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शंकरगढ़ के टमाटर की झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बढ़ी मांग, उत्पादकों को राहत

ByPrompt Times

Oct 30, 2020
शंकरगढ़ के टमाटर की झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बढ़ी मांग, उत्पादकों को राहत

अंबिकापुर। बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ विकासखंड के कई गांवों में इस वर्ष टमाटर का बंपर उत्पादन हुआ है। झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में मांग के कारण शंकरगढ़ क्षेत्र के टमाटर उत्पादक किसान उत्साहित है। झारखंड के गढ़वा के सब्जी व्यवसायियों द्वारा शंकरगढ़ क्षेत्र में आकर टमाटर की खरीदी की जा रही है। हर रोज मालवाहकों से बड़ी मात्रा में टमाटर झारखंड के गढ़वा व डाल्टनगंज बाजार में ले जाया जा रहा है।यहां से टमाटर झारखंड और बिहार के दूसरे शहरों में भी सप्लाई की जा रही है। उन्नत किस्म के हाइब्रिड टमाटर कई दिनों तक खराब नहीं होता।

पांच वर्ष पहले शंकरगढ़ ब्लॉक के कुछ किसानों ने टमाटर की खेती शुरू की थी।बेहतर पैदावार के कारण स्थानीय बाजार में ही इसकी आपूर्ति की जाती थी, लेकिन खेती में फायदे को देखते हुए अब कई गांव में टमाटर की बड़े रकबे में खेती की जा रही है।शंकरगढ़ विकासखंड के ग्राम बेलसर, महुआडीह, चलगली मनोहरपुर, भगवतपुर गांव में ज्यादातर किसान टमाटर की खेती कर रहे है।इस वर्ष टमाटर के विपुल उत्पादन से बाजार को लेकर किसान संशकित थे। शुरू में उत्पादकों को खुद पहल करनी पड़ी अब झारखंड, बिहार के सब्जी कारोबारी किसानों के खेतों में आकर टमाटर खरीद कर ले जा रहे है।

प्रतिदिन अस्सी से एक सौ टन की आपूर्ति

शंकरगढ़ ब्लॉक के गांवों में उत्पादित टमाटर में से अस्सी से एक सौ टन टमाटर झारखंड व बिहार भेजा जा रहा है।स्थानीय बाजारों में भी इन गांवों का टमाटर तीस से पैंतीस रुपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है। बाहर के सब्जी व्यवसायी भी टमाटर की क्वालिटी के आधार पर 650 रुपये से 850 रुपये में 25 किलो टमाटर की खरीदी कर रहे है। इस बार टमाटर में किसानों को लाभ हो रहा है। इसके पहले के वर्षों में रकबा कम होने के कारण किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता था।

मौसम ने दिया साथ, मिर्च की भी बेहतर खेती

शंकरगढ़ ब्लॉक के गांवों में पहले मिर्च की खेती के प्रति किसानों में रुझान अधिक था, लेकिन इस बार टमाटर की खेती ने भी दूसरे किसानों को प्रेरित किया है। मिर्च के साथ टमाटर की बंपर पैदावार के पीछे मौसम ने भी भरपूर साथ दिया है। कृषक अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त कर रहे हैं, जिससे किसान काफी खुश हैं।

युवाओं ने परंपरागत खेती को दिया नया स्वरूप

शंकरगढ़ विकासखंड के गांवों में वर्षों से किसान परंपरागत खेती किया करते थे। सब्जीवर्गीय फसलों की खेती के प्रति रुझान कम था लेकिन अब युवा कृषकों ने परंपरागत खेती से बाहर निकलकर अब खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुके है। टमाटर और मिर्च का रकबा प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। युवा वर्ग इस ओर आकर्षित होकर उन्नत तरीके से टमाटर मिर्च का खेती कर अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं।

किसानों ने कहा

महुआडीह के कृषक खालिद अंसारी ने बताया कि वे इस वर्ष लगभग पांच एकड़ में टमाटर की खेती किए है। प्रति एकड़ लगभग डेढ़ लाख रुपए खर्च आई है। अच्छी फसल होने पर चार से पांच लाख रुपए प्रति एकड़ आमदनी हो जाती है। चार महीने की मेहनत के हिसाब से टमाटर की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। सब्जीवर्गीय खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

यदि किसानों को ड्रिप एरिगेशन सिस्टम शासन से उपलब्ध हो जाता तो किसानों की लागत कम हो जाती और फ़सल भी अच्छी मिलती। महुआडीह के ही कृषक अशफाक ने भी लगभग साढ़े तीन एकड़ में टमाटर की खेती की है उन्हें भी इस वर्ष बेहतर प्रतिफल मिला है। इससे उत्साहित होकर अगले वर्ष वे टमाटर का रकबा और बढ़ा कर खेती करने की सोच रहे हैं। चलगली के कृषक राजदेव रवि भी टमाटर और मिर्च दोनों की फसल लगभग तीन एकड़ में पिछले चार वर्षों से उगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब वे कोई दूसरे काम नहीं कर रहे है। भाइयों के साथ वे इसी खेती में लगे हैं। यह खेती लाभकारी साबित हो रही है।

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