25 मार्च 2023 | जिंदगी कब बदल जाए कोई नहीं कह सकता है। पलक कोहली के साथ भी यही हुआ। वह किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। टोक्यो पैरालिंपिक्स बैडमिंटन में वह भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे युवा एथलीट थीं। वह मानती हैं कि सफलता के लिए अपनी खूबी को पहचानना जरूरी है। लेकिन, इससे भी ज्यादा जरूरी है कि इसे तराशा जाए। बैडमिंटन खेलने से पहले लोग उन्हें दया की आंखों से देखते थे। उन्हें लगता था कि अरे इस बेचारी का क्या होगा। पलक का एक हाथ खराब है। स्कूल में एक ईवेंट ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। यह स्पोर्ट्स ईवेंट था। उनकी एक टीचर ने उन्हें जब इसमें दिलचस्पी लेते देखा तो एक चुभती बात बोली। टीचर ने पलक से कहा- खेलों से दूर रहो नहीं तो दूसरा हाथ भी जाएगा। इसके बाद तो बस उन्हें कुछ कर गुजरने की धुन सवार हो गई। ईश्वर ने भी इस बिटिया का खूब साथ दिया। वह दिन भी आया जब पलक ने देश का प्रतिनिधित्व किया।
पलक ने वो पूरा किस्सा सुनाया जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। मौका था किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में यूथ-20 के तहत आयोजित एक सेमिनार का। इसे केजीएमयू और खेल मंत्रालय ने मिलकर आयोजित किया था। इसमें 100 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया।
पलक कोहली ने अलग-अलग चैंपियनशिप्स में 20 मेडल जीते हैं। इनमें पांच गोल्ड, सात सिल्वर और 8 ब्रोन्ज शामिल हैं। सेमिनार में पहुंचीं पलक ने बताया कि 2016 में उन्होंने बैडमिंटन खेलने की शुरुआत की। इसके पहले तक लोग उन पर दया दिखाते थे। एक हाथ खराब होने के कारण लोगों की यह सहानुभूति उन्हें दर्द देती थी।
पहले पहल किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन, एक साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें समझ आया कि वह बैडमिंटन के लिए ही बनी हैं। बात स्कूल के स्पोर्ट्स ईवेंट से शुरू होती हैं। वह स्कूल में हैंडबॉल देख रही थीं। उनकी टीचर आईं और उन्हें खेल में दिलचस्पी लेते देखकर एक कड़वी बात कह दी। टीचर ने कहा कि स्पोर्ट्स में वह इंटरेस्ट नहीं लें तो ठीक होगा। इससे उनका दूसरा हाथ भी खराब हो सकता है। ऐसा हुआ तो उनका भविष्य तबाह हो जाएगा। पलक यह सुनकर हैरान रह गई थीं। फिर तो उन्होंने ठान ली। वह कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ स्पोर्ट्सपर्सन बनेंगी। उन्हें अपनी इस टीचर को गलत साबित करना था।