• May 5, 2024 3:16 pm

सबसे प्राचीन रेगिस्‍तान, जहां देवताओं के पैरों के निशान, रात में नाचती हैं पर‍ियां !

19 जून 2023 ! अगर आपसे कोई कहे कि दुनिया में एक ऐसी जगह भी है, जहां देवताओं के पैरों के निशान मिलते हैं. रात में पर‍ियां नाचती हैं. तो आप सोचेंगे कि हां निश्च‍ित तौर पर, देश में कई मंदिर हैं. जहां इस तरह के दावे किए जाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक रेगिस्‍तान के बारे में बताने जा रहे हैं. एक ऐसा रेगिस्‍तान जो सद‍ियों से अनसुलझी पहली बना हुआ है. जिसके रहस्‍य से दुनियाभर के साइंटिस्‍ट भी मिलकर आज तक पर्दा नहीं उठा पाए.कई दावे किए गए लेकिन कोई अंत‍िम निष्‍कर्ष तक नहीं पहुंचा.

हम बात कर रहे दुनिया के सबसे पुराने नामीब रेगिस्‍तान के बारे में. दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा नामीब रेगिस्तान धरती पर सबसे सूखी जगहों में से एक है. यहां लाखों की संख्या में गोलाकार आकृतियों के निशान बने हुए हैं. स्थानीय हिम्बा लोगों का विश्वास है कि इन्हें आत्माओं ने बनाया है और ये उनके देवता मुकुरू के पैरों के निशान हैं.कुछ लोगों को लगता है कि रात में यहां खूबसूरत पर‍ियां आकर नृत्‍य करती हैं, इसल‍िए ऐसे निशान बने हुए हैं. कई साइंटिस्‍ट दावा करते हैं कि एल‍ियन यहां आते रहते हैं, इसल‍िए उनके यूएफओ के निशान नजर आते हैं.स्‍थानीय नामा भाषा में इस जगह को कहते हैं, ऐसा इलाका जहां कुछ भी नहीं है. वैज्ञानिकों ने बहुत कोश‍िश की लेकिन आज तक इसका रहस्‍य नहीं बता पाए. कुछ शोध बताते हैं कि ये घेरे दीमक के कारण बने हैं, जो जमीन से पानी और पोषक तत्वों को तलाशते रहते हैं. यह भी कहा जाता है कि जब भी बारिश होती है तो अचानक जादू की तरह ये घेरे फिर से प्रकट हो जाते हैं.

देखने में बिल्‍कुल मंगल ग्रह की तरह उबड़-खाबड़ रेत का पहाड़ नजर आने वाला यह रेगिस्‍तान तकरीबन 81 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. बजरी का यह मैदान तीन देशों में विस्‍तार लिए हुए है. दुनिया का सबसे बडा सहारा रेगिस्‍तान सिर्फ़ 20 से 70 लाख साल पहले का है, जबक‍ि नामीब रेगिस्‍तान के बारे में कहा जाता है कि यह 5 करोड़ 50 लाख साल पुराना है. एक और खास बात, गर्मी के दिनों में यहां दिन का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. लेकिन रातें इतनी ठंडी हो जाती हैं कि लगता है कि बर्फ जम जाए. बसने के लिहाज से देखा जाए तो धरती के सबसे दुर्गम जगहों में से एक है. फ‍िर भी तमाम लोग यहां रहते हैं.

नामीब रेगिस्‍तान में साल में औसतन सिर्फ 2 मिलीमीटर ही बारिश होती है. कई साल तो बिना बार‍िश के ही गुजर जाते हैं. इसके बावजूद ओरिक्स, स्प्रिंगबॉक, चीता, लकड़बग्घा, शुतुरमुर्ग और जेब्रा जैसे जानवर पाए जाते हैं. जो खुद को यहां की कठोर परिस्थितयों में ढालकर रखते हैं. कहा जाता है कि शुतुरमुर्ग पानी के नुकसान को कम करने के लिए अपने शरीर के तापमान को बढ़ा लेते हैं. जबक‍ि ओरिक्स बिना पानी पिए केवल पौधे की जड़ खाकर जिंदा रह जाते हैं. यह इलाका व्हेल के अनगिनत कंकालों और लगभग 1,000 जहाजों के मलबे से पटा हुआ है, जो पिछली कई सदियों में यहां जमा हुए हैं. इसे नरक का दरवाजा भी कहते हैं.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”   

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