03 दिसंबर 2022 | नगर निगम ने अवैध निर्माण के नियमितीकरण की कार्यवाही शुरू कर दी है, इसके साथ ही दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। अवैध निर्माण वैध करवाने के लिए कंसल्टेंट्स ने भी कई जगह सड़कों पर अपने पोस्टर चस्पा कर दिए हैं। कुछ जोनों में अवैध रूप से वसूली के मामले भी सुनने को मिल रहे हैं। इनके साथ ही जोन नौ और 10 से शिकायत मिल रही है कि स्पाट पर ही नियमितीकरण करवाने का दावा लोगों से किया जा रहा है। निगम मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है लोग सीधे जोन कार्यालय में जाकर नियमितीकरण के लिए आवेदन करें। कलेक्टर स्तर पर बनाई गई समिति ही आवेदनों पर अंतिम निर्णय लेगी। शहर के ढाई लाख से ज्यादा मकानों और 200 से ज्यादा व्यावसायिक भवनों में से सिर्फ नौ हजार को अब तक नियमितीकरण कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है। निगम के नियमानुसार नहीं बनने वाले मकानों की संख्या इससे कई गुना है।
निगम के नियमानुसार मकान बनवाने के लिए नक्शा पास करवाना अनिवार्य है। मकान का विस्तार करवाने के लिए यानी एक मंजिल से बढ़ाकर दूसरी मंजिल या खाली जगह पर निर्माण करवाने के लिए भी एनओसी लेना अनिवार्य है। 10 प्रतिशत तक बिना अनुमति निर्माण को वैध माना जाता है। लेकिन लोगों ने 30 प्रतिशत तक विस्तार बिना अनुमति के किया है।
व्यावसायिक भवनों के लिए पार्किंग अनिवार्य
व्यावसायिक भवनों में पार्किंग के लिए जगह होना अनिवार्य है। क्षेत्रफल के हिसाब से कितनी गाड़ियां खड़ी होने की जगह होनी चाहिए, यह पहले ही तय कर लिया जाता है। इसके बावजूद ज्यादातर भवनों में पार्किंग के लिए जगह नहीं है। इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अब तक 1700 से ज्यादा आवेदन
शहर में नए सिरे से नए नियमों के तहत नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके तहत जोन स्तर पर आवेदन लिए जा रहे हैं। अब तक 1700 लोगों के ही आवेदन आए हैं।
राजीनामा का सटीक रिकार्ड निगम के पास नहीं
नियमितीकरण के नियमों से पहले राजीनामा की प्रक्रिया चलती रही है, लेकिन कितने भवनों का राजीनामा किया गया है और इससे कितना शुल्क निगम को मिला है, इसका रिकार्ड भी अफसरों के पास नहीं है। कितने भवनों का निर्माण अवैध, जिन्हें नोटिस नहीं जारी किया गया है, इसकी जानकारी तक निगम को नहीं है।
वर्जन
नियमितीकरण के लिए प्रक्रिया जारी है, अब तक 1700 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। लोगों को सीधे जोन कार्यालय में ही इसके लिए आवेदन करना चाहिए। किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए, क्योंकि इस पर अंतिम निर्णय कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति ही लेगी।
सोर्स :-“नईदुनिया”