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चीन से लड़ने के लिए अमेरिका ने इस देश में दागी पैट्रियट मिसाइल

ByPrompt Times

Jul 19, 2021

19- जुलाई-2021 | चीन की ओर से लगातार ऑस्‍ट्रेलिया को धमकी दिए जाने के बाद अमेरिका ने पहली बार अपने पैट्रियट मिसाइल सिस्‍टम का ऑस्‍ट्रेलिया की जमीन पर परीक्षण किया है। अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच तलिसमान साबरे 21 युद्धाभ्‍यास शुरू हुआ है। इससे पहले 16 जुलाई को जापान और गुआम में तैनात सतह से हवा में मार करने वाली पैट्रियट मिसाइलों ने ड्रोन विमानों को मार गिराने का अभ्‍यास किया था।

इस बीच चीन ने अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच चल रहे अभ्‍यास पर नजर रखने के लिए अपना जासूसी युद्धपोत भेजा है। अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी करके कहा, ‘अमेरिकी सेना के प्रशांत हवाई और मिसाइल डिफेंस यूनिट ने अपने ऑस्‍ट्रेलियाई डिफेंस फोर्स के समकक्षों के साथ मिलकर ऑस्‍ट्रेलिया की जमीन पर पहली बार सतह से हवा में मार करने वाली पैट्रियट मिसाइल का परीक्षण किया है।’ रूस ने बनाया नया सुखोई फाइटर जेट, दुनिया के लिए रहस्‍य बना ‘अदृश्‍य’ हवाई योद्धा

चीन की बढ़ती चुनौती के बीच इस साल तलिसमान साबरे 21 युद्धाभ्‍यास में ऑस्‍ट्रेलिया और अमेरिका ने कनाडा, जापान, न्‍यूजीलैंड, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया के साथ अभ्‍यास किया है। इन अभ्‍यास में 17 हजार सैनिक हिस्‍सा ले रहे हैं। वहीं भारत, फ्रांस, जर्मनी और इंडोनेशिया को पर्यवेक्षक देश के रूप में न्‍यौता दिया गया है। यह तलिसमान साबरे 21 युद्धाभ्‍यास हर दो साल में होता है।

कितनी खतरनाक है अमेरिका की पैट्रियॉट मिसाइल
अमेरिका की पैट्रियॉट एडवांस्ड कैपेबिलिटी – 3 (PAC-3) मिसाइल दुनिया के सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में से एक है। यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुश्मन की बैलेस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू जहाजों को पल भर में मार गिराने में सक्षम है। सभी मौसम में दागे जाने वाली इस मिसाइल का निर्माण लॉकहिड मॉर्टिन ने किया है। पैट्रियॉट एडवांस्ड कैपेबिलिटी – 3 मिसाइल इस समय पूरे अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, इजरायल, जापान, कुवैत, नीदरलैंड, सऊदी अरब, कोरिया, पोलैंड, स्वीडन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, रोमानिया, स्पेन और ताइवान की सेना में शामिल है।

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इस स्टाइकर समूह में एफ-35बी लाइटनिंग फाइटर जेट के दो स्क्वाड्रन तैनात हैं, जिनकी संख्या 36 है। यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है। इसे दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। इसके अलावा समुद्र में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए 14 हेलिकाप्टर भी तैनात रहते हैं। इसमें हैवी ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर चिनूक, अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे भी शामिल हैं। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 65 से ज्यादा विमानों को लेकर सफर कर सकता है। इसमें फ्लाइट डेक के नीचे कुल नौ डेक हैं। जिनमें लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स और दूसरे हथियारों को रखा जाता है। इन जहाजों को फ्लाइट डेक पर लाने के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर में दो लिफ्ट लगी हुई हैं।

65 हजार टन वजनी यह एयरक्राफ्ट कैरियर 280 मीटर लंबा है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर इतना भारी होते हुए भी 59 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकता है। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ पर 1600 नौसैनिकों को तैनात किया जा सकता है, जिसमें 250 कमांडो शामिल हैं। इसमें बीई का S1850M लॉन्ग रेंज रडार लगा हुआ है, जो 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मनों के जहाजों का पता लगा सकता है। इसमें मीडियम रेंज के लिए Type 997 Artisan radar लगा हुआ है, जो 200 किलोमीटर की दूरी तक एक बार में 900 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। इतना ही नहीं, यह 3डी रडार 3 मैक की स्पीड से उड़ने वाले चिड़िया या टेनिस बॉल के आकार के लक्ष्य को भी पहचान सकता है।

इस एयरक्राफ्ट कैरियर के स्ट्राइक ग्रुप में दो टाइप 45 श्रेणी के डिस्ट्रॉयर, दो टाइप 23 फिग्रेट, दो टैंकर और हेलिकॉप्टर्स का बेड़ा शामिल है। माना जा रहा है कि इसके चीन के नजदीक युद्धाभ्यास करने से दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा सकता है। वहीं, चर्चा है कि इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को भी आमंत्रित किया जा सकता है। इन दोनों देशों से भी चीन के संबंध निचले स्तर पर हैं। ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमिनिक रॉब ने कहा कि इस स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती भारत और इंडो पैसिफिक में सहयोगियों के साथ रक्षा संबंध के एक नए युग की शुरुआत है। ब्रिटेन ने कहा कि एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ की तैनाती भारत के साथ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गहरे राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधों के लिए देश की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।

ब्रिटेन और चीन के बीच हॉन्ग कॉन्ग को लेकर सबसे ज्यादा तनाव है। हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटेन की कॉलोनी थी। बाद में ब्रिटेन ने इसे शर्तों के साथ एक निश्चित समय के लिए चीन को सौंप दिया था। चीन ने इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए चीन के सभी कानून जबरदस्ती हॉन्ग कॉन्ग पर डाल दिए। जिसके जवाब में ब्रिटेन ने यहां से भी निवासियों को अपने देश की नागरिकता देने का ऐलान किया हुआ है। इसके अलावा उइगुरों के मानवाधिकारों का दमन, दक्षिण चीन सागर में दादागिरी, ताइवान पर कब्जे की कोशिश जैसे मुद्दों को लेकर भी ब्रिटेन और चीन में तनाव चरम पर हैं।

ऑस्ट्रेलिया और चीन में तनाव चरम पर
कोरोना वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलिया के सवालों से नाराज चीन ने आर्थिक रूप से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। चीनी सरकार ने अपने नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया न जाने की सलाह जारी की थी। इतना ही नहीं चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले कई सामानों पर बैन भी लगाया है। ऑस्‍ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की कैबिनेट ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर चीन की महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के दो समझौते को रद्द कर दिया है। जिन दो समझौतों को रद्द किया गया है, उनमें चीनी कंपनियां ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में दो बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्टर को तैयार करने वाली थीं।

Source;-डेली न्यूज़360

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