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Mahashivratri 2024: भगवान शिव की अष्टमूर्ति का क्या है महत्व, शिव पुराण में क्या है वर्णन

ByADMIN

Mar 5, 2024 ##Mahashivratri

भगवान शिव की महिमा और चमत्कारों की कहानियां तो सभी ने सुनी होंगी. भगवान शिव ने अपने भक्तों के उद्धार के लिए अवतार भी लिए है. भगवान शिव के यह अवतार सुखदाता और परम कल्याणकारी हैं. इसी के साथ शिव पुराण में भगवान शिव की अष्ट मूर्तियों का भी वर्णन किया गया है.

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के दिन लोग भक्ति भाव से भगवान शिव की आराधना करते है, 8 मार्च को शिवरात्रि का त्यौहार भी आने वाला है. इस अवसर पर हम आपको भगवान शिव की अष्टमूर्ति के बारे में बता रहे हैं. महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित शिवपुराण के श्रीशतरूद्र संहिता खंड के दूसरे अध्याय में शिवजी की अष्टमूर्ति का वर्णन है. शिव पुराण के अनुसार विश्व में भगवान शिव की प्रसिद्ध अष्टमूर्तियां पृथ्वी, जल, अग्नि. वायु, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चंद्रमा में अधिष्ठित हैं.

शस्त्रों के अनुसार भगवान शिव का विश्वंभर रूप इस चराचर जगत को धारण करने वाला है. उन्हीं का भव रूप सलिलात्मक एवं समस्त जगत को जीवन प्रदान करने वाला है और संसार का पालन करता और चलाता भी है. यही तीसरी मूर्ति का उग्र रूप हैं. देवों के देव महादेव के आकाशात्मक रूप को भीम कहते हैं, जिससे राजसमुदाय को भेदन होता है. भक्तवत्सल भगवान शिव का पशुपति रूप आत्माओं का अधिष्ठान करने वाला संपूर्ण क्षेत्र में निवास करने वाला है. यही पशु और जीवों के पाश को काटने वाला माना जाता है. भगवान शिव का संसार को प्रकाशित करने वाला सूर्य रूप ईशान है और यही आकाश में फैला हुआ है.

भगवान शिव का अमृतमयी रश्मियों वाला और संसार को तृप्त करन वाला रूप महादेव के नाम से पुकार जाता है. आत्मा देवाधिदेव भगवान शिव का आठवां मूर्ति रूप है और अन्य मूर्तियों की व्यापिका है.

अष्टमूर्ति का महत्व?

भगवान शिव की अष्टमूर्ति स्वरुप के कारण ही पूरा संसार शिवमय माना जाता है, जिस तरह पौधे को पानी से सींचने पर शाखाएं और फूल खिलते हैं, उसी तरह भगवान शिव के स्वरुप से पूरी दुनिया हृष्ट पुष्ट होती है. जिस प्रकार पिता पुत्र को देखकर खुश होता है उसी प्रकार इस जगत के पिता भगवान शिव भी अपने भक्तों को प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं और उन्हें आनंद की प्राप्ति होती है. शिव पुराण के अनुसार यह बताया गया है कि हमे सदैव भक्तिभाव से उनकी प्रसन्नता हेतु कार्य करना चाहिए.

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