30 मई 2022 | भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी बनाए गए डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल और संगीता यादव ने राजनीति के माहिर खिलाड़ियों को दोबारा पटखनी दी है। डॉ. राधा मोहन ने 2002 के विधानसभा चुनाव में जहां शिव प्रताप शुक्ला को हराया था, वहीं संगीता ने जय प्रकाश निषाद को चुनाव हराकर राजनीति में धमाकेदार एंट्री की थी। अब शिव प्रताप व जय प्रकाश का टिकट काटकर पूर्व विधायकों को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। यानी डॉ. राधा मोहन व संगीता राज्यसभा सदस्य की दावेदारी पर भी भारी पड़े हैं।
शिव प्रताप को दोबारा मिली शिकस्त
शहर विधानसभा क्षेत्र से 20 वर्षों तक विधायक रहे डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। इसकी झलक भी राज्यसभा की प्रत्याशिता के साथ मिल गई है। दरअसल, डॉ. राधा मोहन ने पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला को राजनीति में दूसरी बार शिकस्त दी है। भाजपा ने इस बार डॉ. राधा मोहन को प्रत्याशी बनाया, जबकि शिव प्रताप का टिकट काट दिया। इससे पहले 2002 के विधानसभा चुनाव में भी डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल और शिव प्रताप शुक्ला आमने-सामने थे।
भाजपा ने कद्दावर नेता शिव प्रताप शुक्ला को प्रत्याशी बनाया था तो तब पार्टी नेतृत्व के फै सले नाराज तत्कालीन सांसद (अब मुख्यमंत्री) महंत योगी आदित्यनाथ ने डॉ. राधा मोहन दास को अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतार दिया। राजनीतिक दलों के बीच जोर आजमाइश हुई, लेकिन एबीएचएम के प्रत्याशी भारी पड़े। डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल बड़े अंतर से चुनाव जीत गए। यही नहीं, भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे शिव प्रताप शुक्ला खिसकर तीसरे स्थान पर चले गए थे, जबकि शिव प्रताप शहर विधानसभा क्षेत्र से ही लगातार चुनाव जीत रहे थे। वह 1989 से 2002 तक शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे।
प्रत्याशी | कुल मिले मत | फीसदी |
डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (एबीएचएम) | 38,830 | 39.29 |
प्रमोद कुमार टेकड़ीवाल (सपा) | 20,382 | 20.62 |
शिव प्रताप शुक्ला (भाजपा) | 14,509 | 14.68 |
डॉ. राधा मोहन दास के बारे में
पूर्व विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ हैं। 1976 में बीएचयू से एबीबीएस किया, फिर बीएचयू से ही एमडी पीडियाट्रिक्स की पढ़ाई पूरी की। 1981 से 1986 तक बीएचयू में शिक्षण कार्य भी किया। जूनियर डॉक्टर संघ के अध्यक्ष बने, फिर मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की प्रदेश व राष्ट्रीय इकाई के महासचिव बने। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे हैं। आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच, विश्व संवाद केंद्र, कश्मीर बचाओ मंच और प्रज्ञा प्रवाह के साथ जुड़कर काम किया। गोरखपुर आए तो गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ और महंत योगी आदित्यनाथ के साथ काम शुरू किया। 2002 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गए। वह 2022 तक विधायक थे।
जय प्रकाश पर फिर भारी पड़ीं संगीता यादव
चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं संगीता यादव और वर्तमान राज्यसभा सदस्य जय प्रकाश निषाद 2017 के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने थे। संगीता को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया तो जय प्रकाश बसपा के टिकट पर उतरे थे। चुनाव परिणाम आए तो संगीता भारी पड़ीं। जय प्रकाश तीसरे स्थान पर चले गए। हालांकि, जय प्रकाश इसी विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2012 का चुनाव बसपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन 2017 के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।
विधानसभा चुनाव के बाद ही जय प्रकाश ने बसपा से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने क्षेत्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। इसी बीच गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन से खाली राज्यसभा सीट के लिए जय प्रकाश को प्रत्याशी बना दिया गया। लिहाजा, वह चुनकर नई दिल्ली चले गए। जय प्रकाश का कार्यकाल तीन वर्ष का रहा है। अब संगीता ही जय प्रकाश की राजनीतिक दावेदारी पर भारी पड़ी हैं। पार्टी नेतृत्व का भरोसा जीतकर संगीता ने राज्यसभा का टिकट हासिल कर लिया है।
प्रत्याशी | कुल मिले मत | फीसदी |
संगीता यादव (भाजपा) | 87,863 | 45.63 |
मनुरोजन यादव (सपा-कांग्रेस) | 42,203 | 21.92 |
जय प्रकाश निषाद (बसपा) | 37,478 | 19.46 |
संगीता के बारे में
संगीता यादव ने गाजियाबाद से एलएलबी किया है। दिल्ली से डिप्लोमा भी किया है। वह 2013 से राजनीति कर रही हैं। 2017 में रिकार्ड वोटों के अंतर से चुनाव जीती थीं। 2022 के चुनाव में टिकट जरूर कट गया, लेकिन पार्टी ने महिला मोर्चा का राष्ट्रीय मंत्री बना दिया। संगीता महिला मोर्चा की दिल्ली प्रभारी भी हैं। संगठन में अच्छी पकड़ है। संगीता के पति आयकर आयुक्त हैं। उनका एक बेटा है।
Source;-“अमरउजाला”