19 मई 2022 |
सार
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा एक वाद अदालत में पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने वर्तमान में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को श्री कृष्ण विराजमान की संपत्ति माना है और उन्होंने अदालत से कहा है कि यह संपत्ति श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपी जानी चाहिए।
विस्तार
मथुरा में जिला जज राजीव भारती की अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को श्रीकृष्ण जन्मस्थान ईदगाह प्रकरण के सबसे पहले पेश किए गए वाद के संबंध में निर्णय दिया जाएगा। वाद की स्वीकारोक्ति को लेकर जिला जज की अदालत में रिवीजन में सुनवाई चल रही है।
बता दें रंजना अग्निहोत्री सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हैं। राम जन्मभूमि अयोध्या प्रकरण में भी उनके द्वारा अदालत में वाद दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता द्वारा श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.3 7 एकड़ जमीन पर दावा किया गया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि यह जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की है और जहां पर शाही ईदगाह खड़ी है, वहां भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान और मंदिर का गर्भ ग्रह है। वाद की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि न्यायालय ने बहस के बाद संबंधित निर्णय को रिजर्व कर लिया गया है। बृहस्पतिवार को निर्णय दिया जाएगा।
वाद किया था पेश
अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा अदालत में पेश वाद में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को श्री कृष्ण विराजमान की संपत्ति माना है और उन्होंने अदालत से कहा है कि यह संपत्ति श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपी जानी चाहिए। वह खुद श्रीकृष्ण विराजमान की भक्त बन कर सामने आई हैं। अदालत में सबसे पहले इस संबंध में वाद पेश करने वाली सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता द्वारा पूर्व में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट तथा शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित पदाधिकारियों के बीच में समझौते को गलत बताया।
5 मई को हुई थी बहस
5 मई को वादी की ओर से अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन तथा अन्य द्वारा जिला जज की अदालत में बहस की गई। शाही ईदगाह मस्जिद के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद सहित अन्य अधिवक्ताओं ने भी अदालत में अपना पक्ष रखा। दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद जिला जज राजीव भारती ने निर्णय को रिजर्व करते हुए निर्णय के लिए 19 मई तय की थी। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अदालत में हमने अपना पक्ष रखा है।
आज आ सकता है निर्णय
अदालत का इस संबंध में 19 मई यानि आज निर्णय आना है। वहीं एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि अदालत में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा पेश किया गया वाद सुनवाई योग्य नहीं है |