ऋषिकेश और हरिद्वार इन दोनों जगहों पर उत्तराखंड की आपदा से मुकाबला तैयार करने को लेकर गठित SDRF का रोल सराहनीय रहा. SDRF की टीम ने ऋषिकेश में मलबे में फंसी गाड़ियों को बाहर निकाला.
खारा : उत्तराखंड में मानसून की ऑफिशियल एंट्री हो चुकी है और इसी के साथ लोग कभी तेज तो कभी हल्की बारिश को एक्सपीरियंस करने लगे हैं. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, प्रदेश में तीन जुलाई तक बारिश का तेज कहर लोगों को परेशान कर सकता है. मौसम केंद्र की चेतावनी के बाद रेस्क्यू टीम अलर्ट पर हैं. इस बीच पिछले पांच दिनों में प्रदेश के दो प्रमुख टूरिस्ट और धार्मिक स्टेशन – ऋषिकेश और हरिद्वार में अचानक आई बारिश के बाद कुछ गाड़ियों के बहने और मलबे में फंसे होने के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए हैं, जिनको लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं. वीडियो को देखने के बाद कई पर्यटकों ने अपने ट्रैवल प्लान तक बदल डाले हैं. ऐसा स्थानीय कारोबारियों का कहना है.
दरअसल, पहाड़ों में अचानक तेज वेग के साथ बारिश आने के किस्से आम हैं. बारिश के साथ ही सूखे बरसती नाले पानी से भर जाते हैं. इसी के साथ मैदानी क्षेत्रों में जब पानी का बहाव अचानक बढ़ता है तो वो खतरनाक सिद्ध होता है. 26 जून को ऋषिकेश के खारा क्षेत्र में कुछ ऐसा ही हुआ. पहाड़ों में अचानक आई तेज बारिश के बाद छोटी-छोटी बरसाती नदियां पानी लेकर मैदान की और बढ़ीं और ऋषिकेश के खारा स्रोत (एक तरह का बरसाती रपटा) में पानी का सैलाब उमड़ पड़ा. इससे हुआ ये कि अमूमन सूखे रहने वाले खारा स्रोत में जो करीब दो दर्जन कार और बाइक पार्क की गई थीं वो अचानक आए पानी के बहाव में तिनके की तरह बहने लगीं और फिर मलबे में फंस गईं.
इसी तरह का वाकया 29 जूने को हरिद्वार में भी घटा. जब हरिद्वार में खड़खड़ी श्मशान घाट के पास “सूखी नदी” में अचानक पानी का सैलाब पूरे वेग से आया. इस दौरान नदी में करीब 6 गाड़ियां पानी के बहाव में बह गईं और कुछ देर में ही गंगा की मुख्य धारा में समा गईं. ऋषिकेश और हरिद्वार इन दोनों जगहों पर उत्तराखंड की आपदा से मुकाबला तैयार करने को लेकर गठित SDRF का रोल सराहनीय रहा. SDRF की टीम ने ऋषिकेश में मलबे में फंसी गाड़ियों को बाहर निकाला. वहीं रविवार शाम तक गंगा नदी में से 4 गाड़ियां रिकवर कर ली गई थीं.
SDRF के अनुसार, बरसात के सीजन में पहाड़ और मैदान दोनों जगह लोगों को बरसाती नदी-नालों से दूर रहना चाहिए. ऋषिकेश और हरिद्वार में चंद पैसा बचाने के लिए स्थानीय निवासियों और टूरिस्ट्स ने निर्धारित पार्किंग में गाड़ी खड़ी न करके खादर/नदी में गाड़ियां पार्क कर रखीं थीं. इसीलिए वो पानी में पेपर बोट की तरह बह गईं.
SOURCE – NEWS 28 HINDI