31 जनवरी 2023 | धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की प्रसाद योजना में जांजगीर-चांपा जिले के चंद्रहासिनी देवी मंदिर व मदकूद्वीप को भी शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार ने राज्य के पर्यटन विभाग से इसका विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। प्रस्ताव तैयार भी कर लिया गया है। जल्द ही उसे भेज दिया जाएगा।
मदकूद्वीप शिवनाथ नदी के बीच में स्थित है। यह स्थल नदी की दो धाराओं में विभक्त होने से बना प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण प्राचीन धार्मिक स्थल है। यहां 10वीं सदी के दो प्राचीन शिव मंदिर हैं। हाल के वर्षों में यहां मतांतरण की घटनाओं में तेजी आई है।
वहीं मां चंद्रहासिनी मंदिर 52 शक्तिपीठों में शामिल हैं। बता दें कि प्रसाद योजना के तहत केंद्र ने डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में सुविधाओं के विकास के लिए 44 करोड़ रुपये दिए थे। यह काम पूरा होने के बाद अब नए प्रस्ताव मांगे गए हैं।
पर्यटन मंडल की जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा दुबे ने बताया कि मदकूद्वीप और मां चंद्रहासिनी मंदिर दोनों ही धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यहां जगह कम होने के कारण ढाई से तीन करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
चंद्रपुर में महानदी के तट पर स्थापित मां चंद्रहासिनी मंदिर प्रदेश के प्राचीन मंदिरों में शामिल है। यहां पौराणिक और धार्मिक कथाओं की झांकी बनी हुई है। महानदी और मांड नदी के बीच स्थित होने के कारण बरसात के दिनों में यहां की सुंदरता काफी मनमोहक हो जाती है। मंदिर के प्रांगण में अर्धनारीश्वर, पवन पुत्र हनुमान, कृष्ण लीला, महिषासुर वध, चारों धाम, नवग्रह, सर्वधर्म सभा की भव्य मूर्तियां बनाई गई हैं।
मदकूद्वीप में 10वीं और 11वीं सदी के प्राचीन शिव मंदिर
मुंगेली जिले में स्थित मदकूद्वीप में 10वीं और 11वीं सदी के प्राचीन शिव मंदिर हैं। यहां पर शिवनाथ नदी की धारा दो भागों में बंटती है, जिसके कारण द्वीप बना है। इनमें से एक धूमनाथेश्वर और इसके दाहिनी ओर उत्तर दिशा में एक प्राचीन जलहरी स्थित है, जिससे पानी का निकास होता रहता है।
इसी स्थान पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं। पहला शिलालेख लगभग तीसरी सदी का ब्राम्ही शिलालेख है। दूसरा शिलालेख शंखलिपि के अक्षरों से सुसज्जित है। पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई मेें यहां गुप्तकालीन एवं कल्चुरी कालीन प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। कल्चुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य करती गणेश की प्रतिमा बकुल पेड़ के नीचे मिली है। 11वीं शताब्दी की यह एकमात्र सुंदर प्रतिमा है।
मां बम्लेश्वरी मंदिर में 50 फीसद काम हो चुका है पूरा
प्रथम चरण में प्रसाद योजना में शामिल मां बम्लेश्वरी मंदिर का 50 प्रतिश्ात काम पूरा हो गया है। यहां पर तीन अलग-अलग चरणों में काम हो रहा है। प्रथम चरण में मंदिर की सीढ़ियां, शेड निर्माण, पाथवे जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किया गया। प्रज्ञा गिरी पहाड़ में मेडिटेशन हाल, कैफेटेरिया बनाया गया। तीन पहाड़ियों के बीच शासन की तरफ से मिली नौ एकड़ जमीन में श्रीयंत्र आकार का भवन निर्माण किया जा रहा है।

सोर्स :-“नईदुनिया”