• May 15, 2024 5:53 pm

साइबर ठगी का शिकार हैं? ये स्टेप्स फॉलो करें…पैसा वापस मिल जाएगा

गाजियाबाद में रहने वाले आनंद कुमार के पास एक फोन आया…फोन करने वाले ने खुद को बैंककर्मी बताया और उनके अकाउंट में दर्ज आधार कार्ड नंबर मैच न होने की बात कहकर आधार कार्ड और पैन कार्ड की जानकारी मांग ली. बैंक का फोन समझकर आनंद ने फोन पर सारी जानकारी दे भी दी लेकिन ये क्या…? इधर फोन कटा उधर उनके अकाउंट से 90,000 रुपए उड़ गए…! आनंद परेशान…आनन-फानन में उन्होंने दोस्तों को फोन करके बताया. एक दोस्त ने इसकी शिकायत साइबर सेल में करने को कहा. शिकायत करने पर कुछ दिन बाद उनका पैसा वापस आ गया लेकिन हर कोई आनंद की तरह जागरूक और किस्मत वाला नहीं होता, क्योंकि रोजाना ऐसी हजारों घटनाएं होती हैं. आनंद कुमार उन चंद किस्मत वालों में से हैं जिन्होंने सही समय पर रिपोर्ट करवाकर अपना पैसा बचा लिया.

साइबर सेल के एक अधिकारी बताते हैं कि हमारे देश में आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्हें ये नहीं पता कि शिकायत कैसे और कहां करवानी है और कितने समय में करनी है क्योंकि आप शिकायत दर्ज कराने में जितना लेट करते हैं हमें पैसा ट्रैक करने में उतनी ही परेशानी होती है. इसलिए अगर किसी के साथ किसी तरह का ऑनलाइन फ्रॉड होता है तो उन्हें जल्द से जल्द इसकी शिकायत करवानी चाहिए. इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर और पोर्टल भी मौजूद हैं जहां आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

ठगी के पहले 30 मिनट हैं बेहद अहम

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ऑनलाइन ठगी में एक-एक मिनट अहम होता है, क्योंकि सारा खेल ऑनलाइन खेला जाता है, मिनटों में पैसा यहां से वहां ट्रासंफर होता है. इसलिए इसमें पहले 30 मिनट बेहद मायने रखते हैं. इस समय के गणित को ऐसे समझिए. साइबर ठग एक बार पीड़ित का पैसा अकाउंट से निकालने में अगर सफल हो जाते हैं तो उनका सारा जोर इस बात पर होता है कि किसी तरह ये पैसा कैश के रूप में ATM से निकाल लिया जाए या फिर देश से बाहर पहुंचा दिया जाए. ये दोनों ही स्थिति किसी केस में पैसे की रिकवरी बेहद मुश्किल कर देती हैं. उदाहरण के लिए अगर आपके साथ साइबर ठगी होती है तो ठग उस पैसे को अनजान अकाउंट या मनी वॉलेट में पहुंचाता है. फिर वहां से किसी एटीएम से रकम बाहर निकालने की कोशिश करता है. मोटे तौर पर बहुत तेजी दिखाने पर भी इसमें करीब 30 मिनट का समय लगता है. यही वो समय है जिसमें अपने साथ हुई ठगी की जानकारी साइबर सेल में देनी होती है. 30 मिनट बीत जाने पर ये पैसा कहीं का कहीं पहुंच जाता है और बैंकिंग सिस्टम से निकाल लिया जाता है जिसके बाद इसे ऑनलाइन प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है, अब ये पैसा तभी रिकवर हो पाता है जब मुजरिम को गिरफ्तार कर लिया जाए और उसके पास से पैसे बरामद हो जाएं.

स्टेप -1

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि ऑनलाइन फ्रॉड होने की स्थिति में चुप न बैंठे बल्कि अपने साथ हुई इस जालसाजी की रिपोर्ट करवाएं. इसके लिए सबसे पहले जिस अकाउंट या डेबिट/क्रेडिट कार्ड/मास्टर कार्ड से पैसा निकला है उसे तुरंत ब्लॉक करवाएं. अपने बैंक से संपर्क करें और उन्हें पूरा मामला बताकर अपना अकाउंट या कार्ड फ्रीज करने को कहें ताकि उससे और अधिक ट्रांजेक्शन न हो पाए.

स्टेप -2

अकाउंट फ्रीज करवाने के बाद इसका दूसरा स्टेप है जल्द से जल्द इस अपराध की रिपोर्ट करवाना. ऑनलाइन ठगी की रिपोर्ट करवाने के तीन तरीके हैं- जिनमें पहला है साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करना, दूसरा इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर करना और तीसरा अपने नजदीकी साइबर क्राइम थाने में इसकी रिपोर्ट लिखवाना. ये बात जानना बेहद जरूरी है कि आपके साथ फ्रॉड देश के किसी भी हिस्से में हुआ हो आप कहीं भी उसकी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं.

हेल्पलाइन नंबर

आपको सबसे पहले अपने साथ हुई ठगी की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 या 155260 पर करनी चाहिए. इस हेल्पलाइन पर फोन करने के बाद वो आपसे आपकी लोकेशन और अन्य जानकारियां मांगते हैं, जिसके बाद आपकी शिकायत दर्ज करके उस पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. हालांकि पूरे देश में एक ही हेल्पलाइन नंबर 1930 होने के कारण ये नंबर काफी वयस्त होने की शिकायतें आती रहती हैं. इसलिए आप इस नंबर पर बार-बार फोन करते रहें और किसी दूसरे नंबर से भी इसे मिलाने की कोशिश करते रहें. जानकार मानते हैं कि सरकार को इस तरह के अपराधों को देखते हुए और कई हेल्पलाइन नंबर शुरू करने चाहिए ताकि लोगों की शिकायत जल्द से जल्द रिपोर्ट हो सकें.

ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत

ऑनलाइन फ्रॉड को रजिस्टर करने के लिए National Cybercrime Reporting Portal (www.cybercrime.gov.in) बनाया गया है. पोर्टल पर शिकायत करने के बाद यहां मौजूद अधिकारी आपको खुद फोन करके अपराध से जुड़ी हर जानकारी मांगते हैं और कार्रवाई करते हैं.

आरबीआई का पोर्टल

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इन बढ़ते अपराधों पर बेहद चिंतित है इसलिए इन अपराधों को कम करने के लिए आरबीआई ने भी एक शिकायत पोर्टल की शुरूआत की हुई है. https://cms.rbi.org.in पर आप अपने साथ हुए ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं. जिसमें आपसे कुछ जरूरी जानकारियां मांगी जाती हैं. इसके बाद वो खुद आपको संपर्क करते हैं और मामला सुलझाते हैं.

साइबर सेल में रिपोर्ट

रिपोर्ट करने का तीसरा सबसे आसान तरीका है खुद जाकर नजदीकी साइबर थाने में इसकी रिपोर्ट करना, जहां बैठे पुलिस अधिकारी आपकी रिपोर्ट लिखते हैं और उसपर कार्रवाई करते हैं. आप इसकी रिपोर्ट अपने किसी भी नजदीकी थाने में जाकर भी करवा सकते हैं वो आपकी रिपोर्ट को रजिस्टर कर उसे साइबर क्राइम सेल को भेज देते हैं.

कैसे काम करती है हेल्पलाइन?

ऐसे में आपके द्वारा दी गई सूचना सही और पर्याप्त होनी चाहिए ताकि आपका जांच अधिकारी (आईओ) ठीक से काम कर सके. ये बेहद जरूरी है कि जब आप पोर्टल पर या अपने आईओ को इसकी जानकारी दें तो जानकारी साफ और सही हो. स्क्रीन शॉट क्लियर हो ताकि सभी अंक साफ-साफ दिखाई दें. जिससे इसको ट्रेस करना आसान हो. अगर आप सही और साफ जानकारी नहीं देंगे तो आपके आईओ को इस पर काम करना मुश्किल होगा. इन सभी जानकारियों को जानने के बाद साइबर सेल के लिए सबसे बड़ा टास्क होता है बैंकिंग सिस्टम में ही पैसे को फ्रीज करके सेफ करना. हेल्पलाइन नंबर के साथ पूरे देश के प्राइवेट बैंक, सरकारी बैंक और सभी तरह के मनी वॉलेट जुड़े हुए हैं. जैसे ही आप इसपर अपनी शिकायत रजिस्टर करवाते हैं वैसे ही ऑटोमैटिकली आपकी दी सूचना के आधार पर उस बैंक या मनी वॉलेट को फ्रीज कर दिया जाता है. उसमें जितना भी अमाउंट हैं उसको फ्रीज कर दिया जाता है और अगर पैसा उस अकाउंट से किसी दूसरे अकाउंट पर भी भेजा गया है तो उस संबंधित अकाउंट को भी फ्रीज कर दिया जाता है.

कैसे होता है पैसा बचाने का काम?

इसके लिए साइबर सेल ट्रांजेक्शन आईडी और रेफरेंस नंबर सर्च करती है. मालूम हो कि बैंकिंग सिस्टम में हर पेमेंट ट्रांसफर होने की एक ट्रांजेक्शन आईडी और रेफरेंस नंबर होता है. साइबर पुलिस उसी ट्रांजेक्शन आईडी को ट्रैक करते हुए जिस अकाउंट में पैसा गया है उस बैंक में अपने नोडल अधिकारी को ईमेल पर सूचित करके पैसा फ्रीज करवाती है. हर बैंक में साइबर सेल का एक नोडल अधिकारी होता है जो इस तरह की ही ट्रांजेक्शंस पर काम करता है. ऑनलाइन फ्रॉड को लेकर हर बैंक की अपनी अपनी पॉलिसी है. ऐसे में कई बैंक उस अकाउंट को ही फ्रीज कर देते हैं जिसमें पैसे ट्रांसफर हुए हैं और कुछ बैंक पूरे अकाउंट को फ्रीज न करके उतनी रकम को फ्रीज कर देते हैं जितने की ट्रांजेक्शन हुई हो. लेकिन अगर उस अकाउंट या बैंकिंग सिस्टम से पैसे निकल चुके हैं तो फिर इसकी जांच दूसरे तरीके से की जाती है. आपको इस सारे प्रोसेस की जानकारी मैसेज के द्वारा आपके फोन पर लगातार दी जाती है ताकि आप भी अपने मामले की पूरी प्रोग्रेस जान सकें.

ऐसे की जाती है ठगों की लोकेशन को ट्रेस

इसके बाद साइबर पुलिस अधिकारी उस नंबर या लिंक को ट्रेस करते हैं जिससे फोन आया हो या जिस लिंक पर क्लिक करके पैसा कटा हो. मालूम हो कि हर फोन का एक IMEI नंबर होता है ऐसे ही हर कंप्यूटर का एक IP Address होता है जिसे ट्रेस करके फोन और कंप्यूटर की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है. हालांकि आजकल साइबर जालसाज विदेशी VPN का इस्तेमाल करते हैं जिससे लोकेशन का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसमें विदेशों की लोकेशन दिखाई देती है. ऐसे में फोन की लोकेशन को ट्रेस किया जाता है.

इसके अलावा जिस बैंक अकाउंट से पेमेंट गई है उस बैंक अकाउंट से लिंक्ड नंबर और पते की भी जांच की जाती है. इस तरह उनकी जांच का दायरा बढ़ता जाता है और अपराध की कड़ियों को जोड़ा जाता है. जिससे ऐसे जालसाजों को पकड़ना आसान हो जाता है. बड़े अमाउंट की धोखाधड़ी के लिए साइबर सेल की एक अलग टीम काम करती है. इसे IFSO यूनिट के नाम से जाना जाता है. ये काफी जल्दी और अलग तरीके से केस को डील करते हैं.

साइबर ठगी कर विदेशों में हो रहा पैसा ट्रांसफर

एक साइबर सेल पुलिस अधिकारी बताते हैं कि ऑनलाइन अपराध का दायरा काफी बड़ा है लेकिन आजकल सबसे ज्यादा अपराध टेलीग्राम ऐप के जरिए किया जा रहा है. इस तरह की ठगी का शिकार पढ़े लिखे लोग यहां तक कि सरकारी टीचर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और कई बड़े व्यवसायी भी हो चुके हैं. जिनसे 30,000 रुपये से लेकर 30 लाख रुपए तक की ठगी की जा चुकी है. इसकी जांच से पता लगता है कि पैसा मनी म्यूल (Money Mule) के कई खातों से होता हुआ विदेशों तक जाता है. मनी म्यूल वो लोग होते हैं जो चंद पैसों के लालच में अपने अकाउंट से पैसों की ट्रांजेक्शन दूसरे अकाउंट्स में करते हैं. इनमें पैसा एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में फिर तीसरे अकाउंट में घूमता रहता है और अंत में विदेशों में बैठे लोगों के पास पहुंच जाता है. हमारे देश में जो इस तरह के फ्रॉड हो रहे हैं वो पैसा दुबई, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों में ट्रांसफर हो रहा है.

जागरूकता है बेहद जरूरी

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि आज की तारीख में ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए बेहद जरूरी है कि लोग पूरी सावधानी बरतें, क्योंकि ये समझना होगा कि कोविड-19 के बाद ‘गोल्डन एज ऑफ साइबर क्राइम’ का आरंभ हो चुका है और ये गोल्डन एज कई दशकों तक रहने वाला है. लोगों को समझना होगा कि वो अपनी जानकारी को ज़रूरी होने पर ही शेयर करें. किसी अनजान शख्स के साथ या किसी गलत जगह पर अपनी जानकारी साझा न करें. दूसरी बात अपनी पर्सनल फोटोज को पब्लिक डोमेन या सोशल मीडिया पर शेयर न करें क्योंकि इससे भी अपराध होने का खतरा बढ़ता है. साथ ही हमें साइबर सुरक्षा को जीवन जीने की कला के रूप में अपनाना होगा, वर्ना ये जालसाज ऐसे ही लोगों को अपना शिकार बनाते रहेंगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

source tv9 bharatvarsh

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