• May 29, 2024 12:54 am

यमन के हमदर्द, सऊदी के दुश्मन… कैसे इतने ताकतवर हुए हूती विद्रोही, लाल सागर को क्यों बनाते हैं निशाना?

28 दिसंबर 2023 ! हूती विद्रोही आजकल चर्चा में हैं. उन्होंने लाल सागर से इजराइल जाने वाले सभी जहाजों को निशाना बनाने की चेतावनी दी है, क्योंकि वे अमेरिका और इजराइल को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं. सऊदी अरब तो खासतौर पर इनके निशाने पर रहता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ये इतने ताकतवर कैसे हो गए और लाल सागर पर बार-बार हमले क्यों करते हैं. इस सवाल का जवाब खोजने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा.

बात 1980 के दशक की की है, यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में माहौल बन रहा था. तभी वहां के आदिवासी समुदाय ने एक संगठन खड़ा किया. जो राष्ट्रपति के खिलाफ एकजुट हुआ. इसके संस्थापक थे शिया जैदी समुदाय के हुसैन अल हूती. उन्हीं के नाम पर संगठन का नाम पड़ा और विद्रोहियों को हूती विद्रोही कहा जाने लगा. देखते ही देखते संगठन सरकार से टकराने लगा. सरकार से हूती विद्रोहियों ने कई युद्ध लड़े.

यह संगठन हमास और लेबनान के हिज्बुल्लाह का बड़ा समर्थक है. यमन में शिया जैदी समुदाय अल्पसंख्यक है. इसके बावजूद ये 2014 में वहां राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हो गए और 2015 में तो सादा प्रांत और राजधानी सना पर कब्जा भी कर लिया था.

सऊदी अरब से इसलिए बढ़ी दुश्मनी

राजधानी पर कब्जे के बाद वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति और अली अब्दुल्लाह सालेह के उत्तराधिकारी अब्दरब्बुह मंसूर हादी विदेश भाग गए. इस पर पड़ोसी देश सऊदी अरब ने अपनी सेना भेज कर विद्रोहियों को भगाया. इसमें यूएई और बहरीन ने भी सऊदी अरब का साथ दिया था. हूती संगठन के लोग इस बात से गुस्से में थे. नतीजा यह हुआ कि संगठन के लड़ाकों ने साल 2017 में अली अब्दुल्लाह सालेह की हत्या कर दी और यमन की ज्यादातर आबादी पर अपना नियंत्रण कर लिया. चूंकि, अपने इलाके की जनता भी इनका साथ देती है. वहां इन्हें विद्रोही नहीं माना जाता, ये आमजन के हमदर्द माने जाते हैं.

दुश्मन के दुश्मन बन गए दोस्त

अब चूंकि हूती विद्रोही सऊदी अरब के निशाने पर रहते हैं और ईरान भी सऊदी अरब को अपना दुश्मन मानता है, इसलिए दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए ईरान लगातार हूती विद्रोहियों का समर्थन करता आ रहा है. उसी के जरिए हूती विद्रोहियों को ताकत मिलती है. अमेरिका और सऊदी अरब के दावों की मानें तो ईरान ही इन विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराता है. इन दोनों देशों का तो यहां तक दावा है कि ईरान ने विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइलें तक मुहैया कराई हैं, जिनसे 2017 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पर हमला भी किया गया था.

सऊदी अरब का यह भी कहना है कि ईरान ने हूती विद्रोहियों को क्रूज मिसाइलें और ड्रोन भी दिए हैं, जिनसे सऊदी अरब के तेल कारखानों को 2019 में निशाना बनाया गया था. हालांकि, ईरान ने ऐसे आरोपों को कभी भी स्वीकार नहीं किया.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *