• May 5, 2024 4:56 pm

निजी अस्पतालों में लीवर 20 लाख और किडनी 12 लाख रु. में ट्रांसप्लांट, प्रदेश के चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में यह होगा फ्री

16जुलाई 2022 ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन जैसे लीवर, किडनी और हार्ट ट्रांसप्लांट की एसओपी यानी मरीज की अस्पताल में एंट्री से लेकर ऑपरेशन तक के सारे मापदंड तय हो गए हैं। ऑपरेशन के बाद साल तक मरीज की देखभाल का पूरा सिस्टम कैसे काम करेगा? इसकी गाइड लाइन भी तैयार कर गुरुवार को शासन के पास मंजूरी के लिए भेज दी गई है। सरकार मंजूरी मिलते ही प्राइवेट के साथ सरकारी अस्पतालों में ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन जरूरतमंद मरीजों में ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। सरकारी सुपर स्पेशलिस्टी अस्पताल डीकेएस में किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट का न सिर्फ पूरा सेटअप है, बल्कि सर्जन भी हैं।

इसलिए यहां ट्रांसप्लांट शुरू करने में दिक्कत नहीं होगी। प्राइवेट अस्पतालों में लीवर ट्रांसप्लांट में 20 और किडनी में आठ से दस तक तक खर्च होते हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों का ट्रांसप्लांट फ्री होगा। राज्य शासन की ओर से आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को 6 लाख तक देने का प्रावधान है। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डाक्टरों के अनुसार इतने में किडनी व लीवर ट्रांसप्लांट हो जाएगा।

इसके साथ एक साल की दवाएं भी फ्री उपलब्ध करवाई जाएंगी, क्योंकि ट्रांसप्लांट के बाद एक साल की दवाओं का कोर्स करना होता है जो काफी महंगा होता है। कई मरीज ट्रांसप्लांट के बाद दवा का खर्च नहीं उठा पाते, जिससे उनका ट्रांसप्लांट सफल नहीं हो पाता है। राज्य में ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को मंजूरी देने की प्रक्रिया पिछले पांच साल से चल रही है। अब ये अंतिम चरण में पहुंची है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए मरीज व अस्पताल के रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्जरी तक पूरा सिस्टम कैसे काम करेगा? इसकी एसओपी यानी गाइड लाइन की मंजूरी के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय में प्रस्तुत कर दी गई है। इस महीने के अंत या अगले महीने मंजूरी मिल जाने की उम्मीद जताई जा रही है। उसके बाद प्राइवेट अस्पतालों के साथ सरकारी में भी ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे।

डीकेएस में सबसे पहले किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। यूरोलॉजिस्ट डा. सुरेश सिंह और डा. राजेश अग्रवाल ट्रांसप्लांट में एक्सपर्ट हैं। इसलिए सर्जन की भर्ती का झंझट नहीं है। अस्पताल में दूसरे चरण में लीवर ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। इसके लिए भी डा. अभिजीत मिश्रा और डा. गौरव जोशी की पहले ही पोस्टिंग की जा चुकी है। इसलिए इस सर्जरी को भी शुरू करने में ज्यादा दिक्कत नहीं है।

प्रदेश में पहली बार… ऑर्गन निकालने, सुरक्षित रखने और ट्रांसप्लांट का सिस्टम तैयार

एसओपी में ये तय हुआ
1. अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन होगा, जो ब्रेनडेड मरीजों का ट्रांसप्लांट करेंगे।
2. ऐसे अस्पतालों का भी रजिस्ट्रेशन होगा जो ऑर्गन निकालकर सुरक्षित रखेंगे।

3. मरीज जिन्हें ट्रांसप्लांट करवाना हो, वे भी अपना रजिस्ट्रेशन करवाएंगे। 4. रजिस्ट्रेशन के हिसाब से वेटिंग लिस्ट तय होगी। उसी क्रम में ट्रांसप्लांट होगा।

5. ट्रांसप्लांट वाले मरीज को उम्र व बीमारियों के आधार पर प्राथमिकता मिलेगी। 6. अस्पताल तक ऑर्गन को पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया जाएगा।

7. जो अस्पताल ट्रांसप्लांट करेंगे, उन्हें हर टेस्ट करवाने की जिम्मेदारी लेनी होगी। 8. ऑर्गन को ट्रांसप्लांट के लिए लाने का जिम्मा उसी अस्पताल का,जहां मरीज है।

अब तक ये हो चुका
{डीकेएस के थर्ड फ्लोर में ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन का ऑफिस। राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों ने ब्रेनडेड मरीजों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए अर्जी दे दी।
{ट्रांसप्लांट वाले डाक्टर, ऑपरेशन थियेएटर पूरी तरह तैयार। डीकेएस में पहले किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करेंगे, फिर लीवर। हार्ट और लंग्स बाद में।
{हार्ट ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ पहले से पदस्थ। सरकारी हार्ट के अस्पताल में दे रहे सेवाएं।

भागदौड़ होगी बंद
किडनी और लीवर मरीजों को उनके रिश्तेदार डोनेट करते हैं। कई बार रिश्तेदार का ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने पर ऐसा नहीं हो पाता है। ऐसे में वे भटकते हैं, क्योंकि किसी दूसरे की किडनी या लीवर ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता। ऐसे मरीजों के रिश्तेदारों की भागदौड़ बंद होगी। ब्रेनडेड किसी भी मरीज का ब्लड ग्रुप और बाकी चीजें मैच होने पर उनकी किडनी मरीज को ट्रांसप्लांट कर दी जाएगी। अभी ब्रेनडेड ट्रांसप्लांट की अनुमति नहीं है इसलिए मरीजों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है।

हार्ट ट्रांसप्लांट में अभी समय
डीकेएस सरकारी अस्पताल के विशेषज्ञों के अनुसार हार्ट ट्रांसप्लांट तुरंत शुरू नहीं होगा। एसीआई में डा. निशांत चंदेल और डा. केके साहू ऐसी सर्जरी के विशेषज्ञ हैं, लेकिन बाकी सेटअप अभी तैयार नहीं है।

source “दैनिक भास्कर”

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