महासमुंद। रोजगार के सीमित संसाधनों में आजीविका चलाने का एक मात्र विकल्प स्वरोजगार ही है। आज समाज में महिलाएं घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहती है और उनको सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए समझा जाता है। मगर ऐसी बहुत सी महिलाएं है जो अपनी कार्यकुशलता एवं क्षमता के आधार पर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करने के साथ-साथ समाज के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत हैं।
जिले के बसना जनपद पंचायत के अंतर्गत जनपद पंचायत परिसर में स्थित फुलझर कलेवा में ज्योति महिला स्व-सहायता समूह, अरेकेल की दिव्यांग महिलाओं ने बिहान योजनांतर्गत विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के साथ-साथ समोसा, कचौड़ी, बड़ा, चीला, मिर्ची भजिया, डोसा, इडली, मुंगौड़ी, गुलगुला भजिया, चाय सहित अन्य प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बना रही हैं। महिलाओं ने फुलझर कलेवा की दीवालों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोकनृत्य आदि को विभिन्ना रंगों के साथ उकेरा है। यहां लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजन के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भी निहारते है और तारीफ करते हैं।
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्पराओं को संरक्षित करते हुए पारंपरिक खान-पान, आहार एवं व्यंजन का स्वाद महिला समूह चखा रही हैं। उन्होंने बताया कि ज्योति महिला स्व-सहायता समूह में पांच सदस्य हैं। इनके अध्यक्ष कुमारी देवांगन, सचिव श्याम बाई सिदार, सदस्य सुमन साव, उकिया भोई एवं चंद्रमा यादव शामिल हैं। समूह की अध्यक्ष कुमारी देवांगन ने बताया कि
पिछले माह 11 नवंबर को यहां फुलझर कलेवा का शुभारंभ हुआ था। इसका संचालन समूह की महिलाओं द्वारा रोज सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक किया जाता है। जिससे उन्हें रोज अच्छी खासी कमाई हो रही है। इस कमाई से वे खुश हैं। उन्होंने बताया कि पहले वे लोग बेरोजगार रहते थे तो उन्हें आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। अब सफलता की राह खुल गई है।