• April 19, 2024 11:28 pm

संयुक्त राष्ट्र की रेसिपी बुक में शामिल हुए चौलाई के लड्डू, चिन्मय शाह ने भेजी थी रेसिपी

ByPrompt Times

Aug 17, 2020
संयुक्त राष्ट्र की रेसिपी बुक में शामिल हुए चौलाई के लड्डू, चिन्मय शाह ने भेजी थी रेसिपी

चौलाई से तो हर कोई परिचित होगा और चौलाई के लड्डू भी खूब खाए होंगे। इसके बावजूद जिस चौलाई को पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादा तवज्जो नहीं देते, उसी चौलाई से बनने वाले लड्डू को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी रेसिपी बुक में स्थान दिया है। यानी चौलाई से बनने वाले लड्डू का स्वाद अब दुनियाभर के लोग ले सकेंगे।

बता दें कि पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व कृषि संगठन और माउंटेन पार्टनरशिप की ओर से एक रेसिपी बुक प्रकाशित की गई, इसमें दुनिया भर के पर्वतीय इलाकों के 30 पारंपरिक और पौष्टिक व्यंजनों की रेसिपी को शामिल किया है। इस रेसिपी बुक में चौलाई के लड्डू को भी स्थान मिला है। बुक को प्रकाशित करने से पहले वर्ष 2019 में अंतरराष्ट्रीय माउंटेन दिवस के मौके पर फूड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन और माउंटेन पार्टनरशिप ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी।
इसमें दुनिया के पर्वतीय इलाकों के पारंपरिक और पौष्टिक व्यंजन की रेसिपी आमंत्रित की गई थी। 27 देशों से 70 प्रविष्टियां शामिल हुईं। निर्णायकों ने 30 व्यंजनों की रेसिपी का चयन किया। प्रतियोगिता में अल्मोड़ा के चौखुटिया मासी क्षेत्र स्थित इनहेयर संस्था के चिन्मय शाह ने चौलाई के लड्डू की रेसिपी भेजी, जो निर्णायकों को खूब पसंद आई। 76 पेजों की इस बुक में प्रत्येक व्यंजन की रेसिपी के साथ उसके पौष्टिक तत्वों के बारे में बताया गया है। साथ ही रेसिपी भेजने वाले का नाम भी बुक में दर्ज है।
रामदाना भी है इसका नाम 

चौलाई को रामदाना भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ऐमारेंथस क्रुऐंटस है। इसके आटे से रोटी, पराठा या हलवा भी बनाया जाता है। नवरात्र में व्रत रखने वाले इसके लड्डू भी खाते हैं।

बेहद फायदेमंद है रामदाना 

रामदाना पौष्टिक तो है ही, साथ ही इसका सेवन शरीर के लिए फायदेमंद भी है। डॉक्टरों के मुताबिक चौलाई में आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। यह प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है।

ठठ्वाणी भी है रेसिपी बुक में शामिल 

संयुक्त राष्ट्र संघ की रेसिपी बुक में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन ठठ्वाणी को भी स्थान मिल चुका है। ठठ्वाणी की रेसिपी नैनीताल के हिमालयी अनुसंधान और विकास संस्थान चिनार के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप मेहता ने भेजी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *