एक विडियो प्रेस कोन्फ्रेंस के दौरान इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन द्वारा दी गई विज्ञप्ति पर भारत सहित दनिया भर के 140 से अधिक देशों में विनिर्माण, खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में मजदूरों का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा गया. भारत सरकार को तत्काल और शीघ्र उपाय करने के लिये आगाह किया ताकि एक और भोपाल आपदा को रोका जा सके.
प्रिय प्रधान मंत्री,
मैं यह पत्र आपको इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन के महासचिव के रूप में, जो भारत सहित दनिया भर के 140 से अधिक देशों में विनिर्माण, खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में पचास मिलियन से अधिक मजदूरों का प्रतिनिधित्व करते है। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में सुरक्षा, विशेष रूप से, रासायनिक उद्योगों सहित में सुरक्षा पर हम अपनी चिंता व्यक्त करने के लिये लिख रहे है।
हाल ही में, भारत के रासायनिक क्षेत्र में कई दर्घटनाएँ हुई हैं। दुर्घटनाओं की आंशिक सूची में विशाखापत्तनम के एलजी पॉलिमर्स का जहरीली गैस रिसाव, महाराष्ट्र की फार्मास्युटिकल पैकेजिंग फैक्ट्री में आग लगना, गुजरात की बॉयलर विस्फोट और आग लगने की 2 दुर्घटनाएँ शामिल हैं। अभी हाल की दुर्घटनाओं में लखनऊ के एक रासायनिक कारखाने में बॉयलर विस्फोट और वडोदरा के पास एक कृषि उद्योग में आग लगना शामिल है। हालांकि, यह सूची कोई विस्तृत सूची नहीं है।
भयानक वास्तविकता यह है कि ये गंभीर दुर्घटनाएँ आसानी से विफलता के एक पैटर्न, और इससे भी अधिक दुर्घटनाएँ घटने की संभावना का संकेत दे सकती हैं। जब सुरक्षा नियंत्रणों में इस तरह की प्रणालीगत खराबी पाई जाती है, तब 1984 की भोपाल आपदा के पैमाने पर बड़ी तबाही की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
भारत की सरकार, राजनेताओं, उद्यमियों, नियोक्ताओं और प्रबंधकों को इन चेतावनी संकेतों पर अवश्य संज्ञान में लेना चाहिए।
कहा गया है कि यदि घटना एक बार होती है, तो एक दुर्घटना हो सकती है; दो बार संयोग हो सकता है; लेकिन तीन या अधिक बार दुर्घटना होती है तो यह एक प्रवृत्ति या एक पैटर्न को दर्शाता है। भारत का रासायनिक उद्योग खतरनाक घटनाओं की एक प्रवृत्ति या एक पैटर्न दर्शा रहा है। मजदूर घायल और मारे गए हैं। इन सभी मामलों में कम से कम संभावना यह है कि मजदरों और आसपास के समुदायों के निवासी इन विषाक्त रसायनों की चपेट में आये हैं जो आने वाले कई महीनों या वर्षों में स्वास्थ्य से जड़ी समस्याओं का कारण बनेंगे। सभी कारणों को उजागर करने के लिए दुर्घटनाओं की उचित जांच की जानी चाहिए, और दुर्घटना प्रभावित मजदरों और अन्य लोगों को चिकित्सा तथा महामारी विज्ञान विशेषज्ञों द्वारा जीवन पर पड़ने वाले स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों की निगरानी की जानी चाहिए।
किसी भी रासायनिक संयंत्र में सबसे खतरनाक क्षण स्टार्ट-अप और शट-डाउन होता है। जब प्रक्रिया चालू रहती है, तो खतरा आमतौर पर कम होता है।
यदि दुर्घटनाओं का अचानक बढ़ना कोई विकट संयोग नहीं है, तो उनके बीच कोई एक साझी कड़ी होनी चाहिए। हम मानते हैं कि निम्नलिखित प्रश्नों को न्यायसंगत ढंग से पूछे जाने की जरूरत है:
• क्या जब 24 मार्च 2020 को कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाया गया था, तब ये संयंत्र जल्दबाजी में बंद किये गये ?
.क्या वे हफ्तों से बिना उचित रखरखाव के निष्क्रिय बैठे थे ?
.क्या कारखाने के मालिक अपर्याप्त योग्य कर्मचारियों के साथ उन्हें फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं?
.क्या प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी कर्मचारी उपलब्ध हैं?
• क्या कामकाज की स्थितियाँ नई समस्याएँ पैदा कर रही हैं, जैसे कि किसी संयंत्र में सामाजिक-दरी को बनाए रखने का प्रयास जहाँ कामकाजी वातावरण इसे कठिन या असंभव बनाता है?
भारत में अभी हम जिस प्रकार की विफलताओं को देखते हैं, वह प्रक्रिया सुरक्षा प्रबंधन यानी प्रोसेस सेफ्टी मैनेजमेंट (पीएसएम) की असफलताओं की श्रेणी में आती है। पीएसएम को भोपाल आपदा सहित कई बड़ी दुर्घटनाओं से सबक लेने के बाद विकसित किया गया था, जिसमें दर्शाया गया कि इस तरह की घटनाओं को पारंपरिक व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा दृष्टिकोणों का उपयोग करके उनका विश्लेषण करना और उनकी रोकथाम करना मुश्किल हो सकता है। इस पैमाने की गंभीर अनियोजित घटनाएं व्यक्तिगत रूप से मजदूरों के नियंत्रण से परे हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने का मतलब है कि सुरक्षा के सभी पहलुओं के सर्वश्रेष्ठ स्तर को सुनिश्चित करना है। सामग्री, औजार, उपकरण, कामकाज का वातावरण, रोजगार और कार्य संबंधी प्रक्रियाओं, और लोगों (दोनों प्रबंधन और मजदूरों) को कई स्तरों वाली रोकथाम प्रणाली का निर्माण करना चाहिए, जिसमें विफलता के अवसर बहुत कम हों।
पीएसएम की व्यापक अवधारणाओं में बारह तत्व शामिल हैं, जिनमें प्रबंधन जवाबदेही, पूंजी परियोजना डिजाइन, प्रक्रिया उपकरण अखंडता और मानव कारक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। एक प्रमुख तत्व ‘मैनेजमेंट ऑफ चेंज’ हो सकता है जिसकी रासायनिक क्षेत्र की दुर्घटनाओं के इस प्रकोप में एक भूमिका हो सकती थी।
जो कुछ बदला है, उसकी गहन समीक्षा होनी चाहिए थी। कोविड-19 महामारी ने सामान्य परिचालन प्रक्रियाओं को अमान्य कर दिया है। विफलता के सभी संभावित बिंदओं, जो संयंत्र के बंद होने के परिणामस्वरूप हो सकते हैं, की पहचान करने के लिए बेकार पड़े उपकरणों का पूर्व-स्टार्ट-अप निरीक्षण और स्थिति की व्यापक समीक्षा का प्रयास किया जाना चाहिए था। फिर, सामान्य परिस्थितियों से अलग इन परिवर्तनों से निपटने के लिए एक रणनीति बनानी चाहिए थी और प्रक्रियाओं की पहचान की जानी चाहिए थी।
अंत में, एक शुरुआत का प्रयास किया जा सकता है – जो यह सुनिश्चित करे कि पर्याप्त योग्य कर्मचारी उपलब्ध हों; जो न केवल स्टार्ट-अप करने का काम करें, बल्कि आने वाली किसी भी आपात स्थिति का जवाब दे पायें।
कुछ समय के लिए उद्योग द्वारा अधिक से अधिक खुलेपन और पारदर्शिता का वादा किया गया था, लेकिन समान और गंभीर रूप से एक समस्या यह भी है कि भोपाल घटना के बाद से गोपनीयता की संस्कृति ने भारतीय रासायनिक उद्योग को प्रभावित किया है।
यह सब इंडस्ट्री को डि-रेग्यूलेट करने और सरकारी सुरक्षा अधिकारियों द्वारा कार्यस्थल निरीक्षण को लागू करने संबंधी पहले से ही जारी प्रवृत्तियों के कारण और अधिक खतरनाक बन जाता है।
इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन मौजूदा सुरक्षा विनियमन, निरीक्षण और प्रवर्तन की पर्याप्तता की तत्काल समीक्षा की मांग करता है। इसके अतिरिक्त, हम प्रक्रिया सुरक्षा प्रबंधन सिद्धांतों की तत्काल समीक्षा की मांग करते हैं, और हम यह भी जांच करने की मांग करते हैं कि क्या ये सिद्धांत भारत के कानूनी और नियामक ढांचे में अच्छी तरह से समावेश हैं।
हमारा आग्रह है कि प्रमुख औद्योगिक दुर्घटनाओं के मामले में भारत की क्षमता को लेकर एक सार्वजनिक चर्चा हो। यह सब-कुछ ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ पूरी पारदर्शिता से होना चाहिए।
भोपाल आपदा में हजारों लोग मारे गए और घायल हुए। कई घायल आज भी पीड़ित हैं। ऐसी घटना के दोहराव को रोकने के लिए किसी भी प्रयास को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यह सचेत हो जाने का समय है।
इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन, भारत और दुनिया में अन्य जगहों पर अपने सहबद्धों के साथ, वास्तव में इन सभी घटनाओं से चिंतित है। हम मानते हैं कि यह एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि भारत सरकार को रासायनिक क्षेत्र में किसी भी संभावित दुर्घटना को रोकने के लिए सभी उपाय करने की चेतावनी दी जाए। कृपया ध्यान दें कि हमारा वैश्विक यूनियन भारत सरकार, नियोक्ताओं और सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ काम करने के लिए तैयार है, ताकि मजदूरों और समाज को अधिक लाभ मिल सके।
मुझे आपकी त्वरित कार्रवाई और प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
सादर,
वाल्टर सैन्चेज महासचिवप्रतिलिपि:
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि
इंडसट्रीऑल ग्लोबल यूनियन से संबद्ध भारतीय सहबद्ध ट्रेड यूनियनें