सरकार व प्रशासन पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहा है। वहीं, किसान भी अब जागरूक हो रहे हैं और पराली प्रबंधन को अपना रहे हैं। जिले के कई किसान पराली का प्रबंध समूचे ढंग से कर रहे हैं। वे पराली को खेत में जोत रहे हैं या या गांठें बनाकर इसकी संभाल कर रहे हैं। गांव घुमियारा तहसील मलोट के किसान मलकीत सिंह ने बताया कि वह चार साल से धान की पराली को आग नहीं लगा रहे हैं। पराली की फसल के बाद गेहूं की बिजाई करते हैं। मलकीत सिंह ने बताया कि उनके पास पराली की संभाल वाले आधुनिक उपकरण मौजूद नहीं थे, तो वह केवल रोटावेटर की सहायता से पराली को खेत में मिलाकर गेहूं की बिजाई करते थे। इसमें काफी मेहनत होती थी और भूमि को कई बार जोतना पड़ता था, लेकिन जब पराली संभालने वाले आधुनिक मशीनें हैप्पीसीडर, सुपरसीडर इस्तेमाल में आए तो पराली की संभाल काफी आसान हो गई तथा इनका इस्तेमाल से गेहूं की बिजाई पर खर्चा भी बहुत होता है तथा मेहनत भी कम लगती है।