• May 20, 2024 6:18 am

अब आंखाें के ट्यूमर का इलाज आसान:बार्क के वैज्ञानिकाें ने कम लागत वाली परमाणु पट्टी बनाई, अब 10 लाख नहीं, सिर्फ 50 हजार में होगा इलाज

27 दिसंबर 2021 | हैदराबाद के विख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष जी होनावर ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के सहयोग से आंखों के ट्यूमर के इलाज के लिए एक कम लागत वाली ब्रैकीथेरेपी रूथेनियम पट्टी विकसित की है। देश में 2002 में ट्यूमर का इलाज शुरू हाेने के बाद से अब तक इस डिवाइस काे जर्मनी से आयात किया जाता था और इसकी कीमत करीब 10 हजार यूराे यानी करीब 10 लाख रुपए आती थी।

लेकिन, ‘मेक इन इंडिया प्राेग्राम’ के तहत विकसित की गई यह पट्टी अब 50 हजार रुपए की कीमत तक उपलब्ध हाे सकेगी। हाल में ही अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और नीदरलैंड स्थित तकनीकी पत्रिका एल्सेवियर द्वारा डॉ. होनावर का नाम देश के शीर्ष 10 नेत्र रोग विशेषज्ञों में शामिल किया गया है।

सेंटर फॉर साइट के नेत्र प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. संतोष होनावर ने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञों ने छोटे आंखों के ट्यूमर के इलाज के लिए सीधे इस्तेमाल की जाने वाली पट्टी को डिजाइन किया जबकि बार्क के वैज्ञानिकों ने प्रोटो टाइप पट्टी का निर्माण किया, जो आयातित पट्टी की तुलना में बेहतर पाई गई।

हरेक पट्टी का उपयोग एक साल के लिए कई रोगियों पर किया जा सकता है, जो लागत के मामले में मरीजाें के लिए बहुत मायने रखता है। बार्क ने केंद्र सरकार को ये पट्टिकाएं नि:शुल्क प्रदान की है। आंखों के ट्यूमर आमतौर पर छोटे होते हैं और अगर जल्दी पता चल जाए तो इसे सुरक्षित रूप से ठीक किया जा सकता है।

दिल्ली, बैंगलुरू और चेन्नई में स्थित चार केंद्रों में आंखों के ट्यूमर के लगभग 300 मामलों का पता चला है। हैदराबाद में पहले से ही 60 से अधिक रोगियों का इस पट्टी से सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है।

डॉ. होनावर बोले- बार्क द्वारा विकसित तकनीक से हम पूरी तरह संतुष्ट
डाॅ. हाेनावर ने कहा कि बार्क वैज्ञानिकों ने परमाणु कचरे को बेहतरीन स्तर तक परिष्कृत किया और डिवाइस सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करती है। हम इसकी गुणवत्ता से पूरी तरह संतुष्ट हैं। बच्चों में रेटिनोब्लास्टोमा के इलाज के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित हाे डॉ. होनावर के 270 से ज्यादा पेपर प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हाे चुके हैं और 9 हजार से ज्यादा उद्धरण शामिल हैं।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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