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भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बिखर गया आदिवासी आंदोलन, नामांकन वापसी के बाद बचा सिर्फ एक प्रत्याशी

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  23 नवंबर 2022 |  छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज की उस मुहिम को करारा झटका लगा है जिसमें उन्होंने हर पंचायत से एक प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी। आदिवासियों के आरक्षण में कटौती का विरोध करने के लिए आदिवासी समाज ने विधानसभा क्षेत्र की सभी 85 पंचायतों से एक-एक प्रत्याशी को मैदान में उतारने की योजना बनाई थी। 42 पंचायतों से एक एक अभ्यर्थी ने नामांकन पत्र भी खरीदा था। हालांकि सभी ने नामांकन दाखिल नहीं किया।

समाज के प्रतिनिधियों में 15 का नामांकन सही दस्तावेजों के साथ जमा नहीं करने के खारिज हो गया। नामांकन पत्र की जांच के बाद 21 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने आदिवासी समाज के 11 सदस्यों को अपने पाले में कर लिया। अन्य ने मैदान छोड़ दिया। अब मैदान में सिर्फ सात प्रत्याशी है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस की सावित्री मंडावी व भाजपा के ब्रम्हानंद नेताम के बीच ही बचा है। आदिवासी समाज के बैनर पर अब एक ही प्रत्याशी पूर्व आइपीएस अकबर राम कोर्रार चुनाव मैदान में हैं। सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी उन्हें ही वोट देने की शपथ दिला रहे हैं।
लोकतंत्र का माखौल उड़ाने की मुहिम को झटका
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज ने हर पंचायत से एक प्रत्याशी उतारने की घोषणा करके लोकतंत्र का माखौल उड़ाने की कोशिश की थी। अपने राजनीतिक एजेंडे को साधने के लिए समाज को आगे किया गया, जिसका समाज के प्रतिनिधियों ने आखिरी समय पर प्रतिकार कर दिया। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआइ एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन जिस तरीके से समाज का राजनीतिकरण करने की कोशिश की गई, वह गलत परंपरा को बढ़ावा देने की शुस्र्आत है। उन्होंने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से चंदूलाल साहू नाम के 11 प्रत्याशी मैदान में थे। यह भाजपा प्रत्याशी चंदूलाल साहू को रोकने के लिए किया गया था, लेकिन अंत समय में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को हार का सामना करना पड़ा था।
वोट न देने की शपथ दिलाना गलत: सीएम बघेल
सर्व आदिवासी समाज की ओर से कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी को वोट न देने की शपथ दिलाने की खबरों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वोट मांगने का अधिकार सबको है, लेकिन मतदाता को बाध्य करना उचित नहीं है। यह नियमों के भी विपरीत है। आप अपने विचार रख सकते हैं, अपनी योजनाओं के बारे में बता सकते हैं। प्रत्याशी के बारे में बता सकते हैं। मैं समझता हूं कि निर्वाचन आयोग को इसको देखना चाहिए।

सोर्स :-“नईदुनिया”                                

 


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