• June 1, 2024 6:26 am

इंजन खराब होने के बाद महीने भर से समुद्र में फंसी थी, हवा ने तट पर पहुंचाया

27  दिसंबर 2022 |  महीने भर से समुद्र में फंसे 58 रोहिंग्या रविवार को इंडोनेशिया के इंद्रपात्र तट पर पहुंच गए। स्थानीय लोगों ने उन्हें नाव से उतारा और अधिकारियों की इसकी जानकारी दी। BBC की रिपोर्ट के अनुसार उनकी लकड़ी की नाव का इंजन खराब हो गया था।

समुद्र में फंसे होने की वजह से ये लोग भूखे और कमजोर हो गए थे। तीन लोगों को इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर जाया गया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह वही रोहिंग्या हैं जो हफ्तों से अंडमान के पास समुद्र में फंसे हुए थे।

सरकारी आवाज में रखे जाएंगे रोहिंग्या शरणार्थी

रोहिंग्याओं से भरी नाव रविवार सुबह हवा के बहाव में बहकर आचे बेसर जिले के के समुद्र तट पर पहुंची थी। उन्होंने बताया कि वे एक महीने से समुद्र में भटक रहे थे। इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक इन शरणार्थियों को अस्थाई रूप से सरकारी आवास में रखा जाएगा।

UN ने जताई नाव डूब जाने की आशंका

पिछले हफ्ते खबर सामने आई थी कि अंडमान के पास 150 से ज्यादा रोहिंग्याओं को लेकर जा रही एक नाव फंसी हुई है। उस नाव में भी खराबी आ गई थी जिसके कारण वह दो हफ्तों से समुद्र में भटक रही थी। नाव में बैठे लोगों के पास खाना-पानी भी खत्म हो गया था। 25 दिसंबर को UN ने नाव के समुद्र में डूब जाने की आशंका जताई है।

बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंपों में नहीं रहना चाहते रोहिंग्या

लाखों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शहर में बने रिफ्यूजी कैंपों में रहते हैं, लेकिन वहां उन्हें उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए नौकरी करने की अनुमति नहीं है। इनके आने-जाने पर भी सख्त नियंत्रण होता है। इसलिए कई रोहिंग्या समुद्र के रास्ते अवैध तरीके से दक्षिण पूर्व एशिया में जाने की कोशिश करते हैं। पिछले महीनों में ऐसे रोहिंग्याओं की संख्या बढ़ी है।

भागकर बांग्लादेश आ गए थे 7 लाख रोहिंग्या

म्यांमार की सेना ने 2018 में रोहिंग्याओं का जनसंहार किया था। उनकी सामूहिक रूप से हत्या की गई थी और रेप हुए थे। इसके बाद 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्या जान बचाकर पड़ोसी देश बांग्लादेश में चले गए थे। जहां उन्हें गंदे रिफ्यूजी कैंपों में रहना पड़ता है।

अभी भी हर साल कई मुस्लिम अल्पसंख्यक रोहिंग्या अपनी जान खतरे में डालकर म्यांमार छोड़ने की कोशिश करते हैं। ये लोग जर्जर नावों में बैठकर समुद्र के रास्ते दूसरे देशों में जाने की कोशिश करते हैं।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                      

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