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उत्तराखंड में बाहरी लोग नहीं खरीद पाएं 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन, ये भी हो सकते हैं बदलाव

20 अगस्त 2022 | उत्तराखंड में उद्योगों की स्थापना के लिए बाहरी लोगों के बेतहाशा जमीन खरीदने पर रोक लग सकती है। भू कानून को लेकर गठित समिति ने अपने मसौदे में बाहरियों को 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं बेचने की पैरवी की है।

समिति ने ड्राफ्ट में हिमाचल की तर्ज पर उद्योगों को उनकी जरूरत के हिसाब भूमि उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। साथ ही अन्य प्रायोजनों के लिए तय सीमा से अधिक भूमि लीज पर देने पर सहमति जताई है। समिति का मानना है कि स्थानीय लोगों का भूमि पर मालिकाना हक बना रहना चाहिए। राज्य अतिथि गृह बीजापुर में उत्तराखंड भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण के लिए गठित समिति की शुक्रवार को करीब दो घंटे चली बैठक में भू-कानून में सुधार संबंधी तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई।

सूत्रों के अनुसार समिति के ज्यादातर सदस्य इस बात पर सहमत थे कि राज्य में निवेश को बढ़ावा देने, उद्योग व अन्य विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रख कानून में संशोधन करने होंगे। साथ ही भूमि की खरीद-फरोख्त को रोकने के इंतजाम किए जाएं, पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई। समिति अब 23 अगस्त को बैठक के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट तय करेगी और सरकार को सौंपेगी। अध्यक्ष सुभाष कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में  रिटायर आईएएस अरुण कुमार ढौंडियाल, बीएस गर्ब्याल, सदस्य अजेंद्र अजय, सचिव राजस्व दीपेंद्र कुमार चौधरी, प्रभारी उप राजस्व आयुक्त देवानंद मौजूद रहे।

ये हो सकते हैं बदलाव

– वर्ष 2018 में संशोधन से भूमि क्रय संबंधी अधिनियम में जोड़ी गई उपधारा 143-क और धारा 154 (2) समाप्त की जा सकती है।
– उद्योगों को जमीन आवंटित करने का अधिकार जिलाधिकारियों को देने के फैसले को भी निरस्त किया जा सकता है।
– उद्योगों को जमीन खरीद में जो छूट दी गई थी, उसको भी निरस्त किया जा सकता है।
– उद्योग के नाम पर ली गई जमीन का उपयोग बदलने पर जमीन सरकारी कब्जे में लिया जा सकता है।

समिति की सिफारिशें

1. 12.50 एकड़ की सीमा से अधिक भूमि खरीदने की छूट खत्म हो।
2. जिलाधिकारी को भूमि खरीद का अधिकार न दिया जाए।
3. भूमि के बीच में किसी अन्य व्यक्ति भूमि होने पर रास्ता रोक देने या मनमाने दाम वसूलने की प्रथा को रोकने के लिए समिति ने राइट टू की व्यवस्था हो।
4. हिमाचल की तर्ज पर उद्योगों को दी जाए जमीन। उद्योगों के लिए भू उपयोग परिवर्तन में कतई विलंब न हो।
5. अन्य प्रायोजनों के लिए लीज भी भूमि दी जाए । स्थानीय भूमिधर का मालिकाना हक बना रहे ताकि वह भूमिहीन न हो। उसे निरंतर आय प्राप्त होती रहे।
6. शहरों में मास्टर प्लान की जद में आने वाली कृषि भूमि को अकृषि भूमि में बदलने के लिए 29 अक्टूबर 2020 को जारी हुए शासनादेश को विलुप्त कर दिया जाए।

23 अगस्त को फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री से समय लेकर मसौदा उन्हें सौंप दिया जाएगा।

सोर्स :-“अमर उजाला”                                        

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