• April 27, 2024 7:14 pm

नीमच की लटकती सौगातें – किषोर जेवरिया

31 अक्टूबर 2022 | हमारे जनप्रतिनिधि छटांक भर का कार्य करवाएंगे तो सेर भर उसका बखान करेंगे। चुनाव के समय किए गए वादों को पूरा करके वे हमें कोई सौगात नहीं देते बल्कि मतदाताओं का कर्ज अदा करते हैं, वह कोई एहसान नहीं करते। जनता के हक को जनता को देना कोई सौगात नहीं है परन्तु वे इसे सौगात बताते हैं इसलिये मैंने इस लेख के षीर्षक में सौगात षब्द का प्रयोग किया है। आइये नीमच की कुछ सौगातों का मुआयना कर लें।
नीमच की कृषि उपज मण्डी का अजमेर से इन्दौर के बीच में नाम चलता था। भारी आवक के कारण नीमच की मण्डी छोटी पडने लगी। आवकों के सीजन में घंटों सडक जाम रहने लगी तो हमारे जनप्रतिनिधियों को नई कृषि उपज मण्डी की सौगात देने का ख्याल आया। वर्षों तक नीमच को मिलेगी नई मण्डी, यह चलाते रहे। मण्डी की भूमि का चयन करने में चार पांच साल निकाल दिये। मण्डी की भूमि का चयन हुआ तो बनाने में तीन चार साल निकाल दिये। नई मण्डी बनी तो अब उसे पूर्ण रूप से षुरू करने का काम लटका हुआ है। यह है लटकती हुई सौगात।
नीमच के लोगों को वर्षों से बंगला बगीचा की समस्या हल करने के झूठ का जूस पिलाते रहे। लगभग चालीस बरस बाद इस समस्या का समाधान 2017 में लाया गया, वह भी ऐसा लंगडा समाधान कि लाना न लाना एक बराबर रहा। जिन लोगों ने व्यवस्थापन के लिये आवेदन दिये, वह भी अपने निराकरण का अब तक इंतजार कर रहे हैं। तबसे कहा जा रहा है कि इसका निराकरण जल्द करेंगे। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच में चम्बल का पानी आए, इसकी मांग पिछले 15 वर्षों से की जा रही है। नीमच के बाद मांग करने वाले भीलवाडा में यह योजना कबसे आ चुकी है। नीमच जिले के लिए जो योजना स्वीकृत हुई है, उसमें केवल ग्रामीण क्षेत्र है, षहरी क्षेत्र के लिए उसमें कोई जगह नहीं है। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच के फुटबॉल खिलाडियों के लिये एकमात्र डॉ.राजेन्द्रप्रसाद स्टेडियम को ग्रास ग्राउण्ड देने की सौगात देने की घोषणा हुई। इसके लिये हर्कियाखाल डेम से काली मिट्टी लाई गई जो कि डेम की गाद ही है। कुछ पीली मिट्टी मिलाकर जो ग्रास ग्राउण्ड बनाया वहां सिर्फ ठेकेदार को भुगतान के लिये ही ग्रीन ग्रास के दर्षन करा दिए। उसकी हालत ऐसी कर दी गई कि वह बरसाती कीचड का ग्राउण्ड बन गया। पहले वहां जो टूर्नामेन्ट होते थे वह दषहरा मैदान में करने पडे। स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस की परेड हायर सेकेण्डरी स्कूल के ग्राउण्ड में करनी पडी। ग्राउण्ड की हालत न दीन की रही न दुनिया की। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच के खेल प्रषाल के लिये कृति संस्था ने लगातार संघर्ष करके बंगला नं. 60 को खेल प्रषाल के लिये आरक्षित करने का कार्य पिछली परिषद से करवा लिया। हमारे सम्मानित जनप्रतिनिधि ने कलेक्टर, सीएमओ और कृति के सदस्यों को बुलाकर उस जमीन का निरीक्षण भी किया और घोषणा की कि नीमच में षीघ्र खेल प्रषाल बनाया जाएगा। परन्तु वह फाईल कहां धूल खा रही है, पता नहीं। यह है आपकी लटकती सौगात।
नीमच का जिला चिकित्सालय जो कहने भर को जिला चिकित्सालय है वह भी इसलिये कि नीमच जिला बना तो षासकीय चिकित्सालय को जिला चिकित्सालय नाम दे दिया। यहां एक ट्रामा सेन्टर बनाया गया कि यहां पर गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज होगा। यहां से बाहर नहीं ले जाना पडेगा परन्तु इतने वर्षों में भी ट्रामा सेन्टर, ट्रामा सेन्टर के रूप में कार्य नहीं कर पाया, केवल रेफरल हॉस्पिटल बन गया। बहाने चाहे कुछ भी हों, पर यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच में उत्कृष्ट सडकों का ढोल जोर जोर से पीटा गया। कुछ सडकों का चयन इसके लिये किया भी गया। उत्कृष्ठ सडक के नाम पर करोडों रूपया खर्च किया गया, कहां खर्च हुआ यह पता नहीं चला। हम आज तक नीमच में उत्कृष्ट सडकंे ढूंढ रहे हैं। यह है आपकी लटकती सौगात।
नीमच के पत्रकारों व नागरिकों ने छीन चुके मेडिकल कॉलेज के लिये आन्दोलन कर मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करवाया। इसे भी आपने सौगात बताया। हमारे पडोस के चित्तौड जिले में मेडिकल कॉलेज बनकर षुरू हो गया। म.प्र. के कुछ कॉलेज की माननीय मुख्यमंत्री ने वर्चुअल भूमि पूजन की रस्म अदायगी की। उसमें नीमच नहीं था। अब नीमच का मेडिकल कॉलेज बताते हैं कि उसका काम षुरू हो गया है, कब बनकर  तैयार होगा कब चालू होगा पता नहीं। यह है आपकी लटकती सौगात।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने म.प्र में भी सरकारी स्कूलों को दिल्ली की तर्ज पर बनाने के लिये सीएम राईज स्कूल खोलने की घोषणा की। नीमच जिले में भी चार स्कूल बनाने की योजना बनी। हाल ही में उनके लिये भूमि पूजन का आयोजन बडे पैमाने पर किया गया। जावद, मनासा, सिंगोली के लिये तो जगह का चयन हो गया परन्तु नीमच में अभी तक भूमि का चयन नहीं हो पाया। यह है आपकी लटकती सौगात।
नीमच के रेल्वे अण्डरब्रिज में पानी भरने से लोग परेषान थे। उसके निराकरण के लिये आपने एक और अण्डर ब्रिज बनाकर देने की सौगात दी। यह सौगात पहले के अण्डरब्रिज से भी नाकारा साबित हुई। अब दोनों अण्डरब्रिज में पानी भरने लगा। नये में तो पुराने वाले से भी कई गुना ज्यादा। गलत डिजाइन से बनाये गये इस अण्डरब्रिज बनना ना बनना एक बराबर रहा। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच की जनता वर्षों से रेल्वे फाटक पर ओवरब्रिज की मांग करती आई है पिछले दो वर्षों से इसका सर्वे ही चल रहा है। अभी भी यह तय नहीं है कि इसको कहां से कहां ले जाएंगे। कितनी भूमि का अधिग्रहण होगा। 2024 में पूरा करके देने की घोषणा तो आपने कर दी परन्तु मेरा दावा है कि यह 2024 में आप पूरा करके जनता को समर्पित नहीं कर पाएंगे। यह है आपकी एक ओर लटकती सौगात।
सन 1991 में नीमच का पहला मास्टर प्लान बना। 1991 से 2022 इकत्तीस साल में मास्टर प्लान का एक भी प्लान जमीन पर नजर नहीं आया। अब दूसरे के बाद तीसरा मास्टर प्लान भी बन गया है जो 2035 तक का बताया जाता है। मास्टर प्लान के नाम पर जनता के कार्यों को अटकाने का काम ही इतने वर्षों में हुआ है मगर मास्टर प्लान कहां लागू हुआ, नजर नहीं आया। तीसरा लागू होगा कि यह पता नहीं। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये मकान बनाये गये। उसके लिये लोगों से राषि भी जमा करवा ली गई। लोग वर्षों से अपने आवास का इंतजार कर रहे हैं परन्तु उन्हें अभी तक आवास नहीं मिले। यह है आपकी लटकती हुई सौगात।
नीमच में वर्षों से हवाई पट्टी है, जहां विमान उतरते रहे हैं। आपने नीमच में हवाई अड्डे खोलने का सपना दिखाया, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। अब प्रषिक्षण केन्द्र का सपना दिखाया जा रहा है। यह भी आपकी एक लटकती सौगात है।
गिनाने को तो आपकी सौगातों की लम्बी फेहरिस्त है परन्तु मैं आपको षर्मिन्दा नहीं करना चाहता। समझने के लिये इतना ही बहुत है। फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि जो भी काम गिनाएं हैं वे जनता के हक के थे जो उन्हें नहीं मिले। इसलिये इन्हें सौगात कहना बंद कीजिए और जनता को उनका हक दिलवायें जिसके लिये आपको चुना गया है।

 सोर्स :- शिवालय ग्राफिक्स

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