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कोरोना से मरने वाले कलमवीरों के लिये सरकारे कब निभायेगी अपनी जिम्मेदारी

ByPrompt Times

Sep 1, 2020
कोरोना से मरने वाले कलमवीरों के लिये सरकारे कब निभायेगी अपनी जिम्मेदारी

राजनांदगांव/31अगस्त2020/ छत्तीसगढ़ में कोरोना से पत्रकारों की भी मौत हो रही हैं लेकिन इन कोरोना वारियर्स की कोई खोज खबर लेने वाला नहीं हैं सरकार बाकी सब की चिंता करती हैं अच्छी सेलरी के साथ परिवार को मुआवजें के साथ अनुकम्पा नियुक्ति व पेंशन का भी प्रवाधान हैं लेकिन पत्रकार ही एक ऐसा निरीह प्राणी हैं जो बिना किसी प्रोटेक्शन के जन सेवा में जुटा रहता हैं इनके परिवार बाल बच्चों की कोई सुधी लेना तो दूर हालचाल तक पूछने की जहमत गवांरा नहीं करता सबके लिये लड़ने वाला यह तबका ही अपने खुद के मामले में असहाय व बेसहारा नजर आता हैं जब तक जीता हैं कोल्हू के बैल की तरह लोगों के लिये तेल की धानी में पैराता रहता हैं और मरता हैं तो कब्र पर दो फूल तक को तरस जाता हैं इनकी सेवा की न तो कोई किमत होती हैं और नहीं कोई कदर हर कोई इसका असानी से डिटर्जेट पाउडर की तरह लोगों को धोने में इस्तेमाल करता हैं और काम खत्म होते ही निचोड़, झडा़ कर धुप में सूखने को डाल देता हैं ऐसे कई लोग हैं जिन्होने अपनी सारी उम्र शोषण,दमन, अन्याय,अत्याचार, उत्पीड़न से लड़ते हुये गुजार दी और जिंदगीं के आखरी दौर में दो वक्त की रोटी के मोहताज तक हो गये फिर भी किसी ने उफ तक नहीं की बहुत तकलीफ होती हैं यह सब देख सुन कर जिनकी जिंदगी सीमा पर लड़ने वाले सिपाही की तरह दूसरों की जागीर तो होती हैं लेकिन खुद का कोई वजूद नहीं होता यह सब आज इसलिये कहने व लिखने की जरुरत हैं क्योंकी देश की सरकारें ही अब जज्जबों में फर्क करने लगी हैं कोरोना की इस देश व्यापी महाजंग में डाक्टर, मेडीकल स्टाप, पुलिस के जवान, सरकारी अफसर,सफाई कर्मचारी के साथ मीडिया को फायटर का दर्जा तो दिया गया परंतु उनके जैसी सुविधा,साधन,सुरक्षा व मदद मुहैय्या करायी गयी ? क्या संक्रमण से किसी की मौत होने पर दूसरे मुलाजिमों की तरह उनके भी बाल बच्चों को जीने के लिये नौकरी व पेट भरने के लिये दो वक्त की रोटी का कोई इंतजाम किया ? इसका जवाब सभी को मालूम हैं की सरकार व समाज सभी के लिये जिन कलमवीरों ने पूरी इमानदारी व सिद्दत से लडा़ई लड़ी उन्हें कुछ नहीं मिला जबकी कुछ की मौत भी हो गयी उसके बावजूद वे आन बाण शान के साथ मोर्चे पर आपना कर्तब्य निभाते रहें हैं ऐसे में क्या सरकारों का यह दायित्व नहीं बनता की वह भी उनके जीवन की सुरक्षा का मुकमल इंतजाम करें ? यह अवाज आज इसलिये भी उठानी पड़ी हैं क्योंकी हमारें ही दो साथी रायगढ़ के शशिकांत शर्मा व राजनांदगांव के पूरन साहू की कोरोना के संक्रमण से मौत हो गयी दुख तो इस बात का हैं की अस्पताल में उनका समुचित इलाज तक नहीं किया गया रायगढ़ पत्रकार जगत ने इन कलमवीरों की मौत की जांच कराने के साथ साथ परिवार को एक एक करोड़ रुपये के मुआवजे और पत्रकारों को बीमा कवर दिये जाने की मांग की हैं छत्तीसगढ़ के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को याद दिलाना जरुरी हैं कि वे भी अपना कर्तब्य निभायें और पत्रकार हित में कदम उठायें ताकि मीडिया के लोग भी अन्य कोरोना वारियर्स की तरह सुरक्षा व निश्चितंता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का बखुबी निर्वहन कर सकें ।

देवेंद्र साहू,
मीडिया प्रभारी
छ.ग.टीचर्स एसोसिएशन राजनांदगांव।

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