• May 20, 2024 12:57 pm

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्या होता है, सोना खरीदने से ज्यादा ये क्यों सुरक्षित है?

भारत में सोने में निवेश करना काफी फायदेमंद माना जाता है. आमतौर हमारे देश के मध्यम वर्गीय परिवारों में बड़े बुजुर्ग भी लॉन्ग टर्म इंवेसटमेंट के लिए सोने में निवेश करने की ही सलाह देते है. लेकिन, अगर आप भी इंवेस्टमेंट के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं.

क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

यह एक सरकारी बॉन्ड है जिसे डीमैट के रूप में बदला जा सकता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 1 ग्राम सोने का होता है, यानी वर्तमान में 1 ग्राम सोने की कीमत जितनी होगी, बॉन्ड की कीमत भी उतनी ही होगी. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किया जाता है.

कब हुई थी इसकी शुरुआत 

सरकार ने साल 2015 के नवंबर महीने में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी. यह बॉन्ड बाजार से कम कीमत में सोने में निवेश (Gold Investment) का मौका देती है. इस स्‍कीम के तहत हर साल 2.75 प्रतिशत का रिटर्न फिक्‍स्‍ड है.

इस बॉन्ड में निवेश करने से कैसे होगा फायदा 

सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड के जरिए कोई भी व्यक्ति 24 कैरेट के 99.9% शुद्ध सोने में निवेश कर सकते हैं. इसमें निवेश करने से फायदा ये होगा कि आपको डबल मुनाफा मिलेगा.

इसके एक फायदा ये भी है कि मैच्योरिटी के वक्त निवेशक को मार्केट रेट के हिसाब से पैसा मिलता है और दूसरा इसमें सब्सक्राइबर्स को 2.5 प्रतिशत का सालाना ब्याज भी दिया जाता जाता है. इतना ही नहीं बीच में अगर किसी कारणवश आपको पैसों की जरूरत पड़ती है तो आप इस बॉन्ड के बदले लोन भी ले सकते हैं.

सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड को आरबीआई हर वित्तीय वर्ष में अलग-अलग चरणों में जारी करती है और इन चरणों के बीच कोई भी व्यक्ति इसमें निवेश कर सकता है.

शुद्धता की कोई चिंता नहीं

सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड में निवेश करने वाले निवेशकों को गोल्ड के शुद्धता की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनुसार, इस बॉन्ड को मेच्योर करते वक्त निवेशक को इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा प्रकाशित 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने की कीमत ही दी जाती है.

इसके अलावा इस बॉन्ड का आठ साल का मैच्योरिटी पीरियड होता है और इसमें ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से निवेश किया जा सकता है.

अधिकतम कितना किया जा सकता है निवेश 

कोई भी शख्स इस बॉन्ड के जरिये एक वित्त वर्ष में कम से कम 1 ग्राम से लेकर 4 किलोग्राम सोने में इनवेस्ट कर सकता है. हालांकि अगर कोई ट्रस्ट इस बॉन्ड में निवेश कर रहा हो तो उनकी अधिकतम सीमा 20 किलो है.

कितना होता है मैच्योरिटी पीरियड

इस बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है. यानी अगर निवेशक 8 साल होने से बाद इसे निकालता हैं तो आपको इससे होने वाले लाभ पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वहीं अगर निवेशक 5 साल बाद अपने पैसे को निकालते हैं, तो इससे होने वाले लाभ पर निवेशक को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 20.80% टैक्स देना पड़ेगा.

ऑनलाइन- ऑफलाइन निवेश की सुविधा 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस बॉन्ड में इंवेस्टमेंट के लिए कई अलग अलग तरह के विकल्प दिए हैं. इसमें निवेश के लिए बैंक की शाखाओं, पोस्ट ऑफिस, स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SHCIL) का इस्तेमाल किया जा सकता है.

निवेशक को बस एक फॉर्म भरना होता है जिसके बाद आपके अकाउंट से पैसे कट जाएंगे और बॉन्ड को आपके डीमैट खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.इस बॉन्ड में निवेश करने के लिए कुछ चिजे जरूरी है. उसमें से पैन कार्ड का होना अनिवार्य है.

अब तक निवेशकों की कितनी हो चुकी है कमाई 

इस बॉन्ड ने पहली किस्त में 12.9 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया है. साल 2015 में इस स्‍कीम के तहत निवेशकों को 2,684 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर सोने में इनवेस्ट करने का मौका दिया गया था.

वहीं एक बार मैच्‍योर हो जाने पर इस ग्राम की कीमत 6,132 रुपये हो गई है. RBI डाटा के मुताबिक, पहली किस्त से 245 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था.

क्यों करना चाहिये इस स्कीम में इन्वेस्ट 

बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में इस सवाल के जवाब में गोल्डनपी के सीईओ अभिजीत रॉय ने कहा कि अगर आप असली सोना खरीदकर घर में रखने के बजाय वास्तविक गोल्‍ड बॉन्‍ड में निवेश करते हैं तो आपको न सिर्फ अच्‍छा रिटर्न मिलेगा बल्कि कई चुनौतियों से भी बचाता है. साथ ही आपको सोने जितना ही पैसा मिलता है और इसे आप डीमैट अकाउंट के माध्‍यम से भी खरीद सकते हैं.

क्या होता है डीमैट अकाउंट

डीमैट अकाउंट एक तरह से मल्टी टास्क अकाउंट होता है. इसकी मदद से फाइनेंशियल सिक्‍योरिटीज को फिजिकल फॉर्म में नहीं रखना पड़ता, बल्कि यह खाता इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रहता है.

डीमैट अकाउंट में यूजर एक ही अकाउंट से कई अलग-अलग सिक्‍योरिटी में निवेश कर सकते हैं. स्‍टॉक हो या म्‍यूचुअल फंड, बॉन्ड और डेरिवेटिव यूजर ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर इस खाते के जरिए आसानी से खरीद-फरोख्‍त कर सकते हैं. हालिया आंकड़े बताते हैं कि देश में लगभग 15 करोड़ डीमैट अकाउंट खुल चुके हैं.

डीमैट अकाउंट की विशेषताएं

  • आसान एक्सेस
  • आसान कन्वर्ज़न
  • ब्याज या रिफंड प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान
  • आसान शेयर ट्रांसफर
  • शेयर लिक्विडिटी
  • लोन सुविधा

कितने तरह के होते हैं डीमैट अकाउंट 

भारत में, दो प्रकार के डीमैट अकाउंट हैं: रेगुलर और बेसिक सर्विसेज डीमैट अकाउंट (बीएसडीए). आइए इन दो अकाउंट के प्रकारों के बीच प्राथमिक अंतर को समझते हैं.

● पहला स्लैब: ₹50,000 तक के होल्डिंग के लिए, कोई मेंटेनेंस शुल्क नहीं (AMC) है.
● दूसरा स्लैब: अगर आपकी होल्डिंग 50,001 रुपये से लेकर 2,00,000 रुपये तक है, तो आपसे AMC के लिए सालाना 100 रुपये का शुल्क लिया जाएगा.
● तीसरा स्लैब: 2,00,000 रुपये से अधिक होल्डिंग के लिए, मेंटेनेंस शुक्ल हर महीने 25 + 18 प्रतिशत GST तक बढ़ जाता है.

 

 

 

 

 

 

 

source abp news

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