नेटो के सहयोगी देशों में बढ़ते तनाव के बीच तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने अपने फ़्रांसीसी समकक्ष, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को यह चेतावनी दी है कि वे तुर्की के साथ ‘झमेला न मोल लें.’
राष्ट्रपति अर्दोआन ने 1980 के सैन्य तख़्तापलट की 40वीं वर्षगांठ पर इस्तांबुल में एक भाषण के दौरान कहा कि “तुर्की के लोगों से पंगा लेने की कोशिश मत करिये. तुर्की के साथ खिलवाड़ मत करिये.”
दरअसल, फ़्रांस ने पिछले महीने ख़ुले तौर पर तुर्की की उस वक़्त निंदा की थी, जब ग्रीस और साइप्रस हाइड्रोकार्बन के संसाधनों और पूर्वी-भूमध्यसागर में नौसैनिक प्रभाव को लेकर आमने-सामने आये और स्थिति काफ़ी तनावपूर्ण दिख रही थी.
वहीं राष्ट्रपति अर्दोआन ने ग्रीस से आग्रह किया है कि वो फ़्रांस जैसे देशों के उकसावे में आकर पूर्वी-भूमध्यसागर में ‘ग़लत हरकतों को अंजाम देने से बचे.’ ख़ासकर ऐसे समय में जब ग्रीस और तुर्की के नौसैनिक अभ्यासों के बीच फ़्रांस ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है.
विवाद पर अमरीका ने क्या कहा
उधर अमरीका ने तुर्की से पूर्वी-भूमध्यसागर में उन सभी गतिविधियों को तुरंत रोक देने का आग्रह किया है जिनसे क्षेत्र में तनाव बढ़ने की संभावना हो. अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सभी पक्षों से ‘कूटनीतिक रास्ता अपनाने को कहा’ है.
शनिवार को साइप्रस की यात्रा के दौरान प्रेस से बात करते हुए अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, “तुर्की प्राकृतिक संसाधनों की खोज में नए इलाक़ों में तलाश कर रहा है, इनमें कुछ इलाक़े वो हैं जिनपर ग्रीस और साइप्रस अपना हक़ जताते हैं. वो तुर्की की गतिविधियों से बेचैन हैं और हमें भी चिंता है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है. इससे किसी का फ़ायदा नहीं होगा. विभाजन ही होगा. एकता में दरार पड़ेगी. इन देशों को अपनी आपसी असहमतियों को शांतिपूर्वक ढंग से, कूटनीतिक तरीक़ों से निपटाना चाहिए.”
उन्होंने दावा किया कि यह बात समझाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ग्रीस के प्रधानमंत्री और तुर्की में अपने समकक्ष राष्ट्रपति अर्दोआन से जल्द बात करेंगे.
‘मैक्रों थोड़ा इतिहास पढ़ें’
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को कहा था कि “यूरोपीय लोगों को तुर्की और वहाँ के लोगों को लेकर नहीं, पर अर्दोआन सरकार की अस्वीकार्य गतिविधियों को लेकर स्पष्ट और दृढ़ होना चाहिए.”
मैक्रों ने यह बात यूरोपीय संघ की एक बैठक में कही. इससे पहले यूरोपीय संघ ने तुर्की को चेतावनी दी थी और कहा था कि अगर पूर्वी भूमध्यसागर में ग्रीस और साइप्रस के साथ तनाव कम करने की तुर्की ने कोशिश नहीं की तो उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
नेटो के अन्य सदस्य देशों का मानना है कि ताज़ा विवाद तुर्की की वजह से शुरू हुआ जिसने 10 अगस्त को पूर्वी भूमध्यसागर में गैस के भंडार खोजने वाले अपने ओरुक रीज़ जहाज़ को भेजा जिसके साथ युद्धक जहाज़ भी थे और इसके साथ ही तुर्की ने अपने मिशन को तीन गुना लंबा भी कर दिया.
लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने अपनी ताज़ा टिप्पणी में इन सभी दावों को ख़ारिज किया और कहा कि ‘मैक्रों को इतिहास के बारे में अपनी समझ थोड़ी दुरुस्त करनी चाहिए.’
अर्दोआन ने कहा कि “फ़्रांस तुर्की को न समझाए कि क्या करना है. मैक्रों पहले फ़्रांस का इतिहास पढ़ें, और अपने देश का रिकॉर्ड चेक करें कि रवांडा और अल्जीरिया में उन्होंने क्या किया.”
‘अभी और दिक्कत होने वाली है’
अर्दोआन के इस बयान को पूर्वी भूमध्यसागर में ताज़ा तनाव के दौरान ‘नाम लेकर किया गया अब तक का सबसे सीधा हमला’ माना जा रहा है.
अपने भाषण में अर्दोआन ने कहा, “मैक्रों तुम्हारे पास वैसे भी कम समय बचा है. तुम अब ये समझो कि एक ही टांग पर खड़े हो.” दरअसल, फ़्रांस में 2022 में अगले राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और इन्हीं के संदर्भ में अर्दोआन ने मैक्रों पर यह तंज कसा.
अर्दोआन ने यह धमकी भी दी कि ‘मैक्रों, तुम्हें मेरे साथ और दिक्कतें होने वाली हैं.’
इन दोनों नेटो सहयोगी देशों, फ़्रांस और तुर्की के बीच पूर्वी भूमध्यसागर को लेकर तो तनाव बढ़ा ही है, पर दोनों के बीच सीरिया और लीबिया संघर्ष को लेकर भी मतभेद रहा है.
अर्दोआन ने अपने भाषण में फ़्रांस पर आरोप लगाया कि वो पेट्रोल के लिए लीबिया और डायमंड, सोने और तांबे के लिए अफ़्रीका का फ़ायदा उठा रहा है.
मैक्रों भी कर चुके हैं बयानबाज़ी
मौजूदा तनाव के दौरान फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी तुर्की के बारे में तीखी बयानबाज़ी कर चुके हैं.
मैक्रों ने हाल ही में कहा था कि “तुर्की अपने ख़िलाफ़ कार्रवाई चाहता है, वो बातचीत का रास्ता समझना ही नहीं चाहता. अगर आप उस पर कार्रवाई नहीं करेंगे तो उससे बातचीत करते रहने और उसे समझाने का कोई फ़ायदा नहीं होगा.”
मैक्रों ने कहा था कि “जब बात भूमध्सामगरीय देशों की संप्रभुता की आती है तो फ़्रांस ने अपनी कथनी और करनी में फ़र्क़ नहीं रखा है. मेरी राय है कि तुर्की ने हाल के वक़्त में जो रणनीति अपनायी है वो किसी नेटो सदस्य की रणनीति नहीं हो सकती. वो यूरोपीय संघ में शामिल दो देशों की संप्रभुता और उनके स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन पर हमला कर रहा है. वो अपनी हरकतों से अब यूरोपीय संघ को उकसा रहा है.”
BBC