श्रावण का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है, इसलिए इस खास माह में भगवान शिव के भक्तगण उनकी उपासना करते हैं। पंडित ऐमन प्रसाद मिश्र ने बताया कि छह जुलाई से सावन प्रारंभ हो रहा है जो तीन अगस्त तक रहेगा। मान्यता के अनुसार सावन में सोमवार के दिन भोले शंकर की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
पंडित मिश्र ने बताया कि इस बार सावन माह में शुभ संयोग बन रहा है। दरअसल श्रावण माह की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इस माह का अंत भी सोमवार के दिन होगा। उन्होंने बताया कि सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान कर शिव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए।
साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं। पंचामृत से रुद्राभिषेक करें, बिल्व पत्र अर्पित करें। शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं। प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं। धूप, दीप से गणेश की आरती करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें।
पूजा-अर्चना मे इन बातों का रखें विशेष ध्यान
पंडित मिश्र ने बताया कि शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।