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नवमी की पूजा आज ; 108 कमल के फूलों व दीपों से हुई संधि पूजा

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04  अक्टूबर 2022 | शारदीय नवरात्र की नवमी आज है। इस दिनों शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में देवी की संधी पूजा हुई। इसे मां दुर्गा की वार्षिक पूजा का प्रमुख स्थान माना जाता है। यह पूजा 2 तिथियों की मिलन की बेला में होती है। इस बार संधी पूजा दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से 4 बजकर 24 मिनट के बीच हुई।

इस विशेष पूजा में 108 कमल के फूल व 108 दीप जलाकर देवी की पूजा की जाती है। महत्वपूर्ण बात यह होती है कि इस पूजा विधि को निर्धारित समय में पूरा किया जाता है। रविवार को पूजा पंडालों में दुर्गा देवी की विहित पूजा के बाद सोमवार को अष्टमी की महा पूजा की गई। सोमवार सुबह से पंडालों में रौनक थी। प्रवेश पूजा के बाद कलश में कई नदियों का जल भरकर स्थापना हुई। आज नवमी की पूजा लखनऊ के विभिन्न पंडालों में की गई। नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजा और देवी का महा भोग का आयोजन किया जाएगा।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ दुर्गा पंडाल

जानकीपुरम के उत्सव संस्था के चेयर पर्सन सौरभ बंदोपाध्याय ने बताया, “विश्व का सबसे बड़ा पंडाल जानकीपुरम में बनाया गया है। यह पंडाल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। 136.646 फुट बनाए गए पंडाल 2022 में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

सौरव बंदोपाध्याय ने बताया, “2017 में सबसे बड़ा पंडाल 128 फुट का कोलकाता में बनाया गया था। इस साल लखनऊ के जानकीपुरम स्थिति दुर्गा पूजा के पंडाल में करीब 12 हजार बासों का प्रयोग किया गया। 32 फुट लंबे बालों की विशेष रूप से आसाम से मंगवाया गया। 4 ट्रक थर्माकोल का प्रयोग करते हुए 52 कारीगरों ने मिलकर करीब 52 दिनों में या पूरा पंडाल तैयार किया है।

अष्टमी के बाद नवमी की पूजा
भारतीय संस्कृत में कन्याओं को दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है। इसीलिए कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत पूरा नहीं माना जाता है। मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात भगवती की कृपा पा सकते हैं। इन कन्याओं में मां दुर्गा का वास रहता है। अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है। नवरात्रि के व्रत के बाद कन्या पूजन किया जाता है। 10 साल के कम आयु की कन्याओं का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल और आचार्य आनंद दुबे ने बताया, “अष्टमी तिथि 2 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा। 3 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी की तिथि प्रारंभ हो रही है। नवमी तिथि की शुरुआत 3 अक्टूबर को शाम 4:00 बजे के करीब से शुरू होकर 4 अक्टूबर की दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

एसएस नागपाल ने बताया, “अष्टमी का कन्या पूजन और हवन 3 अक्टूबर को सुबह से दोपहर 4:00 बजे तक और नवमी का कन्या पूजन 4 अक्टूबर को सुबह से दोपहर 1:30 बजे तक करना श्रेष्ठ माना गया। इस बार महाष्टमी को शोभन का नाम शुभ योग बन रहा है। शोभन योग 2 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 अक्टूबर की दोपहर तक रहा शोभन योग को बहुत ही शुभ माना जाता है।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                        

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