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रायपुर स्‍थानीय संपादकीय – छत्‍तीसगढ़ में गरीबों के हित में प्रयास

25 जनवरी 2022 | छत्‍तीसगढ़ की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी में भूमिहीन परिवारों की संख्या 10 लाख से अधिक होने का आकलन है।

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर पहली बार छत्‍तीसगढ़ के लगभग साढ़े तीन लाख भूमिहीन ग्रामीणों के बैंक खातों में न्याय योजना के तहत सरकारी सहयोग राशि का भुगतान करने जा रहे हैं। प्रदेश की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी में भूमिहीन परिवारों की संख्या 10 लाख से अधिक होने का आकलन है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयासों के तहत सभी योग्य परिवारों को इस योजना में जल्द से जल्द शामिल कर लिया जाएगा। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, धोबी, पुरोहित जैसी पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवारों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये का भुगतान करने की योजना है।राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों के लिए प्रति एकड़ नौ हजार रुपये की दर से भुगतान की व्यवस्था के बाद से ही इस बात की चिंता की जा रही थी कि किस तरह भूमिहीन ग्रामीणों की सहायता की जाए। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए नरवा-गरुवा-घुरुवा-बाड़ी योजना को प्रोत्साहित किया है और इसके तहत गोठानों को ग्रामीण औद्योगिक उद्यान के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विशिष्ट दल उद्योग और बाजार की मांग के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षण देने और उन्हें योग्य बनाने की योजना बना रहा है। प्रदेश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों की भागीदारी इसमें अहम है।आइआइटी, ट्रिपल आइटी और आइआइएम के विशेषज्ञ मिशन के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल और उपाध्यक्ष की भूमिका निभा रहे मुख्य सचिव अमिताभ जैन के साथ योजना को साकार करने में जुट चुके हैं। इसके तहत विभिन्न् जिलों में उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए उद्योग और कारोबार को बढ़ावा दिया जाना है तथा वहां के युवाओं में उसी के अनुरूप कौशल का विकास किया जाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार की जा रहीं ये योजनाएं अगर जमीन पर उतरने में कामयाब रहीं तो ग्रामीण क्षेत्रों से मानव संसाधन के पलायन को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

लोगों को अपने क्षेत्र में रोजगार मिलेगा तो वे अनावश्यक रूप से अपने स्वजन से दूर भी नहीं जाना चाहेंगे। स्वावलंबन की दिशा में मिली सफलता में ही न्याय योजनाओं की संपूर्णता का सूत्र छिपा है। सरकार की तरफ से गरीबों के खातों में धन राशि उपलब्ध कराने से उनकी क्रय शक्ति में मामूली रूप से भले ही सुधार हो जाए, वास्तविक सफलता तो आत्मनिर्भरता में है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि गणतंत्र दिवस पर भूमिहीनों के लिए न्याय योजना की किश्त का भुगतान किए जाने के साथ ही प्रदेश ऐसे भविष्य की तरफ बढ़ेगा, जिसके अधिकतर नागरिक इसकी परिधि से बाहर होंगे।

Source;-“नईदुनिया”

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