• March 28, 2024 10:04 pm

भारत के संघीय ढांचे पर मोदी सरकार का एक और प्रहार, बिना चुनाव लड़े पूरे भारत पर राज करने की भाजपा की चाल

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25 जनवरी 2022 | अखिल भारतीय सेवाओं के काडर नियमों में संशोधन सहकारी संघवाद की मान्य परंपराओं के विपरीत है

रायपुर/25 जनवरी 2022। अखिल भारतीय सेवाओं के काडर नियमों में संशोधन के मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विगत दिनों आरएसएस और भाजपा के कद्दावर नेता राम माधव का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा आज उस स्थिति में पहुंच चुकी है कि बिना चुनाव लड़े ही किसी भी राज्य में सरकार बना सकती है। उसी दिशा में केंद्र की मोदी सरकार लगातार आगे बढ़ती हुई दिख रही है। बहुमत के अहंकार में राज्य सरकारों के अधिकारों को बाईपास कर लगातार नियम बदले जा रहे हैं। विदित हो कि अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती केंद्र के द्वारा की जाती है परंतु नियुक्ति राज्यों में होती है। आईएएस कैडर रूल्स 1954 के तहत आवश्यकता अनुसार राज्य सरकार और संबंधित अधिकारी की सहमति से केंद्र सरकार उन्हें डेपुटेशन पर बुला सकती है, कैडर परिवर्तन भी कर सकती है। मोदी सरकार आईएएस केडर नियम 1954 के नियम 6(2) में संशोधन करके राज्यों और अधिकारियों के अधिकारों को बाईपास करके कार्यपालिका पर दबाव बनाना चाहती है जिससे राज्यों पर सीधा नियंत्रण रख सके। संविधान के मूल भावना के विपरीत मोदी सरकार का अधिनायकवादी रवैया संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए खतरा है। निर्वाचित राज्य सरकारों के अधिकारों को बाईपास करने मोदी सरकार के द्वारा इस प्रकार ब्यूरोक्रेट्स पर दबाव बनाने का कुत्सित प्रयास निंदनीय है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि विगत 7 वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार लगातार संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने और संघीय ढांचे के खिलाफ राज्य सरकारों के अधिकारों को कम करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। देश की जनता ने देखा है कि किस प्रकार से राजभवन को भाजपा कार्यालय के रूप में संचालित किया जाने लगा है। महाराष्ट्र में आधी रात को राष्ट्रपति शासन खत्म कर, भोर होने से पहले ही बिना बहुमत कि सरकार को शपथ दिला दिया गया। विगत 7 वर्षों में ऐसी अनेकों घटनाएं है जिसमें अखिल भारतीय सेवाओं के पदस्थ अधिकारियों को मोदी सरकार के द्वारा दुर्भावना पूर्वक अनावश्यक रूप से लक्षित कर कार्यवाही की गई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय रिटायरमेंट के 1 दिन पहले मुख्य सचिव को बिना राज्य सरकार की सहमति के केंद्र में बुलाने का आदेश जारी किया गया। विधानसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के द्वारा पश्चिम बंगाल में पदस्थ तीन आईपीएस अधिकारियों को दबाव पूर्वक केंद्र में हाजिरी देने खुलेआम धमकी दी गई। पंजाब में पीएम की सुरक्षा को लेकर एसपीजी और केंद्रीय इंटेलिजेंस/सुरक्षा एजेंसियों के नाकामी का ठीकरा राज्य में पदस्थ अधिकारियों पर फोड़ने का प्रयास भी सर्वविदित है। मोदी सरकार के द्वारा प्रस्तावित संशोधन से केंद्र सरकार को अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की पदस्थापना, कैडर परिवर्तन का एक पक्षीय अधिकार प्राप्त हो जाएगा जो संविधान में वर्णित सहकारी संघवाद की मूल भावना के विपरीत है। ऐसा लगता है कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों पर एकतरफा और मनमाना नियंत्रण हासिल करके उन्हें दबाकर, डराकर, भाजपा पूरी कार्यपालिका पर अपना निरंकुश नियंत्रण बनाना चाहती है।


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