16जुलाई 2022 राजधानी के सीबीएसई स्कूलों के बच्चे बस्ते के बोझ से दबते जा रहे हैं। एक सीबीएसर्ई स्कूल में चौथीं कक्षा के बच्चे के बैग का वजन कराया गया तो वह नौ किलो का निकला। ऐसे ही एक स्कूल में पांचवीं कक्षा के बैग का वजन 17 किलो पाया गया, जबकि दोनों कक्षा के लिए मानक वजन ढाई किलो है। सीबीएसई स्कूलों के बच्चे तीन गुना वजन का बैग पीठ पर लाद कर ला रहे हैं। कुछ स्कूलों में सातवीं कक्षा के बच्चे का बैग 22 किलो पाया गया। सीबीएसई स्कूल दिसंबर 2020 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नई स्कूल बैग नीति 2020 का पालन नहीं कर रहे हैं। इस नीति में कहा गया है कि पहली से 10वीं तक के बच्चों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही नियमित आधार पर स्कूल के बैग के वजन की निगरानी करनी होगी, लेकिन स्कूली बच्चों के भारी-भरकम बैग से बच्चों के शारीरिक विकास पर विपरीत असर पड़ रहा है। फिजियोथेरेपिस्ट का कहना है कि बैग के वजन के कारण बच्चों में कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। इसमें पीठ दर्द, कंधा दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द अौर कुबड़ निकलने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं।
नियमों की अनदेखी की जा रही है
भोपाल सहित प्रदेश भर में बच्चे तय मानक से तीन से पांच गुना तक ज्यादा वजन उठा रहे हैं। मप्र बाल आयोग द्वारा प्रदेश के 38 जिलों में किए दौरे के दौरान यह सामने आया है। कुछ स्कूलों में प्रायमरी व मिडिल के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 20 से 30 किलो तक पाया गया है, जबकि मानक वजन ढाई किलो तक है। आयोग सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि लगभग 80 स्कूलों में प्रायमरी में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल बैग भारी-भरकम हैं। भोपाल में भी यह आंकड़ा 70 प्रतिशत के करीब है।
लंच बाक्स और बोतल का वजन भी शामिल
जब बैग का वजन किया गया तो तय मानक से अधिक पाया गया। इसमें केजी-2 की एक बच्ची के बैग का वजन पांच किलो पाया गया। वहीं छठवीं कक्षा की एक छात्रा का वजन 12 किलो था। वहीं स्कूलों में पीने का पानी की समस्या के कारण अभिभावक घर से ही पानी भी एक लीटर तक भेजते हैं। ऐसे में लंच बाक्स और पानी की बोतल का वजन भी शामिल होता है।
सीबीएसई ने लॉकर बनाने के निर्देश दिए थे
सीबीएसई ने स्कूलों में लॉकर बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ बड़े स्कूलों में प्री-प्रायमरी कक्षाओं के लिए यह सुविधा दी गई है। अन्य कक्षाओं में बैग लेकर आते हैं।
यह हैं दिशा-निर्देश
-नई शिक्षा नीति के तहत प्रकाशकों को किताबों के पीछे उसका वजन भी छापना होगा।
-पहली कक्षा में कुल तीन किताबें होंगी, जिनका वजन 1,078 ग्राम तक होगा।
-12वीं में छह किताबें होगी, जिनका वजन 4,182 ग्राम तक ही होगा।
यह है स्कूल बैग का तय मानक
कक्षा वजन बच्चे का औसत वजन -बैग का वजन
– प्री प्रायमरी- 10-16 किलो -बैग नहीं
पहली से दूसरी 16-22 किलो -1.6-2.2 किलो
तीसरी से पांचवीं 17-25 किलो – 1.7-2.5 किलो
छठवीं से सातवीं 20-30 किलो- -2-3 किलो
आठवीं- 25-40 किलो- – 2.5-4 किलो
नौवीं से दसवीं 25-45 किलो 2.5-4.5 किलो
वर्जन
– प्रदेश के 38 जिलों के स्कूलों का निरीक्षण में पाया गया है कि प्रायमरी व मिडिल के बच्चे 20 से 30 किलो तक का बैग ला रहे हैं, जबकि मानक वजन ढाई किलो तक है। इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फिर से निरीक्षण कराएंगे।
ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल आयोग
– स्कूल बैग का वजन अधिक होने से बच्चों में काइफोसिस यानि कूबड़ की समस्या हो सकती है। रीढ़ की हड्डी, गर्दन दर्द, कंधा दर्द, लोवर बैक में दर्द की परेशानी हो सकती है। कई बच्चों की समस्याएं सामने आ रही है।
संगीता मदुरिया, फिजियोथैरेपिस्ट
– बीआरसी और संकुल प्राचार्या के नेतृत्व में कमेटी बनाकर स्कूलों का निरीक्षण कराएंगे। जिन स्कूलों में गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी
Source;-“नईदुनिया”