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केंद्र को कर्ज़ लेकर जीएसटी की राशि देने के लिए कहना बघेल का बड़बोलापन और संघीय ढाँचे की भावना के विपरीत आचरण : भाजपा

ByPrompt Times

Sep 2, 2020
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साय का सवाल : अप्रैल में कर्ज़ की सीमा 06 प्रतिशत बढ़ाने की मांग करने वाले बघेल अब कर्ज़ क्यों नहीं ले रहे हैं
मुख्यमंत्री आपदाकाल में सियासी नौटंकियों और अनर्गल प्रलाप से बाज आकर संघीय ढाँचे का सम्मान करें

रायपुरभारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने आपदाकाल में भी प्रदेश सरकार द्वारा जीएसटी को लेकर की जा रही सियासी नौटंकी पर तीखा प्रहार किया है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की राशि के लिए कर्ज़ लेने की सलाह पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा उल्टे केंद्र को कर्ज़ लेकर राज्य को जीएसटी की राशि देने के लिए कहना न केवल बड़बोलापन है, अपितु संघीय ढाँचे की भावना के नितांत विपरीत आचरण है। श्री साय ने कहा कि प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में धँसा चुकी प्रदेश सरकार कर्ज़ की सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिखती है और अब इसकी अनुमति मिलने पर ना-नुकुर करके अपना ओछा राजनीतिक चरित्र प्रदर्शित कर रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि जीएसटी की राशि को लेकर मुख्यमंत्री बघेल केंद्र सरकार के साथ अकारण ही टकराव के हालात पैदा करके संघीय ढाँचे की अवमानना कर रहे हैं। जब केंद्र सरकार ने जीएसटी की राशि के लिए कर्ज़ लेने का विकल्प राज्य सरकार के समक्ष रखा है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल इस विकल्प को नकारकर यह साबित कर रहे हैं कि उन्हें जीएसटी की राशि से कोई ख़ास सरोकार नहीं है, बल्कि इस बहाने वे एक नई राजनीतिक नौटंकी कर रहे हैं और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपने अनर्गल प्रलाप का बहाना तलाश रहे हैं। श्री साय ने कहा कि 30 अप्रैल, 2020 को मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कर्ज़ लेने की सीमा 06 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग की थी तो अब अनुमति मिलने के बाद उसे क्या दिक्कत है? इसका सीधा मतलब यही है कि प्रदेश सरकार इस आपदाकाल में भी निम्न स्तर की राजनीति से बाज नहीं आ रही है।

श्री साय ने कहा कि इसी तरह प्रदेश सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर 03 माह के लिए नि:शुल्क राशन मांगा और जब केंद्र सरकार ने 05 माह का नि:शुल्क राशन देने का एलान किया तो प्रदेश सरकार ने उसे यह कहकर नहीं उठाया कि हमारे पास पर्याप्त राशन है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कर्ज़ की सीमा बढ़ाने की मांग तब की थी, जब प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण हालात उतने बुरे नहीं थे। आज तो हालात ये हैं कि प्रदेश में कोरोना की रोकथाम की तमाम व्यवस्थाएँ ठप पड़ी हुई हैं, प्रदेश के हर वर्ग के लोग कोरोना संक्रमण की ज़द में आ रहे हैं, सारे अस्पताल कोरोना संक्रमितों के चलते फुल हैं, कोरोना की रोकथाम के इंतज़ामात और कोरोना संक्रमितों के उपचार की व्यवस्था को देखने वाला कोई नज़र नहीं आ रहा है, और प्रदेश सरकार जब-तब मुँह उठाए केंद्र सरकार से पैसे मांगने लगती है। श्री साय ने जानना चाहा कि जब कोरोना की रोकथाम में प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है तो वह आख़िर पैसों का करती क्या है? और, बार-बार वह केंद्र से पैसे ही क्यों मांगती रहती है? श्री साय ने कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या प्रदेश सरकार को केंद्र से पैसे इसीलिए चाहिए ताकि वह यहाँ 580 रुपए प्रतिकिलो टमाटर ख़रीदे, बोर का पानी पिलाकर सीलबंद पानी बोतल का बिल पेश करे, सरकारी राशन का चावल खिलाकर बाजार मूल्य की दर पर उसकी ख़रीदी दर्शा सके? श्री साय ने मुख्यमंत्री बघेल को आपदाकाल में अपनी सियासी नौटंकियों और अनर्गल प्रलाप से बाज आकर संघीय ढाँचे का सम्मान करने की नसीहत दी है।

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