• May 7, 2024 5:42 am

रोटी-चावल नहीं…महंगाई के लिए पेट्रोल-डीजल हैं ज्यादा जिम्मेदार, ये है वजह

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अब एक साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, जब उसने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए आरबीआई की मेहनत का असर दिख तो रहा है, लेकिन रिटेल महंगाई दर अब भी 4 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. इस बीच देश में खाद्य महंगाई दर 8.5 प्रतिशत से ऊपर चल रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम आदमी की जेब पर खाने-पीने के चीजों के दाम से ज्यादा पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतें डाका डालती हैं. चलिए समझाते हैं कैसे?

फूड प्राइस इंफ्लेशन और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के देश की मुख्य महंगाई दर पर असर को लेकर आरबीआई के एक इकोनॉमिस्ट ने एनालिसिस पेपर तैयार किया है. इसमें बताया गया है कि कैसे पेट्रोल और डीजल की कीमतें महंगाई पर खाद्य महंगाई से ज्यादा असर डालती हैं.

मोनेटरी पॉलिसी से पड़ता है खाद्य महंगाई पर असर

भारतीय रिजर्व बैंक में इकोनॉमिक और पॉलिसी रिसर्च डिपार्टमेंट में काम करने वाले अभिषेक रंजन और हरेंद्र कुमार बेहेरा ने अपने एनालिसिस में कहा है कि केंद्रीय बैंक ने जब से देश में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए लचीले लक्ष्य (महंगाई दर के 4 प्रतिशत से 2 प्रतिशत ऊपर या नीचे रहने की व्यवस्था) को अपनाया है, तब से खाद्य महंगाई का देश की मुख्य महंगाई पर असर नियंत्रित करना आसान हुआ है.

हालांकि पेट्रोल-डीजल के मामले में ऐसा नहीं है. पेट्रोल-डीजल कीमतों पर वैश्विक घटनाओं का असर पड़ता है. ग्लोबल लेवल पर मची हुई उथल-पुथल के दौर में इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं और ये आम आदमी की जेब पर बोझ बन रही हैं.

90 के दशक में फूड इंफ्लेशन थी बड़ी चिंता

रिसर्च पेपर में कहा गया है कि 1990 के दशक के आखिर में मुख्य महंगाई दर पर खाद्य महंगाई दर का बहुत असर होता था. तब इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखा गया. आपको याद होगा कि जब 90 के दशक में जब प्याज के दाम अत्याधिक बढ़ गए थे, तो दिल्ली की स्थानीय सरकार को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

देश की मुख्य महंगाई दर पर तब खाद्य महंगाई का असर थोड़ी अवधि तक रहता है, जबकि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर देर से दिखता है और देर तक दिखता है.

source tv9 bharatvarsh

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