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कोरोना महामारी: दुनियाभर में पहुंचेगा छत्तीसगढ़ के वनवासियों का इम्युनिटी बूस्टर ‘कोविड कवच’

ByPrompt Times

May 31, 2021

रायपुर l 31-मई-2021 l छत्तीसगढ़ के वनवासियों का इम्युनिटी बूस्टर अब ‘कोविड कवच’ के रूप में दुनियाभर के लोगों को कोरोना से लड़ने की ताकत देगा। केंद्रीय एजेंसी भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्रायफेड) कोविड कवच का गिफ्ट पैक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) दुनियाभर में योग के प्रतिभागियों को बांटा जाएगा।

कोविड कवच के गिफ्ट पैक भारतीय दूतावासों के माध्यम से बांटा जाएगा

राज्य लघु वनोपज संघ प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि ट्रायफेड के माध्यम से फिलहाल कोविड कवच के सौ गिफ्ट पैक न्यूयार्क भेजे जा रहे हैं। इसके आधार पर जिनती भी मांग आएगी उसकी आपूर्ति की जाएगी। अफसरों ने बताया कि कोविड कवच भारतीय दूतावासों के माध्यम से बांटा जाएगा। इसके लिए ट्रायफेड व भारतीय दूतावासों के बीच हुए एक समझौता हुआ है। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोहों में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को उपहार हर्बल उत्पाद गिफ्ट किए जाएंगे। इसके लिए ट्राइफेड ने छत्तीसगढ़ के हर्बल उत्पादों का चयन किया है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हर्बल उत्पाद

वन विभाग के अफसरों ने बताया कि कोविड कवच गिफ्ट हैंपर में आंवला व इमली की कैंडी के साथ चिरौंजी दाना, आंवला पाचक, आर्गेनिक बस्तर काजू, शुद्ध शहद और ग्रीन टी के साथ विभिन्न प्राकृतिक अव्यवयों से निर्मित हर्बल साबुन व फेस पैक शामिल रहेगा।

वन धन केंद्रों के माध्यम से होता है तैयार

प्रदेश में करीब सवा सौ से अधिक वनधन केंद्र हैं, जहां से लघु वनोपज की बिक्री की जाती है। इनमें से ज्यादातर वनधन केंद्रों का संचालन महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा रायपुर समेत विभिन्न् शहरी क्षेत्रों में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक खुदरा बिक्री केंद्र हैं। इन केंद्रों में भी लघुवनोपज से तैयार विभिन्न् उत्पाद और औषधि मिलते हैं।

कोरोना से सुरक्षित वनवासी क्षेत्र

छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के ज्यादातर राज्य में वनवासी क्षेत्र शहरों की अपेक्षा कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित हैं। बस्तर संभाग इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कोरोना की दूसरी लहर जब पूरा राज्य कराह रहा था, तब भी घने वन क्षेत्रों में वनवासी अपने वन आधारित खानपान और दिनचर्या की वजह से पूरी तरह सुरक्षित थे।

Source : “जागरण”

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