कोरोना काल में बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए अपने बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धाश्रम छोड़ना चाहते हैं. इतना ही नहीं, वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों से उनके बहू-बेटों और परिवार वालों ने कोरोना वायरस की वजह से दूरी बना ली है. अब इन बुजुर्गों को लगता है कि उनका परिवार उनसे दूर हो गया है.
अहमदाबाद के वृद्धाश्रम में रहने वाली संयुक्ता पंड्या की उम्र 92 साल है. वो पिछले 22 साल से अहमदाबाद के वृद्धाश्रम में रहती हैं. संयुक्ता पंड्या का एक बेटा, बहू और पूरा परिवार है. पहले उनका बेटा और परिवार मिलने वृद्धाश्रम में आ जाते थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते उन लोगों ने आना ही बंद कर दिया है और दूरी बना ली है. संयुक्ता पांड्या का कहना है कि कोरोना वायरस ने परिवार से ही दूर कर दिया है.
अहमदाबाद के वृद्धाश्रम में संयुक्ता पंड्या अकेले नहीं हैं, बल्कि यहां 160 से ज्यादा वृद्ध रहते हैं. कोरोना वायरस ने इन बुजुर्गों के हालात को और दयनीय बना दिया है. इसके अलावा काफी लोग अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में छोड़ना चाहते हैं.
अहमदाबाद के जीवन संध्या वृद्धाश्रम के ट्रस्टी डिम्पल शाह का कहना है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोग बुजुर्गों को घर में रखना ही नहीं चाहते हैं. जो बुजुर्ग वृद्धाश्रम में पहले से रह रहे हैं, अब उनसे उनके परिवार वाले मिलने भी नहीं आते हैं.
वृद्धाश्रम के ट्रस्टी की मानें तो कोरोना की वजह से वृद्धाश्रम में अपने बुजुर्ग माता-पिता को रखने के लिए इन्क्वायरी आ रही है. कोरोना महामारी में अहमदाबाद शहर के वृद्धाश्रम में इन्क्वायरी बढ़ती जा रही है. वृद्धाश्रम संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन के समय से इन्क्वायरी में 25 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
AAJTAK