04 अक्टूबर 2022 | मप्र में खरीफ सीजन में 75% आवेदक किसान फसल बीमा से वंचित रह गए। सीजन में कुल 96.24 लाख किसानों ने बैंकों के माध्यम से बीमा के लिए आवेदन किया था। लेकिन 24.35 लाख (25%) किसानों को ही बीमा मिल सका। पिछले साल की तुलना में आवेदन करने वाले किसानों की संख्या में 104% की बढ़ोतरी हुई।
2021 के खरीफ सीजन में 47.40 लाख किसानों ने ही बीमा के लिए आवेदन किया था। इनमें से 52.04% यानी 24.66 लाख को फसल बीमा मिला। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि बीमित किसान कैसे घटे। खरीफ फसलों का रकबा 1.44 करोड़ था। लेकिन 33% रकबा ही कवर किया गया।
कांग्रेस और किसान संगठनों ने बीमा देने के आधार पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मई-जून में रिमाेट सेंसिंग से सर्वे होता है। इसमें तय होता है कि किस जिले में सोयाबीन लगा है, किस में धान। सच्चाई यह है कि तब किसान तय नहीं कर पाता कि उसे खेत में क्या लगाना है। मानसून देखकर वह तय करता है कि वहां क्या फसल लगानी है।
पटवारियों की कमी, समय पर नहीं कर पा रहे सर्वे
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता मप्र के शिवकुमार कक्का जी ने कहा है कि मप्र में 2200 पटवारियों की कमी है। एक पटवारी के पास पांच-पांच गांव के हल्के हैं। वह सर्वे नहीं कर पा रहे। सच्चाई यह है कि रिमोट सेंसिंग के जरिए न तो यह पता लगाया जा सकता कि कौन सी फसल कहां लगेगी, नुकसान होने की स्थिति में यह भी नहीं पता लगाया जा सकता कि कहां,कितना नुकसान है। इस आधार पर क्लेम कैसे तय होगा।
किसानों को अब क्लेम की संभावनाएं भी नहीं लग रहीं
खुद सरकार मानती है कि 1.44 करोड़ हेक्टेयर में फसल खड़ी है। अतिवृष्टि से सोयाबीन की फसल खराब हुई है। लेकिन सरकार ने किसानों को बीमा से ही वंचित करके क्लेम मिलने की संभावनाओं को खत्म कर दिया।
सोर्स :- “दैनिक भास्कर”