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लवन रेन्जर द्वारा मजदूरी भुगतान नहीं करने की बात कहने से आक्रोशित मजदूरों ने घेरा रेन्ज ऑफिस

ByPrompt Times

Oct 5, 2020
लवन रेन्जर द्वारा मजदूरी भुगतान नहीं करने की बात कहने से आक्रोशित मजदूरों ने घेरा रेन्ज ऑफिस
  • रेन्जर एवं डी एफ ओ की बेपरवाही से मजदूरों एवं सामग्री दाताओं का डेढ़ साल से रुका हुआ है भुगतान…     
  • उग्र आंदोलन की तैयारी में है मजदूर ,

कसडोलवन परिक्षेत्र लवन के अंतर्गत करीब डेढ़ साल पहले कराए गए निर्माण कार्यों का मजदूरी एवं सामग्रियों का भुगतान रेन्जर के स्थानांतरण के बाद अभी तक नहीं हुआ है , इस सम्बंध में मजदूरों द्वारा डी एफ ओ एवं जिला कलेक्टर का भी ध्यानाकर्षण कराया जा चुका है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हुआ है । 1 अक्टूबर को मजदूरी भुगतान की मांग को लेकर मजदूरों ने रेन्जर से मुलाकात की तब रेन्जर द्वारा पूर्व पदस्थ रेन्जर के समय का किसी भी तरह के कोई भी भुगतान करने से इंकार किए जाने से आक्रोशित मजदूरों ने रेन्ज कार्यालय का घेराव कर दिया और आने वाले एक सप्ताह के भीतर भुगतान नहीं होने पर मजदूर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं ।

वन परिक्षेत्र लवन अंतर्गत विगत वर्ष 2019 के मार्च अप्रैल में वन ग्राम घिरघोल, पुटपुरा, भन्डोरा सहित विभिन्न गांवों के ग्रामीणों द्वारा डामर, घेरु, रोड निर्माण, फेंसिंग कार्य सहित विभिन्न निर्माण कार्य कराया गया जिसका भुगतान गरीब मजदूरों को अभी तक नही किया गया है जबकि कार्य किये डेढ़ वर्ष से ऊपर हो गया साथ ही इसकी शिकायत पिछले माह अगस्त में जिला कलेक्टर से भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक किसी के द्वारा कोई सुध नही लिया जा रहा है। इस सम्बंध में ग्राम पंचायत घिरघोल निवासी अशोक दास मानिकपुरी, संजय ध्रुव, अजय ध्रुव, बड़कू निषाद, नरेश निषाद, रूखमणी पैकरा पंच, मनमोहिनी निषाद, बैशाखू ध्रुव, विजय ध्रुव, जोहन ध्रुव, पिंटू ध्रुव, मनी राम साहू, धरमु देवदास, धरमू साहू, अवध ध्रुव, राजकुमार ध्रुव पिला राम निषाद एवं घना राम सहित ग्रामीण जनों ने बताया कि उन्होंने करीब 40- 40 दिनों तक कार्य किया है जिसमें मात्र दो से ढाई हजार रुपए तक ही भुगतान किया गया है और बाकी का भुगतान करीब 10- 10 हजार रुपए और किया जाना है अभी तक नही किया गया है जिसकी मांग को लेकर गुरुवार को पुनः बलदा कछार स्थित मुख्यालय में जाकर वन परिक्षेत्र अधिकारी से मिलकर किया गया लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी एन के सिन्हा द्वारा साफ तौर पर पूर्व पदस्थ रेन्जर के कार्यकाल के किसी भुगतान किये जाने से इंकार कर दिया गया । रेन्जर द्वारा मजदूरी सहित किसी भी तरह के भुगतान करने से इंकार किए जाने से मजदूर आक्रोशित हो गए और रेन्ज ऑफिस का घेराव कर दिया और नारे लगाने लगे । मजदूरों का कहना है कि यदि एक सप्ताह के भीतर मजदूरी भुगतान नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी रेन्जर एन के सिन्हा एवं  वन विभाग की होगी । ग्रामीणों ने बताया कि इसकी शिकायत जिलाधीश सुनील जैन से भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है । उल्लेखनीय है कि जिस समय मजदूरों के द्वारा उक्त कार्य किया गया उस समय वन परिक्षेत्र अधिकारी के रूप में अनिल वर्मा पदस्थ थे जिनका स्थानांतरण धमतरी जिला के दुगली वन परिक्षेत्र हो जाने के बाद लवन वन परिक्षेत्र में एन के सिन्हा पदस्थ है जो साफ तौर पर किसी भी कार्य के भुगतान से साफ मना कर रहे हैं ।जबकि कई निर्माण कार्यो का भी मजदूरी भुगतान अभी बाकी है और इसकी जानकारी सभी अधिकारियों को भी है । इस सम्बंध में पूर्व जनपद पंचायत सदस्य कृष्ण कुमार करकाम ने बताया कि जिस समय वन परिक्षेत्र अधिकारी के रूप में श्री सिन्हा यहाँ पदस्थ हुए उस समय उनको भुगतान की बकाया होने की जानकारी दी गई थी लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया जा रहा है।

निर्माण सामग्रियों का करोड़ों का भुगतान रुका है , वेल्डिंग दुकान हुआ बन्द

वन परिक्षेत्र लवन के अंतर्गत तत्कालीन रेन्जर  अनिल वर्मा के कार्यकाल में हुए निर्माण कार्यों में कसडोल सहित विभिन्न स्थानों के निर्माण सामग्री सप्लायरों के करोड़ों रुपये के निर्माण सामग्रियों का भुगतान उनके एवं तत्कालीन डी एफ ओ विश्वेशं झा के स्थानांतरण के बाद आए नए डी एफ ओ आलोक तिवारी एवं रेन्जर एन के सिन्हा द्वारा जानबूझकर डेढ़ साल से रोक दिया गया है । वन परिक्षेत्र कार्यालय , रेन्जर एवं कर्मचारियों के आवास निर्माण के लिए ग्राम  बल्दाकछार के एक बेल्डिंग दुकान वाले को खिड़की ,दरवाजे लगाने का काम दिया गया था और उसने उनके अनुसार निर्माण कार्य पूरा कर दिया है लेकिन रेन्जर के स्थानांतरण के बाद आए नए रेन्जर द्वारा भुगतान के संबंध में अनिल वर्मा से सम्पर्क करने कहा जाता है , यहाँ पर सवाल यह उठता है कि निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाले या मजदूरों ने क्या रेन्जर अनिल वर्मा के घर का व्यकितगत काम किया है । लोगों ने शासकीय कार्य है भुगतान अवश्य होगा इस उम्मीद से कार्य किया था यदि ऐसा ही रवैया रहा तो वन विभाग क्या किसी भी विभाग को दुकानदार एक रुपये का भी उधारी देने से कतराएंगे क्योंकि कोई भी अधिकारी किसी एक स्थान के लिए अनुबंध करके सेवा में नहीं आता उनकी पोस्टिंग अस्थायी होती है और कभी भी स्थानांतरित किया जा सकता है ।

अशोक कुमार टंडन

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