16 अप्रैल 2022 | बिजली उत्पादन में एक बार फिर कोयले की किल्लत सामने आने लगी है। इसकी वजह से पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 के शुरूआती सप्ताह में कोयले की किल्लत हुई थी। उस दौरान एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदनी पड़ी थी। अब एक बार फिर दो पावर प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।
इसके लिए बाकी प्लांट में भी कोयले का स्टॉक कम होने लगा है। अगले दो दिन में पावर कॉर्पोरेशन ने कोयले की व्यवस्था नहीं की तो यूपी में भारी बिजली कटौती देखने को मिल सकती है।
मौजूदा समय कोयला की कमी से बुन्देलखंड के पारीछा और हरदुआगंज में कोयले की कमी शुरू हो गई है। इसके साथ ही ललित पुर पावर प्लांट में बिजली उत्पादन गिर गया है। यहां मौजूदा समय कोयला का स्टॉक 15 फीसदी से भी कम है। जिससे एक दिन की बिजली भी नहीं तैयार हो सकती है। स्थिति यह है कि कोयले की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के दोनो पावर प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
2405 मेगावॉट बिजली का करते हैं उत्पादन
पारीछा से जहां 1140 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है, वहीं हरदुआगंज पावर प्लांट से करीब 1265 मेगावॉट बिजली एक दिन में पैदा होती है। दोनों ही पावर प्लांट को मिलाकर 2405 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है। लेकिन अभी दोनों में कोई भी अपनी पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रहा है। कोयले की किल्लत ऐसी ही रही तो इनका बंद होना तय है।
20 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर
दोनों ही पावर प्लांट से करीब 20 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई हो सकती है। उदाहरण के तौर पर लखनऊ और कानपुर जैसे दो बड़े शहर की बिजली इनसे आसानी से दी जा सकती है। लेकिन अभी इनकी स्थिति खराब हो गई है। दोनों ही पावर प्लांट मिलकर 1200 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर पा रहे हैं।
पारीछा में 3 प्रतिशत तो हरदुआगंज में 13 फीसदी कोयला बचा है
जरूरत के हिसाब से जितना कोयला चाहिए उससे कम स्टॉक बचा है। पारीछा में जहां महज 3 फीसदी वहीं हरदुआगंज में 13 फीसदी कोयले का स्टॉक बचा हुआ है। पारीछा पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 16 हजार टन कोयले की जरूरत होती है।
हरदुआगंज के के लिए 19000 टन कोयले की जरूरत है। सभी प्लांट को मिलाकर एक दिन में 25 करोड़ रुपए का कोयला खरीदना पड़ता है। पिछले दिनों कोयले को लेकर ऊर्जा मंत्री ने केंद्र सरकार से बात भी की थी, लेकिन उसके बाद भी कमी बरकरार है।
Source;- ‘’दैनिक भास्कर’