5 अगस्त 2022 चीन फिर ताइवान को लेकर अमेरिका पर भड़का हुआ है. दरअसल अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री ताइवान के दौरे पर हैं. इसने चीन को आगबबूला कर दिया है. आखिर चीन और ताइवान के रिश्ते क्या हैं, जो लोगों की समझ में नहीं आते. ताइवान खुद को एक आजाद देश कहता है लेकिन चीन उसको अपना अंग मानता है. दोनों के रिश्ते अगर आप समझने की कोशिश करें तो वो इतने जटिल हैं कि एकबारगी आपकी सिर ही घुमा देंगे.
वैसे चीन को ये कतई पसंद नहीं है कि कोई भी देश ताइवान को संप्रभु देश मानते हुए उसके साथ रिश्ते बनाए. इसलिए दुनियाभर के बहुत गिने-चुने देशों के साथ ही ताइवान के रिश्ते हैं. चीन के दबाव के चलते ही वो संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सदस्य नहीं है. अगर कोई देश ताइवान के साथ राजनयिक रिश्ता बनाना चाहता है तो ये बात चीन को बहुत नागवार गुजरती है.
चीन का कहना है कि चीन केवल एक देश है, और जो असल देश है वो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन यानि पीआरसी है. वो हमेशा से ताइवान को खुद का अभिन्न अंग मानता रहा है.
उसने ताइवान को धमकी दे रखी है कि वो खुद को स्वतंत्र देश घोषित नहीं कर सकता. अगर उसने ऐसा किया तो वो उसके खिलाफ बल प्रयोग से भी नहीं हिचकिचाएगा. साथ-साथ चीन उस पर वन चाइना पॉलिसी के तहत डोरे भी डालता रहता है. उससे कहता है कि वो चीन की संप्रुभता स्वीकार कर ले बदले में पूरी स्वायत्ता हासिल कर ले. लेकिन ताइवान ने हमेशा इससे दृढता से इनकार किया है.
चीन एक काम और करता है. दुनियाभर में उसने साफ कर दिया है कि जो भी देश उससे रिश्ता रखना चाहते हैं, उन्हें ताइवान से संबंध तोड़ने होंगे.
ताइवान में केवल 15 देशों के दूतावास
इसी के चलते ताइवान में केवल 15 देशों के ही दूतावास हैं. इसके अलावा एक कौंसुलेट और 53 देशों के प्रतिनिधियों के आफिस हैं. वहीं ताइवान ने भी दुनिया के 15 देशों में ही दूतावास खोले हैं. दो देशों में उसके कौंसुलेट हैं तो 89 देशों में रिप्रेजेंटेशन है. यहां तक की भारत में भी ना तो ताइवान का कोई दूतावास है और ताइवान की राजधानी में भारत का दूतावास.
कौन हैं ये छोटे-छोटे देश
जिन देशों के दूतावास ताइवान की राजधानी ताइपे में हैं, वो ये हैं- एलाइज, इस्वातिनी, ग्वाटेमाला, हैती, होली सी, होंडूरास, मार्शल आइलैंड्स, नौरू, निकारागुआ, पलाऊ, पैरागुए, सेंट किस्ट एंड नेविस, सेंट लूसिया, तुवालु और सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडिनेस. शायद इसमे से बहुत से देशों का नाम आपने सुना भी नहीं होगा. क्योंकि इनमें से ज्यादातर दक्षिण पैसिफिक सी में बसे छोटे-छोटे द्वीपीय देश हैं. लेकिन इन सभी देशों पर अब चीन पहुंचकर मोटे निवेश के लुभावने प्रस्ताव रख रहा है और उनसे कह रहा है कि वो ताइवान को एक देश के तौर दी गई मान्यता को खत्म कर दें.
Source;-“न्यूज़ 18 हिंदी”