28 फरवरी 2022 | प्रदेश में 5 से 6 साल के बच्चों के लिए आगामी सत्र से 6 हजार 536 प्राइमरी स्कूलों में बालवाड़ी शुरू की जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने बालवाड़ी के संचालन का गाइड लाईन तय कर लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं। इसमें बताया गया है कि बाल्यावस्था में शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है। यह बच्चों के सीखने के लिए सबसे उत्तम समय होता है। 6 साल की आयु तक के बच्चों को सिखाना आसान होता है। इसे ध्यान में रखते हुए पहले चरण में राज्य के 6536 प्राइमरी स्कूल जिनके परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं या समीप में हैं, उन स्कूलों में समन्वय स्थापित कर बालवाड़ी का संचालन किया जाना है। जये बालवाड़ी निजी स्कूलों के प्ले स्कूल की तर्ज पर खोले जा रहे हैं। 2022-23 से प्राइमरी स्कूल के साथ जहां आंगनबाड़ी केंद्र होंगे, वहां ये बालवाड़ी खोले जाएंगे। आकर्षक बालवाड़ी केन्द्र तैयार करने के लिए इन्डोर- आउटडोर खेल सामग्री, विभिन्न प्रकार की शैक्षणिक सामग्री, पोस्टर- चार्ट, कलर ड्राइंगशीट आदि की व्यवस्था के लिए सामुदायिक सहयोग की मदद ली जाएगी।
पढ़ाई के लिए महिला शिक्षक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी जाएगी प्राथमिकता
कलेक्टरों से कहा गया है कि बालवाड़ी के लिए महिला शिक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पहचान करें। बच्चों को पढ़ाने और उनको प्रशिक्षित करने का काम इनके द्वारा ही किया जाना है। शाला परिसर में बच्चों को बैठने के लिए एक कमरा और दरी की व्यवस्था करने के साथ ही छोटे बच्चों के हिसाब से कमरे में आवश्यक साज- सज्जा भी करें। छोटे बच्चों के आयु अनुरूप चिन्हांकित कक्ष के पास पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था भी की जाए।
पालकों की बनाई जाएगी समिति
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा बालवाड़ी का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। एससीईआरटी शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विधिवत प्रशिक्षण भी देगा। कलेक्टरों से कहा गया है कि बालवाड़ी में एडमिशन किए जाने वाले बच्चों के पालकों या माताओं की एक समिति बनाई जाए, जो बालवाड़ी संचालन में सहयोग करें। समय- समय पर बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों में भी सहभागी बनें। बालवाड़ी के संचालन में गांव के प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक द्वारा सरपंच, वार्ड पार्षद, पंच के साथ बैठक की जाए। योजना का प्रचार प्रसार किया जाए ताकि अधिक से अधिक बच्चे बालवाड़ी में आ सकें।
Source;-" दैनिक भास्कर"