16 सितंबर 2022 | नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेशभर के लिए री-डेवलपमेंट पॉलिसी तैयार कर ली है। इसके मुताबिक प्रदेश में किसी भी जमीन पर बनी पुरानी हाईराइज बिल्डिंग को तोड़ने पर इंसेंटिव का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पुराने फ्लैट के बदले नया और ज्यादा बड़ा फ्लैट मुफ्त या थोड़ी प्रीमियम राशि जमा करके मिल सकेगा।
इसमें शहरी क्षेत्रों में 30 से ज्यादा पुराने आवासीय कॉम्पलेक्स को तोड़कर नई इमारत बनाने के लिए इंसेंटिव दिया जाएगा। इनमें वे इमारतें भी शामिल होंगी, जिन्हें नगरीय निकायों ने जर्जर घोषित कर दिया है। जिन इलाकों में जमीन की कीमतें बहुत ज्यादा हैं, वहां रहने वालों को इस रीडेवलपमेंट पॉलिसी का अच्छा फायदा मिलेगा। फिलहाल इस पॉलिसी को अब कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
यहां मंजूरी मिलते ही यह अमल में आ जाएगी। बता दें कि फिलहाल सरकारी जमीनों पर पुर्ननिर्माण के लिए री-डेंसीफिकेशन पॉलिसी लागू है। नई पॉलिसी के दायरे में निजी या विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाई गईं कॉलोनियां भी आ जाएंगी।
ऐसी है नई पॉलिसी : रेसीडेंशियल-कमर्शियल में मिलेगा अलग-अलग एफएआर
1. इस पॉलिसी के तहत होने वाले निर्माण में ग्राउंड कवरेज और एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो का इंसेंटिव दिया जाएगा। इसके लिए मास्टर प्लान और भूमि विकास नियमों बदले जाएंगे। 2. बदलाव में रेसीडेंशियल बिल्डिंग के लिए मौजूदा एफएआर से 0.50 और कमर्शियल बिल्डिंग के लिए 0.75 ज्यादा एफएआर दिया जाएगा। 3. ग्राउंड कवरेज भी 30 से बढ़ाकर 40 फीसदी किया जा रहा है, यानी 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 4000 वर्गफीट में निर्माण कर सकेंगे, ताकि बिल्डर भी एफएआर का पूरा इस्तेमाल कर सके। 4. ज्यादा मिली एफएआर में बिल्डर जो नए फ्लैट बनाएगा, उन्हें बेचकर अपना मुनाफा तैयार करेगा। यानी इससे उन्हें पुराने फ्लैट को तोड़ने में खर्च हुई रकम और नए बनाए गए फ्लैट की लागत मिल जाएगी। 5. रहवासी समिति यदि नए फ्लैट्स का आकार बढ़ाना चाहती है तो मौजूदा फ्लैट मालिक को निर्माण लागत का कुछ हिस्सा प्रीमियम राशि के तौर पर देना पड़ सकता है। 6. री-डेवलपमेंट पॉलिसी के तहत बहुमंजिला इमारत को नए सिरे से बनाने से पहले रहवासी समितियों की इजाजत लेनी होगी। 7. अपार्टमेंट एक्ट के तहत गठित समिति बिल्डर से पुरानी इमारत तोड़ वहीं पर नई इमारत बनाने अनुबंध करेगी।
जर्जर इमारतों को तोड़ने पर होते हैं विवाद
प्रदेश के सभी बड़े शहरों में हाईराइज बिल्डिंग का चलन बढ़ा है। जर्जर हो चुकी पुरानी इमारतों को तोड़ने में कानून व्यवस्था के हालात बनते हैं। नई नीति से ऐसे हालातों को काबू किया जा सकेगा। नए निर्माण के दौरान सीवेज, वाॅटर, ड्रेनेज नेटवर्क और पार्किंग व लिफ्ट सुविधा पर भी नए सिरे से काम हो सकेगा।
हर नजरिए से फायदेमंद होगी पॉलिसी
नई पॉलिसी से जर्जर इमारतों में रह रहे लोगों को नया और बड़ा घर मिलेगा। साथ ही नगरीय निकायों को भी इन कॉलोनियों में सुविधा देने में आसानी होगी। ये पॉलिसी पर्यावरण, विकास और रहवासियों के नजरिए से फायदेमंद साबित होगी।’
Source:-“दैनिक भास्कर”