• May 21, 2024 7:19 am

सत्ता संतुलन के लिए बनी सीट पर कठिन मुकाबला, भाजपा के रुख पर टिकीं निगाहें; इस कारण असमंजस में वोटर

जम्मू और कश्मीर संभाग के बीच सत्ता संतुलन के लिए परिसीमन में बनाई गई नई सीट अनंतनाग-राजोरी पर चुनाव करीब आने के साथ ही मुकाबला रोचक होता जा रहा है। इस सीट से संसद की दहलीज तक पहुंचाने में सत्ता की चाबी राजोरी और पुंछ के मतदाताओं के हाथ में होगी।

यह इलाका पहाड़ी, गुज्जर तथा हिंदू मतदाताओं का है। यहां की सात विधानसभाएं इस सीट में हैं। यहां पहाड़ी और गुज्जर कार्ड का खेल शुरू हो गया है। भाजपा के मैदान में न होने से उसके वोटर असमंजस की स्थिति में हैं। हालांकि सभी की नजरें भाजपा के रुख पर टिकीं हैं। राजोरी-पुंछ में पहाड़ी तथा गुज्जर लोगों की आबादी अधिक है।

यह दोनों समुदाय लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया तब दोनों समुदायों के बीच मनमुटाव की स्थिति रही। हालांकि, गुज्जरों के आरक्षण प्रतिशत में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई।

इस वजह से पहाड़ी समुदाय को स्वाभाविक रूप से भाजपा के करीब माना जाने लगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2018 में पूर्वववर्ती जम्मू-कश्मीर में कराए गए सर्वे में पहाड़ी भाषी लोगों की आबादी 10 लाख (8.16 प्रतिशत) बताई गई।

यह मुख्य रूप से राजोरी, पुंछ तथा अनंतनाग, शोपियां व कुलगाम के कुछ हिस्से में रहते हैं। मौजूदा चुनाव में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। बताते हैं कि इस सीट पर सवा पांच लाख के करीब पहाड़ी व हिंदू मतदाता हैं, जबकि साढ़े तीन लाख गुज्जर हैं।

समर्थन मांगकर सभ्ाी दल राजोरी व पुंछ के मतदाताओं को साधने में जुटे

नेकां तथा पीडीपी का हर जगह कैडर है। नेकां प्रत्याशी मियां अल्ताफ की गुज्जर समुदाय में अच्छी पैठ बताई जाती है। अपनी पार्टी के प्रत्याशी जफर इकबाल मन्हास पहाड़ी समुदाय के बताए जाते हैं, इसलिए अब यहां पहाड़ी और गुज्जर का कार्ड खेला जाने लगा है। भाजपा का उम्मीदवार न होने से राजोरी-पुंछ के मतदाता असमंजस में हैं।
भाजपा के वोटर इस इंतजार में हैं कि पार्टी किसका समर्थन करती है, इसका खुलासा हो जाए तो मतदाताओं के लिए खुलकर सामने आने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि, कुछ पहाड़ी नेता महबूबा मुफ्ती के साथ खड़े हो गए हैं तो कुछ से भाजपा के नेताओं ने अपनी पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगना शुरू कर दिया है। सभी राजोरी-पुंछ के मतदाताओं को साधने में जुट गए हैं।
राजोरी-पुंछ में रही है बंपर वोटिंग, कश्मीर में कम
पहली बार परिसीमन में राजोरी-पुंछ जिले की सात विधानसभा सीटों को जम्मू संसदीय सीट से काटकर अनंतनाग में जोड़ा गया है। इस सीट में राजोरी-पुंछ की सात के अलावा शोपियां के जैनापोरा, कुलगाम की तीन, अनंतनाग की सात विधानसभा सीटें हैं। राजोरी-पुंछ में 7.35 लाख तो कश्मीर के10.94 लाख वोटर पंजीकृत हैं। पिछले चुनावों में राजोरी और पुंछ में 70 फीसदी तक बंपर वोटिंग होती रही है, जबकि कश्मीर में वोटिंग काफी कम रहती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व महासचिव राजोरी इलाके से आते हैं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता भी राजोरी से हैं। इसके अलावा पहाड़ी समुदाय से कई बड़े चेहरे जो हाल ही में एसटी का दर्जा मिलने के बाद अन्य दलों से भाजपा में आए हैं, इन सभी के लिए असमंजस की स्थिति है। उन्हें अपना वोट गैर भाजपा उम्मीदवार को देने की बाध्यता होगी। हालांकि, भाजपा ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं।
भाजपा का उम्मीदवार खड़ा न होने से पहाड़ी समुदाय के समर्थकों में मायूसी
भाजपा की ओर से उम्मीदवार खड़ा न किए जाने से पहाड़ी समुदाय मायूस है। वह मौजूदा चुनाव में अपनी रुचि भी नहीं दिखा रहा है, लेकिन अब उन्हें जागरूक करने का सिलसिला शुरू हो गया है। भाजपा जिसे कहेगी पहाड़ी समुदाय उसे वोट देगा। -एहसान मिर्जा, पहाड़ी ट्राइबल एसटी फोरम
जल्द तय करेंगे वोट किसे देना है
पहाड़ी वोटर फिलहाल असमंजस की स्थिति में है। भाजपा से उम्मीदें थी, लेकिन उम्मीदवार न होने से सब मायूस हैं। जल्द ही मिल बैठकर यह तय किया जाएगा कि सीमावर्ती जिले के विकास के लिए वोट किसे दिया जाए ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके। – नितिन शर्मा, पहाड़ी नेता
अनंतनाग सीट पर जीत के लिए सभी दल मतदाताओं के साथ साध रहे हैं संपर्क
अनंतनाग-राजोरी सीट पर नेकां और पीडीपी के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है। पीडीपी को पहाड़ी समुदाय का भी समर्थन मिल रहा है। सभी दलों और प्रत्याशियों की ओर से जीत के लिए मतदाताओं से संपर्क साधा जा रहा है।
source amar ujala

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