03 सितम्बर 2022 | 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की दूसरी प्रमुख रस्म ‘डेरी गड़ाई’ 8 सितंबर को सिरहासार भवन में होगी। इस रस्म के साथ ही नए रथ का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। सिरहसार के सामने तैयारियां चल रही हैं। इसके अवाला सितंबर माह में बस्तर दहशरा की डेरी गड़ाई की रस्म के साथ कुल 4 सबसे महत्वपूर्ण रस्म अदा की जाएगी। इनमें 25 सितंबर को काछन जात्रा विधान, 26 सितंबर को कलश स्थापना और जोगी बिठाई विधान होगा। साथ ही 27 सितंबर को नवरात्र पूजा विधान संपन्न होगा।
दरअसल, डेरी गड़ाई रस्म अदा करने के लिए बस्तर के ही एक गांव से साल की दो शाखायुक्त 10 फीट की लकड़ी लाई जाती है। इसे हल्दी का लेप लगाकार प्रतिस्थापित किया जाता है। इसे डेरी कहा जाता है और इसकी स्थापना डेरी गड़ाई कहलाती है। सिरहासार भवन में दो स्तंभों के नीचे जमीन खोदकर पहले उसमें अंडा और जिंदा मोंगरी मछली डाली जाती है। फिर उन गड्ढों में डेरी स्थापित किया जाता है। इस रस्म के बाद बस्तर दशहरा के विशाल लकड़ी के रथों का निर्माण शुरू हो जाता है। डेरी गड़ाई की रस्म के बाद रथ निर्माण के लिए लकड़ियां लानी शुरू हो जाती है।
साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ी से बनता है रथ
बस्तर दशहरा के लिए बनने वाले रथ में केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। डेरी गड़ाई रस्म अदा करने के बाद ही तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल तो वहीं साल की लकड़ियों से रथ का निर्माण होता है। परंपरा अनुसार बस्तर के झारउमरगांव और बेड़ाउमरगांव के ग्रामीण ही रथ का निर्माण करते हैं। रथ बनाने के लिए आधुनिक औजारों का नहीं बल्कि पारंपरिक औजारों का ही उपयोग किया जाता है। दशहरा में कुल 3 रथ की परिक्रमा कराई जाती है।
सोर्स :- “दैनिक भास्कर”