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पाकिस्तानी जेएफ़ 17 और भारतीय तेजस, कौन सा लड़ाकू विमान है ज़्यादा ख़तरनाक

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Jan 16, 2021
पाकिस्तानी जेएफ़ 17 और भारतीय तेजस, कौन सा लड़ाकू विमान है ज़्यादा ख़तरनाक

भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया का कहना है कि स्वदेशी लड़ाकू विमान- तेजस आतंकी ठिकानों पर बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक को बारीकी से अंज़ाम देने में मददगार होगा.

उनका ये भी कहना था कि पाकिस्तान द्वारा चीनी तकनीक से वहीं पर निर्मित जेएफ़-17 लड़ाकू विमान गुणवत्ता, क्षमता और सूक्ष्मता में तेजस के सामने कहीं नहीं टिक सकता है.

भदौरिया का कहना है कि ‘फोर एंड हाफ़ जनरेशन’ के हलके तेजस लड़ाकू विमान यानी ‘लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ बहुत ही आधुनिक तकनीक से बने हुए हैं और इस विमान में तैनात हथियार भी स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं.

जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान के जेएफ़ लड़ाकू विमान एफ़-16 फ़ॉल्कन के जैसे ही हल्के वज़न के साथ-साथ, सभी मौसम में ज़मीन और हवा में मार करने की क्षमता रखते हैं.

दोनों ही विमान यानी तेजस और जेएफ़-17 लंबी दूरी की मार करने वाली मिसाइलों से लैस हैं.
तेजस की तरह जेएफ़-17 विमान भी अपने लक्ष्य को लॉक कर उस पर निशाना दागने की क्षमता रखता है.

तेजस की विशेषताएँ
केटी सेबेस्टियन, भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत विंग कमांडर हैं जो टेस्ट पायलट और ग्रुप कैप्टन भी रह चुके हैं.

वो कहते हैं कि भारत सरकार ने तेजस मार्क 1 ए लड़ाकू विमान इसी श्रेणी के दूसरे हलके लड़ाकू विमानों से काफी महंगा इसलिए है क्योंकि इसे बहुत सारी नई तकनीक के उपकरणों से लैस किया गया है.

सेबेस्टियन ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि तेजस की ख़ास बात ये है कि ये विमान महँगा है क्योंकि इसमें कई आधुनिक उपक्रम जोड़े गए हैं जैसे इसराइल में विकसित रडार. इसके अलावा इस विमान में स्वदेश में विकसित किया हुआ रडार भी है. विमान हल्का है और इसकी मारक क्षमता भी अच्छी है. ये बहुआयामी लड़ाकू विमान है जो मुश्किल परिस्थितियों में भी बेहतर नतीजे देने में सक्षम है.

जहाँ तेजस का निर्माण भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित उपक्रम हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है, जेएफ़-17 का निर्माण पाकिस्तान के राजधानी इस्लामाबाद के नज़दीक कामरा में स्थित एयरोनॉटिकल काम्पलेक्स (पीएसी) कर रहा है. इसके निर्माण में चीन की संस्था – चाइना नेशनल ऐरो टेक्नोलॉजी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कारपोरेशन भी शामिल है.

पाकिस्तान की वायु सेना ने इस बारे में जारी किए गए अपने बयान में कहा था कि इन जेएफ़-17 लड़ाकू विमानों की तकनीक चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से विकसित है. बयान में कहा गया है कि हर विमान में 3630 किलो तक हथियार ढोने की क्षमता है जबकि विमान 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है. ये विमान 1350 किलोमीटर की दूरी से ही अपने लक्ष्य पर हमला कर सकता है.

भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट से सेवानिवृत कर्नल संजय श्रीवास्तव ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि तेजस लड़ाकू विमान आठ से नौ टन तक बोझ उठा सकते हैं. इसके अलावा ये ध्वनी की स्पीड यानी मैक 1.6 से लेकर मेक 1.8 तक की तेज़ी से उड़ सकते हैं वो भी 52 हज़ार फ़ीट तक की ऊंचाई पर.

तेजस की नई तकनीक
तेजस में जिस नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है वो है ‘क्रिटिकल ऑपरेशन क्षमता’ के लिए ‘एक्टिव इलेक्ट्रानिकली-स्कैन्ड रडार’ यानी इलेक्‍ट्रानिक रूप से स्‍कैन करने वाला रडार, बियांड विजुल रेंज (बीवीआर) मिसाइल. तेजस में इलेक्‍ट्रानिक वारफेयर सुइट और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की व्यवस्था भी की गयी है.

ये विमान दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है और दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है. ये विमान उतने ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है जितना इससे ज्यादा वजन वाला सुखोई विमान. शायद वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल आर के एस भदौरिया यही कहना चाह रहे थे.

उन्होंने गुरुवार को कहा था कि तेजस, आतंकी ठिकानों पर पहले से बेहतर और सटीक तरीक़े से सर्जिकल स्ट्राइक करने में सक्षम है.

पिछले साल के अंत में पाकिस्तान और चीन की वायुसेना ने साझा अभ्यास भी किया था. चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने चीन के वायु रक्षा विशेषज्ञ फ़ू कुयानशाओ के हवाले से लिखा है कि इस दौरान पाकिस्तान और चीन की वायु सेना ने साझा रूप से 200 ‘सोर्टीयां” उड़ाईं और उनका ये अभ्यास बीस दिनों तक चलता रहा.

जिस समारोह में पाकिस्तान की वायु सेना ने जेएफ़-17 को अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल करने की घोषणा की, उस समारोह में पकिस्तान में चीन के राजदूत नोंग रोंग भी शामिल थे.

हालांकि चीन में बने 14 जेएफ़ – 17 लड़ाकू विमान पहले ही पाकिस्तानी वायु सेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं, अब जिन लड़ाकू विमानों का निर्माण स्थानीय स्तर पर पाकिस्तान में किया जा रहा है उन्हें थोड़ा और आधुनिक किया गया है और इसलिए इनका नाम ‘जेएफ़-17 ब्लॉक-थ्री’ रखा गया है.
जेएफ़-17 ब्लॉक-थ्री की विशेषताएँ
पाकिस्तान वायु सेना के प्रवक्ता अहमर रज़ा ने बीबीसी की उर्दू सेवा को बताया था कि उनकी वायु सेना में शामिल होने वाले नए जेएफ़-17बी मॉडल विमान में दो सीटें हैं. इसका इस्तेमाल ज़्यादातर प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा. हालांकि इनमें जो क्षमताएं हैं वो पहले से ही मौजूद जेएफ़-17 विमानों के जैसी ही हैं.

पाकिस्तानी वायु सेना के अनुसार नए विमानों में मिसाइल और रडार भी पुराने विमानों की तरह ही हैं. नए मॉडल में सिर्फ़ एक सीट जोड़ी गई है, ताकि दूसरा पायलट भी बैठ सके और इन विमानों का इस्तेमाल प्रशिक्षण में किया जा सके.

पाकिस्तान के वायु सेना ने बीबीसी की उर्दू सेवा से ये भी कहा था कि नए जेएफ़-17 ब्लॉक थ्री के आने से पाकिस्तान की सैन्य शक्ति बढ़ जाएगी ये विमान प्रशिक्षण की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ, सभी प्रकार के युद्ध अभियान में भी पूरी तरह से सक्षम हैं.

जेएफ़ -17 ब्लाक I और ब्लाक II का निर्माण पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्पलेक्स (पीएसी) द्वारा ही किया जाता रहा है. लकिन जहां जेएफ़-17 ब्लॉक-थ्री ‘फ़ोर्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट’ है वहीं तेजस नए ‘फोर एंड हाफ़ जनरेशन’ के हलके लड़ाकू विमान हैं.

वैसे भारतीय वास्यु सेना में लड़ाकू विमानों की संख्या पाकिस्तान की वायु सेना की तुलना में बहुत ज़्यादा है. भारत में इनकी संख्या 2000 से ज्यादा अनुमानित है वहीं पाकिस्तान में ये 900 के आसपास बताए जाते हैं.

BBC

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