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पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर बोले- IMF किश्त देने तैयार नहीं, इमरान ने इकोनॉमी को तबाह कर दिया

14 दिसंबर 2022 |  दो महीने पहले तक पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर रहे मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि पाकिस्तान अब किसी भी वक्त डिफॉल्टर घोषित हो सकता है। एक टीवी शो के दौरान उन्होंने कहा- इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF हमें नए कर्ज की किश्त देने तैयार नहीं है। इमरान खान के दौर में हमारी इकोनॉमी की जो तबाही शुरू हुई, उससे हम उबर ही नहीं सके।

शाहबाज शरीफ सरकार के पहले वित्त मंत्री इस्माइल को सच बोलने वाला नेता माना जाता है। यही वजह है कि उनकी जगह इशहाक डार को फाइनेंस मिनिस्टर बनाया गया। वो तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। आईएमएफ को धमकी दे रहे हैं। डार को उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब मिलकर पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा लेंगे।

मुल्क बचाना होगा

  • एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मिफ्ताह ने कई अहम सवालों पर राय दी। कहा- सबसे जरूरी चीज यह है कि हमें मुल्क बचाना होगा। दिवालिया होने से बचना होगा। इसके लिए अब जो किया जा सकता है, वो करना होगा। मैं किसी गलतफहमी में न खुद रहता हूं और न दूसरों को रखना चाहता हूं। ये बिल्कुल सच है कि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है। इससे बड़ी नाकामी और क्या हो सकती है कि 75 साल में हम 23 बार दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं।
  • एक सवाल के जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा- इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत यह है कि IMF का रिव्यू पूरा हो और हमें 1.2 अरब डॉलर के कर्ज की किश्त मिले। सरकार को IMF से बातचीत जल्द पूरी करनी चाहिए और जितनी जल्दी हो सके किश्त पूरी करनी चाहिए।
  • इकोनॉमी पर ही एक और सवाल के जवाब में इस्माइल ने कहा- अगर पाकिस्तान को दिवालिया होने की कगार तक लाने का कोई गुनहगार है तो वो इमरान खान हैं। उनके दौर में हमारी इकोनॉमी तबाह हो गई।

फॉरेन रिजर्व खर्च नहीं कर सकती सरकार

  • पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार या फॉरेक्स रिजर्व हैं। इसमें 2.5 अरब डॉलर सऊदी अरब, 1.5 अरब डॉलर UAE और 2 अरब डॉलर चीन के हैं। ये फंड्स सिक्योरिटी डिपॉजिट हैं यानी शाहबाज शरीफ सरकार इन्हें खर्च नहीं कर सकती। दूसरी बात, सऊदी और UAE 36 घंटे के नोटिस पर ये पैसा वापस ले सकती है। 2019 में भी पाकिस्तान का फॉरेन रिजर्व इतना ही था।
  • IMF ने 1.7 अरब डॉलर के कर्ज की तीसरी किश्त जारी करने से पिछले महीने ही इनकार कर दिया था। वो पाकिस्तान से शर्तों के मुताबिक, रेवेन्यू बढ़ाने और खर्च कम करने को कह रहा है।
  • 8 दिसंबर को पाकिस्तान ने सऊदी को लेटर लिखा और जल्द से जल्द 3 अरब डॉलर कर्ज देने की गुहार लगाई। जनवरी में ही पाकिस्तान को 8.8 अरब डॉलर की किश्तें चुकानी हैं। जाहिर है एक तरफ तो वो 6.7 अरब डॉलर का रिजर्व खाली नहीं कर सकता। दूसरी तरफ, दूसरे देशों या संगठनों से उसे मदद नहीं मिल रही।
  • डार ने नवंबर में कहा था- चीन और सऊदी अरब से हमें 13 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज मिलने जा रहा है। इसमें से 5.7 अरब डॉलर फ्रेश लोन्स हैं। चीन से 8.8 और सऊदी से 4.2 अरब डॉलर मिलेंगे।

डार का बड़बोलापन भारी पड़ा
IMF अगस्त में पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर की मदद किश्तों पर देने तैयार हुआ था। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में यह 23वां मौका था जब उसे दिवालिया होने से बचने के लिए इस इंटरनेशनल फाइनेंशियल बॉडी के आगे हाथ फैलाना पड़ा।

9 अरब डॉलर में से पाकिस्तान को अब तक सिर्फ 2 अरब डॉलर ही मिल पाए हैं। इसकी वजह यह है कि IMF बेहद सख्त शर्तों पर कर्ज देता है और उसका एक तय प्रोग्राम होता है। इसे संबंधित देश को हर हाल में मानना पड़ता है। सियासी मजबूरियों के चलते शाहबाज शरीफ सरकार इन शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि IMF ने भी किश्त रोक दी है।

बड़बोलेपन ने बढ़ाई मुसीबत
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- IMF ने पाकिस्तान सरकार से रेवेन्यू और इनकम के बारे में तफ्सील से रिपोर्ट मांगी थी। पाकिस्तान ने रिपोर्ट पेश भी की, लेकिन IMF की टीम इससे नाखुश थी। उसके मुताबिक, सरकार न तो आयात कम कर पा रही है और न ही रेवेन्यू बढ़ाने में कामयाब रही। ऐसे में नई किश्त जो इसी महीने जारी होनी थी, रोक दी गई।

इशहाक डार के एक बयान ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा दीं। डार ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा था- IMF हमें यह नहीं बता सकता कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। हम उसके डिक्टेशन फॉलो नहीं कर सकते।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                      

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