टाटा कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक करते नगर निगम पार्षद।
15 दिन में सारे शहर की स्ट्रीट लाइट न जली तो तोड़ देंगे कंपनी के साथ 7 साल पहले हुआ करार
30 – जुलाई – 2021 | लुधियाना की सड़कों पर लोग बिना लाइट के परेशान हो रहे हैं और नगर निगम, टाटा कंपनी के साथ चेतावनी चेतावनी की गेम खेल रहा है। कंपनी ढाई साल में शहर में लाइटिंग नहीं लगा पाई है और अभी तक वह नगर निगम के अधिकारियों को संतुष्ट भी नहीं कर पाए हैं। वहीं अब उसे 15 दिन का समय दे दिया गया है। मगर यह भी पहली बार नहीं है, नगर निगम टाटा को साल पहले भी एक मौका दे चुकी है। अगर कंपनी साल भर में प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाई तो अब 15 दिन में कैसे कर सकती है। यही नहीं कंपनी को नगर निगम दो करोड़ रुपए माह के भी अदा कर रहा है, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ।
2017 में दिया गया प्रोजेक्ट टाटा
प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी को 4 साल पहले 2017 में 48 करोड़ रुपए में यह काम दिया गया था। कंपनी की ओर से नई एलईडी लाइटें लगाई जानी थीं और पुरानी को रिपलेस करना था। कंपनी में 2018 में काम शुरू किया था और इसे मई 2019 में समाप्त करना था। 2018 में ही मेयर बलकार सिंह संधू ने उस साल की दीपावली पर शहर को रोशन करने का वादा किया था। मगर अब चौथी दीपावली आ गई है और शहर में पूरी लाइट नहीं जल पाई है और अब भी निगम हाउस काम से संतुष्ट नहीं हुआ है।
पार्षद ममता आशु का आरोप है कि कंपनी की ओर से पूरे शहर में लाइटें ही नहीं लगाई गई हैं और यहां लगी भी हैं वह सही ढंग से जल नहीं रही हैं। जो जल रही हैं उनकी लाइट पूरी नहीं है और न ही इनके एंगल सही ढंग से लगे हैं। अब जब पार्षदों के पास लोग शिकायत लेकर आ रहे हैं तो मेयर की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। कंपनी ने बैठक में दावा किया कि उनकी ओर से 1 लाख 5 हजार लाइटें लगाने का सर्वे किया गया था और लाइटें लगा दी गई हैं। यही नहीं कुछ जगहों पर लाइटें भी लगाई गई हैं।
पार्षदों ने खारिज किया दावा
जैसे ही कंपनी के अधिकारियों ने यह दावा किया तो सभी पार्टियों के पार्षदों ने इसका विरोध किया। ममता आशु ने कहा कि जब समराला चौक से चुंगी तक नई रोड़ बन रही है और वहां एनएचआई की ओर से लाइटें लगाई जा रही हैं और स्मार्ट सिटी प्राजेक्ट के तहत भी लाइटें लग रही हैं तो टाटा ने आखिर कहां लगा दी हैं लाइटें।
अब बर्दाश्त नहीं होगी देरी, तय समय में रिजल्ट दे टाटा
मेयर बलकार सिंह संधू का कहना है कि अब लेट लतीफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोरोना काल के दौरान लेबर चली जाने के कारण वह रियायत दे रहे थे, मगर अब अगर 15 दिन में इनकी ओर से पूरे शहर में लाइट नहीं लगाई गई तो हाउस की बैठक बुलाकर कंपनी से करार रद्द कर दिया जाएगा।
पहले भी उठते रहे हैं सवाल
जब से प्रोजेक्ट दिया गया है, तब से ही निगम और कंपनी के बीच काम को लेकर नहीं बन पाई है। 2018 में कॉस्ट कटिंग को लेकर, 2019 में काम पूरा नहीं होने पर पार्षद ममता आशु ने सवाल उठाए। जून 2020 में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी ने इसका करार रद्द करने की बात कही थी, मगर फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। साल बाद फिर से यह बात उठने लगी है।
आम आदमी पार्टी ने उठाया सवाल
आम आदमी पार्टी के नेता अहिबाब सिंह गरेवाल का कहना है कि यह सब मिलीभुगत से हो रहा है। जब कंपनी काम सही ढंग से नहीं कर रही है तो इसे रद्द क्यों नही किया जा रहा। क्यों बार बार समय दिया जा रहा है। साफ है कि इस तरह की बैठकें करके लोगों की आंखों में धूल झोखने का प्रयास किया जा रहा है।
Surce :- ”दैनिक भास्कर”