7 अक्टूबर 2022 | कमल विहार प्रोजेक्ट में अपनी जमीन देकर किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें 12 साल बाद आज भी न तो पैसा मिला और न ही वादे के मुताबिक विकसित की हुई जमीन। बोर्ड की बैठक में किसानों को जमीन देने का निर्णय हुआ था, लेकिन उसके बाद भी किसानों को उनके हक की जमीन नहीं मिली है। आरडीए के अधिकारी उन्हें कोर्ट जाने कह रहे हैं। आरडीए के अधिकारियों का कहना है कि पांच किसानों के आवेदन आए हैं। इस मामले में जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा। अधिकारियों का दो टूक कहना है कि जमीन नहीं दी जा सकती क्योंकि समय सीमा समाप्त हो चुकी है। अब फैसला 11 अक्टूबर को होने वाली बोर्ड की बैठक में हो सकता है।
आरडीए अमलीडीह, फुंडहर, जोरा, लाभांडी, डुमरतराई और देवपुरी को मिलाकर कुल 1600 एकड़ में कमल विहार बसा रहा है। आरडीए ने यहां एक हजार से ज्यादा किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था। इसमें किसानों को जमीन को डेवलप करके 35 प्रतिशत जमीन या फिर कलेक्टर दर से पैसा देने का प्रावधान किया गया था।
इसमें यह भी नियम था कि यदि अवार्ड राशि वापस कर जमीन लेना चाहते हैं तो किसानों को जमीन मुहैया कराई जाएगी। इसमें से ज्यादातर किसानों ने पैसा लिया, तो कुछ ने जमीन के बदले जमीन ले ली, लेकिन हीरो बाई बधेर, रम्मू कुर्रे, रविंद्र बंजारे, शैलेंद्र बंजारे और मनराखन भतपहरी आदि किसानों ने अपनी जमीन के लिए आवेदन दिया है और आरडीए के चक्कर लगा रहे हैं। इन किसानों की सुनवाई नहीं हो रही है।
कमल विहार में जिन किसानों की जमीन ली गई है, उसमें से कुछ किसानों को अभी तक उनके हक की जमीन नहीं मिल पाई है। अधिकारियों से साथ इस संबंध में कई दौर की बैठक हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा है, जबकि संबंधित किसान को प्लॉट देना चाहिए। -राजेन्द्र पप्पू बंजारे, डॉयरेक्टर आरडीए रायपुर
Source :-“दैनिक भास्कर “