• May 22, 2024 2:25 am

यहां तप में लीन हैं कोसगाई देवी…16वीं शताब्दी के इस मंदिर में नहीं है छत, जानें महिमा

28 मार्च 2023  जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर कोसगाई पहाड़ पर स्थित देवी मंदिर अपनी प्रचीन पुरातात्विक धरोहर के लिए के लिए विख्यात है. प्रकृति की गोद में कोसगाई गढ़ अपनी प्राचीन कथाओं को समेटे जिले की प्राचीन वैभवशाली इतिहास को दर्शाता है. पुरातात्विक दृष्टि से देवी मंदिर 16वीं शताब्दी का बताया जाता है.

छत्तीसगढ़ में छुरीगढ़ से जुड़े इस अद्वितीय मंदिर में आज भी राजघराने के लोग पूजा अनुष्ठान करने आते हैं. इस पहाड़ पर चढ़ना जितना कठिन लगता है, ऊपर चढ़ने के बाद उससे कई गुना ज्यादा सुकून मिलता है. मान्यता है कि यहां मनोकामना लेकर आने वाले हर भक्त की मुरादें देवी मां पूरी करती हैं. यही कारण है कि दिन प्रतिदिन मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही है.

यहां फहरता है सफेद ध्वज
आमतौर पर देवी मंदिरों में लाल ध्वज फहराया जाता है, लेकिन कोसगाई देवी मंदिर ऐसा है, जहां सफेद ध्वज चढ़ाया जाता है. सफेद ध्वज को शांति का प्रतीक माना जाता है. पहाड़ के ऊपर विराजमान मां कोसगाई देवी कुंवारी स्वरूप में विराजमान हैं. इसलिए भी माता को सफेद ध्वज चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों को माता सुख और शांति प्रदान करती है.

प्रयास के बावजूद नहीं बन पाई छत
माता खुले आसमान के नीचे पहाड़ की चोटी पर विराजमान हैं. माता का दरबार खुले आसमान के नीचे है. प्रचलित कथा के अनुसार, राजघराने के पूर्वजों ने एक बार छत बनाने का प्रयास किया था, लेकिन माता ने स्वप्न में आकर उन्हें मना कर दिया. मंदिर में सेवा कार्य में जुटे मेहत्तर सिंह बताते हैं कि वे अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जो यहां सेवा कर रहे हैं. माता के मंदिर में छत नहीं है, क्योंकि माता तपस्या में बैठी हैं. मान्यता यह है कि देवी मां जग कल्याण के लिए तप में लीन हैं और इसी कारण से 4 महीने की सर्द ठंडी, 4 महीने की बरसात, 4 महीने गर्मी की धूप के ताप को सह रही हैं.

रतनपुर के राजा ने छुपाया था खजाना!
16वीं शताब्दी में हैहयवंशी राजा बहारेन्द्र साय ने मां कोसगई मंदिर की स्थापना की थी. इन्हें ही कलचुरी राजा भी कहा जाता है. वह रतनपुर से खजाना लेकर आए थे. इस खजाने को कोसगई में रखा गया था. इस कारण इस जगह का नाम कोसगई पड़ा. मान्यता है कि खजाने की रक्षा और क्षेत्र में शांति की स्थापना के लिए कोसगई के मंदिर को स्थापित किया गया.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|” 

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