• May 20, 2024 8:53 am

यमुना में बाढ़ के पानी से बढ़ा भूजल स्तर, सरकार का दावा- पल्ला में चल रहा प्रोजेक्ट कामयाब

24  जून 2022 | उपमुख्यमंत्री के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने 2020 और 2021 में मानसून से पहले और बाद का अध्ययन किया। इससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। जलस्तर बढ़ने से जमीन के अंदर पानी यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है।

यमुना नदी के बाढ़ के पानी से भूजल स्तर बेहतर करने की योजना का ट्रायल कामयाब रहा है। पल्ला इलाके के बाढ़ क्षेत्र में चल रहे इस प्रोजेक्ट से बीते तीन साल में करीब 812 मिलियन गैलन पानी जमीन के अंदर गया। इससे भूजल का स्तर दो मीटर तक ऊपर हुआ है। साथ ही इसका असर नदी से दूर के इलाकों में भी दिखा है। बेहतर नतीजों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने प्रोजेक्ट को इस साल भी चलाने का फैसला लिया है। वहीं, प्रोजेक्ट का दायरा बढ़ाने की संभावना पर सरकार काम कर रही है।

इससे पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक की। इस दौरान प्रोजेक्ट से जुड़ी रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई। सिसोदिया ने बैठक के बाद बताया कि प्रोजेक्ट का विस्तार 40 एकड़ में है। इसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है। इसका इस्तेमाल दिल्ली के भूजल स्तर को बढ़ाने में हो रहा है।

उपमुख्यमंत्री के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने 2020 और 2021 में मानसून से पहले और बाद का अध्ययन किया। इससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। जलस्तर बढ़ने से जमीन के अंदर पानी यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है। सिसोदिया ने बताया कि बीते 10 साल में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने से तीन सालों में अलग-अलग इलाकों में .50 मीटर से दो मीटर तक बढ़ोतरी हुई है। 40 एकड़ में करीब 812 मिलियन गैलन भूजल रिचार्ज हुआ है। प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1,000 एकड़ तक बढ़ाने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो सकेगा। 

प्रोजेक्ट शुरू होने के तत्काल मिले नतीजे : मनीष सिसोदिया के मुताबिक, कुछ साल पहले करीब 8000 हेक्टेयर यमुना बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ करता था। ऐसे में बाढ़ का पानी बेकार चला जाता था। 2019 में प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद 2020 और 2021 में क्रमश: 2.9 मिलियन क्यूबिक मीटर और 4.6 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल रिचार्ज हुआ। सिसोदिया ने बताया कि भूजल में बढ़ोतरी इसके बावजूद हुई है कि नजदीकी क्षेत्र के किसान 4,000 मिलियन गैलन यहां से निकालते हैं और जल बोर्ड करीब 16,000 मिलियन गैलन। 

नाले-नालियों को दुरुस्त करने का निर्देश:  दिल्ली नगर निगम ने मानसून से पहले नाले-नालियों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है। एमसीडी का फोकस नजफगढ़, नरेला और रोहिणी जोन में हैं। एमसीडी के अधिकारी यहां पर स्थानीय रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के साथ बैठक कर इलाके के नालियों की हालत जानने की कोशिश कर रहे हैं। 

पल्ला से वजीराबाद तक बनाए गए गड्ढ़े
मनीष सिसोदिया ने बताया कि इसके साथ पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस यमुना बाढ़ क्षेत्र में प्राकृतिक तौर पर गड्ढे (जलभृत) बनाए गए हैं। मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है। नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढों में पानी बचा रहता है। जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वह व्यर्थ नहीं बहेगा।

प्रोजेक्ट से भूजल रिचार्ज के आंकड़े
वर्ष              पानी की मात्रा
2019     854 मिलियन लीटर
2020    2888 मिलियन लीटर
2021     4560 मिलियन लीटर

सोर्स;-“अमरउजाला”  

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