच में 76 विकेट ले चुके हैं.

आर अश्विन की फिरकी गेंद भी काम आई
फिरकी गेंदबाज़ आर अश्विन ने भी भारत की जीत में कमाल की भूमिका निभाई. एक बार ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर शेन वॉर्न ने कहा था कि उन्हें सपने में सचिन तेंदुलकर दिखते हैं. अब अगर स्टीव स्मिथ कहें कि उन्हे सपने में अश्विन दिखते है तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए.

आर अश्विन तो जैसे हाथ धोकर स्मिथ के पीछे पड़ गए है. स्मिथ को अश्विन दोनो टेस्ट मैच की पहली पारी में जमने से पहले ही उखाड़ चुके है. मेलबर्न में तो अश्विन ने उन्हें एक रन बनाने तक का मौक़ा नहीं दिया. स्मिथ तो आउट करने का अर्थ ऑस्ट्रेलिया का आधा बल खींच लेना है.

दूसरे टेस्ट मैच में अश्विन ने पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में दो विकेट झटके जिसमें लबुशैन का विकेट भी शामिल है. स्मिथ और लबुशैन ही ऑस्ट्रेलिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ हैं. इनके पैवेलियन लौटते ही ऑस्ट्रेलिया पारी चरमरा जाती है. 73 टेस्ट मैच में 375 लेना बताता है कि वह कितने ख़तरनाक स्पिनर हैं.
अब भरतीय टीम के इन धुरंधरों को अपना दमखम बाकी बचे दो टेस्ट मैच में बरकरार रखना होगा. ऑस्ट्रेलिया अब ज़ख़्मी शेर है जो लगातार दूसरी बार भारत से अपने घर में टेस्ट सिरीज़ हारना नहीं चाहेगा. आगे नतीजा जो भी हो, असली टेस्ट क्रिकेट तो यही है.

BBC

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