• May 2, 2024 9:38 am

पाकिस्तान में ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को किया गया ध्वस्त, जानिए क्या है बाबरी मस्जिद से कनेक्शन

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है. ये मंदिर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत पर मौजूद था जो 1947 से बंद था. बताया जाता है कि साल 1992 में भारत में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कुछ मौलवियों और सेमिनारियों द्वारा मंदिर को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है. ये मंदिर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत पर मौजूद था जो 1947 से बंद था, मंदिर की जगह पर अब एक वाणिज्यिक परिसर (commercial complex) का निर्माण शुरू हो गया है.

खैबर मंदिर, खैबर जिले के सीमावर्ती शहर लंडी कोटाल बाजार में था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह धीरे-धीरे गायब होता जा रहा था. हालांकि साइट पर निर्माण करीब 10-15 दिन पहले ही शुरू हुआ था. प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों ने या तो हिंदू मंदिर के अस्तित्व के बारे में जानकारी होने से इनकार किया या दावा किया कि निर्माण नियमों के अनुसार हो रहा था.

मंदिर का बाबरी मस्जिद से कनेक्शन

यह दावा करते हुए कि मुख्य लैंडी कोटाल बाजार में एक ऐतिहासिक मंदिर था, लैंडी कोटाल के प्रमुख आदिवासी पत्रकार इब्राहिम शिनवारी ने कहा कि मंदिर लैंडी कोटाल बाजार के केंद्र में मौजूद था, जिसे 1947 में स्थानीय हिंदू विरोध के बाद जब परिवार भारत चल गए तो बंद कर दिया गया था.

1992 में भारत में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कुछ मौलवियों और सेमिनारियों द्वारा इसे आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. पत्रकार ने यह याद करते हुए कि बचपन में उन्होंने अपने पूर्वजों से मंदिर के बारे में कई कहानियां सुनी थीं, उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि लांडी कोटाल में ‘खैबर मंदिर’ नाम का एक मंदिर था. पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति के हारून सरबदियाल ने जोर देकर कहा कि गैर-मुसलमानों के लिए धार्मिक महत्व की ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना जिला प्रशासन और संबंधित सरकारी विभागों की जिम्मेदारी है.

तहसील ने क्या कहा

अधिकारी ने कहा कि लैंडी कोटल बाजार में कुछ पुरानी दुकानों के नवीनीकरण और मरम्मत के लिए बिल्डर को ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (No Objection Certificate) जारी किया गया है. तहसील नगरपालिका अधिकारियों ने आदिवासी जिलों में सभी वाणिज्यिक और व्यापार केंद्रों पर वाणिज्यिक भवनों या दुकानों की अनुमति दी है.

तहसील नगर अधिकारी (टीएमओ) शाहबाज खान ने कहा कि स्थानीय सरकार को क्षेत्र में सभी वाणिज्यिक संरचनाओं के निर्माण के लिए हरी झंडी तब दी थी जब उनके नक्शे पास हो गए थे और शुल्क जमा किया जा चुका था. नगर निगम अधिकारी स्वीकार करते हैं कि उनके पास खैबर जिले में प्रामाणिक और व्यवस्थित राजस्व रिकॉर्ड नहीं हैं.

सरकार की जिम्मेदारी

लैंडी कोटाल के पटवारी जमाल अफरीदी ने दावा किया कि उन्हें मंदिर स्थल पर निर्माण गतिविधि की जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में उस जगह पर किसी मंदिर का कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहती है, तो उनके सभी पूजा स्थल और अन्य ऐतिहासिक इमारतें जल्द ही गायब हो जाएंगी. पत्रकार शिनवारी ने खैबर में जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों के मंदिर का कोई आधिकारिक भूमि रिकॉर्ड नहीं होने के दावों पर सवाल उठाया.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

source tv9 bharatvarsh

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